आरोग्य सेतु- रास्ता सेहत का या जेल का? अनिवार्यता के ख़िलाफ़ एनजीओ पहुंचा अदालत

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इंटरनेट फ्रीडम फाउंडेशन की वेबसाइट से साभार


सरकारी कर्मचारियों के लिए तो ये पहले ही आरोग्य सेतु ऐप डाउनलोड करना अनिवार्य करने के बाद, अब नोएडा में भी एक आदेश के तहत इस ऐप को डाउनलोड करना अनिवार्य कर दिया गया है। इस ऐप के आने के बाद से ही कई साइबर सिक्यूरिटी के विशेषज्ञों और संस्थाओं ने चिंता जतायी है। नोएडा प्रशासन के इस ऐप को डाउनलोड करने के आदेश के बाद इंटरनेट से जुड़े अधिकारों के लिए सक्रिय रहने वाली एक संस्था इंटरनेट फ्रीडम फाउंडेशन ने इस ऐप को डाउनलोड न करने पर होने वाली क़ानूनी कार्रवाई के आदेश को चुनौती दी है। नोएडा में रहने वालों को ये ऐप डाउनलोड न करने पर, आईपीसी की धारा 188 के अंतर्गत 1000 रुपये का जुर्माना और 6 माह की जेल हो सकती है। नोएडा में आने वाले लोगों के लिए भी ये ऐप डाउनलोड किया जाना अनिवार्य बना दिया गया है। आरोग्य सेतु ऐप के माध्यम से आस-पास कोरोना संक्रमित के होने का पता चलेगा। साथ ही इस ऐप से कोरोना संबंधित जानकारियाँ भी प्राप्त की जा सकती हैं।

अधिकारों और व्यक्तिगत स्वतंत्रता का बचाव करें

इंटरनेट फ्रीडम फाउंडेशन ने ट्वीट करके इस बारे में जानकरी दी है। संस्था ने अपने ट्वीट में बताया है कि धारा 144(5) के अंतर्गत आवेदन में हमने इसे चुनौती दी है। इसको अभिनव सेखरी ने तैयार किया है और अधिवक्ता ऋत्विक ने इसे दाखिल किया है। ऋत्विक नोएडा के निवासी हैं। संस्था ने ये भी ट्वीट किया है कि हम धारा 144 के तहत दिए गए आदेशों के विरूद्ध खड़े होने के लिए प्रतिनिधित्व उपलब्ध करा रहे हैं। कृपया इसे लोगों तक पहुंचाएं। अपने अधिकारों और व्यक्तिगत स्वतंत्रता का बचाव करें।

ऐप पर डाटा सुरक्षा और निजता भंग होने का विवाद

आरोग्य सेतु ऐप पर विवाद की सबसे बड़ी वजह डेटा की सुरक्षा और लोगों की निजता भंग होने की शंका है। इंटरनेट फ्रीडम फाउंडेशन ने अपनी वेबसाइट पर लिखा है कि यह ऐप वैसे तो स्वास्थ्य का रास्ता बताई जा रही है लेकिन जैसा हमने आपको बताया कि जो इसे इंस्टाल नहीं करेगा उसके ख़िलाफ़ क़ानूनी कार्रवाई होगी। तो ये स्वास्थ्य का रास्ता है या जेल का? आरोग्य सेतु ऐप पर गृह मंत्रालय के निर्देशों को लेकर 45 संस्थाओं और 100 लोगों ने इसकी समीक्षा करने को कहा है।

इंटरनेट फ्रीडम फाउंडेशन से साभार

हालांकि सरकार की तरफ़ से हर बार आरोग्य सेतु पर उठे सवाल के जवाब में बताया गया है कि यह एकदम सुरक्षित है और इससे किसी को किसी तरह का कोई खतरा नहीं है। लेकिन उसके बावजूद भी अगर ऋतिक के तर्कों को आप ध्यान से सुनें तो आपको ये तो सोचना होगा ही कि आख़िर कैसे सरकार किसी ऐप को इंस्टॉल न करने पर नागरिकों को जेल या जुर्माने का भय दिखा सकती है?

 


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