कर्नाटक: कोरोना से ठीक हुए लोगों पर अब मंडराया टीबी का ख़रा, 25 केस आए सामने

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दूसरी लहर में त्रासदी मचाने के बाद अब कोरोना के मामलो में कुछ हद तक कमी आई है। हालांकि कई राज्यों में अभी भी कोविड-19 के गंभीर वैरिएंट के नए मामले सामने आ रहे हैं, जो तीसरी लहर को आमंत्रित करते नजर आ रहे हैं। दूसरी लहर में किस तरह कोरोना ने लोगो को नुकसान पहुंचाया यह बताने की जरूरत नही है, लेकिन वायरस के साथ- साथ इसके कई घातक स्वरूप भी सामने आए, जिसका खतरा अभी तक मंडरा रहा है। वही ब्लैक फंगस, व्हाइट फंगस, यैलो फंगस जैसी रियर बीमारियों के आम होने से लोगो में डर बना रहा। लेकिन अब कोरोना के बाद डर का नया कारण टीबी की बीमारी बन रही है जिसने लोगो को सोचने पर मजबूर कर दिया है। कर्नाटक में कोविड-19 से पूरी तरह ठीक हो चुके मरीज़ अब टीबी से संक्रमित हो रहे हैं।

कोरोना से 28 लाख से अधिक लोग स्वस्थ जिनपर टीवी का खतरा..

गुरुवार को कर्नाटक के स्वास्थ्य मंत्री डॉ के. सुधाकर ने बताया कि राज्य में अब तक 23-25 ऐसे मामले दर्ज किए हैं, जो कोविड-19 से तो ठीक हो गए लेकिन टीबी से संक्रमित हो गए। वहीं बुधवार को सुधाकर ने विधानसभा को सूचित किया कि राज्य में अब तक 28 लाख से अधिक लोगों के स्वस्थ होने की सूचना है और चूंकि कोरोनावायरस और टीबी दोनों फेफड़ों को प्रभावित करते हैं। इसका पता लगाना आवश्यकता है, इसलिए टीबी का जल्द पता लगाने में मदद करने के लिए एक विशेष अभियान शुरू किया गया है।

covid-19 से ठीक हुए है तो टीबी की जांच कराए..

इसलिए अब कर्नाटक सरकार ने अतिरिक्त एहतियात के तौर पर उन लोगों में टीबी के लक्षणों की जांच शुरू कर दी है जो कोरोना से ठीक हो चुके हैं। स्वास्थ्य मंत्री डॉ के. सुधाकर ने कहा कि जो लोग कोविड-19 से ठीक हो चुके हैं, वे खुद अपनी इच्छा से टीबी की जांच कराएं। अगर शुरुआती स्टेज में इसका पता चल जाए तो इलाज आसान हो जाएगा।

शोधकर्ता करेंगे अध्ययन..

बुधवार को विज्ञान और प्रौद्योगिकी मंत्रालय (Ministry of Science and Technology) ने घोषणा की कि विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO)  द्वारा मान्यता प्राप्त 24 देशों के समूह (Group) से संबंधित ब्राजील, रूस, भारत और दक्षिण अफ्रीका के शोधकर्ता (researcher) टीबी संक्रमण की महामारी विज्ञान संबंधी विशेषताओं और इन दो प्रक्रियाओं की परस्पर क्रिया के लिए जिम्मेदार तंत्र पर COVID-19 के प्रभाव का पता लगाएं।

बता दें कि इससे पहले दूसरी लहर के दौरा भी जून जुलाई में कोरोना मरीजों में टीबी के मामले पाए गए थे। उस समय ही स्वास्थ्य मंत्रालय ने बताया था, कि कोविड -19 संक्रमण, संक्रमित व्यक्ति को टीबी रोग विकसित करने के लिए अधिक संवेदनशील बना सकता है। मंत्रालय ने टीबी को ब्लैक फंगस की तरह एक ‘अवसरवादी’ संक्रमण बताया था। स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय ने सभी कोविड संक्रमितों के लिए टीबी की जांच की सिफारिश भी की थी। हालांकि मंत्रालय ने कहा था की इसका पर्याप्त सबूत नहीं हैं कि कोविड -19 के कारण टीबी के मामलों में वृद्धि हुई है। उस समय भी कई टीबी के मामले सामने आए थे लेकिन फिर इन मामलों में कमी हो गई, लेकिन अब कर्नाटक में कोविड-19 से पूरी तरह ठीक हो चुके मरीजों में टीबी पाया गया, जो की हमारे फेफड़ों के लिए हानिकारक साबित हो सकता है।


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