लॉकडाउन में मज़दूर घर जाना चाहते थे लेकिन जेलों में डाला गया: गुजरात हाईकोर्ट


कोर्ट ने, एफआईआर और रेमडेसिविर की खरीद में PASA के आह्वान पर भी संदेह जताया और इसे लोगों का ध्यान भटकाने की एक युक्ति (उपाय) करार दिया। क्योंकि लोग उस वक्त दवा प्राप्त नही कर पा रहे थे जिससे वह नाराज थे। दरअसल, नकली रेमडेसिविर बेचने के आरोपियों पर PASA लगाने के लिए अहमदाबाद और वडोदरा के पुलिस आयुक्तों पर कोर्ट ने नाराज़गी जाहिर की है।


मीडिया विजिल मीडिया विजिल
Corona Published On :


 

गुजरात हाईकोर्ट ने COVID-19 की पहली और दूसरी लहर में लॉकडाउन के दौरान जेल में डाले गए प्रवासी मजदूरों और रेमडेसिविर इंजेक्शन की अनधिकृत खरीद और वितरण के मामलों में असामाजिक गतिविधियों की रोकथाम अधिनियम {Prevention of Anti-Social Activities Act (PASA)} पर राज्य सरकार से सवाल किया।

लॉकडाउन में मजदूर घर जाना चाहते थे लेकिन जेलों में डाल गया..

जस्टिस परेश उपाध्याय की खंडपीठ ने कहा, पहली लहर में अचानक लॉकडाउन लगा दिया गया। प्रवासी मजदूरों के पास राशन नहीं था, वह भोजन करने के लिए भी मजबूर थे। क्योंकि सभी दुकानें बंद थी। उनके पास रहने-खाने के लिए कुछ नहीं था। लेकिन जब वह घर जाना चाहते थे तो इतने सारे मजदूरों को लॉकडाउन उल्लंघन के लिए जेलों में डाल दिया गया। मैंने ऐसी कई जमानत याचिकाओं का निपटारा किया था। क्या वह मजदूर अपराधी थे या पीड़ित थे?”

अवैध रूप से रेमडेसिविर विक्रेताओं को पकड़ने के क्या व्यवस्था?

कोर्ट ने आगे कोरोना की दूसरी लहर में रेमडेसिविर इंजेक्शन की अवैध बिक्री पर भी सवाल किए। न्यायाधीश ने पूछा, जब दूसरी लहर के दौरान रेमडेसिविर की हर तरफ मांग थी। लोगों को रेमडेसिविर इंजेक्शन खरीदने में कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा था। लेकिन रेमडेसिविर अवैध रूप से बेची जा रही थी तब आपने क्या अवैध रूप से रेमडेसिविर बेचने वाले लोगों को पकड़ने ले लिए कोई व्यवस्था की?”

PASA लोगों का ध्यान भटकाने की एक युक्ति..

कोर्ट ने, एफआईआर और रेमडेसिविर की खरीद में PASA के आह्वान पर भी संदेह जताया और इसे लोगों का ध्यान भटकाने की एक युक्ति (उपाय) करार दिया। क्योंकि लोग उस वक्त दवा प्राप्त नही कर पा रहे थे जिससे वह नाराज थे। दरअसल, नकली रेमडेसिविर बेचने के आरोपियों पर PASA लगाने के लिए अहमदाबाद और वडोदरा के पुलिस आयुक्तों (police commissioners) पर कोर्ट ने नाराज़गी जाहिर की है।

 

कोर्ट ने सूरत में एक राजनीतिक दल द्वारा 5,000 रेमडेसिविर इंजेक्शन की डिलिवरी पर इशारा करते हुए कहा कि, सरकार के इस युक्ति से यह भी सवाल पैदा हो सकता है कि क्या राज्य सरकार संबंधित व्यक्ति की स्थिति से प्रभावित हुए बिना सभी मामलों में सभी आरोपियों/नागरिकों के लिए समान रूप से इस तरह के कड़े उपायों का सहारा लेने के लिए तैयार है, जहां कथित तौर पर अनधिकृत तरीके से रेमडेसिविर की खरीद और डिलिवरी की शिकायतें आई थीं।”

बता दें कि गुजरात उच्च न्यायालय ने हाल ही में गुजरात राज्य सरकार से कुछ रेमडेसिविर इंजेक्शन रखने के लिए एंटी-सोशल एक्टिविटी एक्ट (PASA) की रोकथाम के तहत लोगों को हिरासत में लेने के लिए सवाल किया था।जबकि पांच हजार इंजेक्शन राजनीतिक दल को वितरित करते हुए पाया गया था।


Related