मीडिया का गैंगवार – धमकाते-गुंडागर्दी करते रिपब्लिक संवाददाता को बाकी पत्रकारों ने पीटा

मयंक सक्सेना मयंक सक्सेना
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आखिरकार मुंबई में रिया चक्रवर्ती से दीपिका पादुकोण का पीछा करते हुए, मेनस्ट्रीम मीडिया माफ़िया में गैंगवार हो ही गया। मुंबई में एनसीबी के गेस्टहाउस के बाहर, रिपब्लिक टीवी के संवाददाता की अभद्रता से चिढ़े हुए, पत्रकारों ने रिपब्लिक संवाददाता प्रदीप भंडारी से न केवल झगड़ा किया, बल्कि उन पर हाथ भी उठा दिया।

घटना के बारे में Media Vigil ने वहां मौजूद कुछ पत्रकारों से बात की, उनका दिया ब्यौरा इस प्रकार है – “रिपब्लिक के पत्रकार प्रदीप भंडारी, पिछले लंबे समय से बाकी पत्रकारों के काम में खलल डालते रहे हैं। उनको उनके संपादक की ओर से आदेश है कि वे लगातार ऑन एयर न केवल बाकी मीडियाकर्मियों का चरित्रहनन करें, उनकी नीयत और ईमानदारी पर सवाल करें – बल्कि लगातार हमारे फ्रेम्स और लाइव के बीच भी वे आ जाते हैं। उनको कई बार इस बाबत टोंका गया लेकिन वे नहीं माने…आज सुबह वे अपने लाइव ब्रॉडकास्ट में बाकी मौजूद मीडियाकर्मियों को ‘चाय-बिस्किट’ वाला पत्रकार कह कर, हमारा तिरस्कार कर रहे थे। उनके कहने का आशय ये था कि बाकी पत्रकार चाय-बिस्किट खा-पीकर, ख़बरों को छिपा लेते हैं। इस पर भी अधिकतर पत्रकार साथियों ने संयम बनाए रखा। लेकिन फिर वे हमारे फ्रेम्स के बीच में आने लगे और उनको रोकने पर, उन्होंने हम सबको ही धमका कर, अभद्रता से बात करनी शुरू कर दी। ऐसे में दिल्ली से आए हुए एक कैमरापर्सन से उनकी हाथापाई हो गई और उनको एक थप्पड़ पड़ गया।”

आप हमारे इस वीडियो में ये देख भी सकते हैं। इसके बाद भी प्रदीप भंडारी ने शांत होने की जगह उकसावे वाली भाषा जारी रखी और इसी बीच, एक चैनल के मुंबई संवाददाता ने भी उन पर हाथ छो़ड़ दिया।

इसके बाद पुलिस को भी बीच में आकर, बीच-बचाव करना पड़ा। इस घटना में किसी भी तरह से किसी भी व्यक्ति पर हिंसा का विरोध तो होना ही चाहिए। लेकिन साथ ही ये भी ध्यान में रखना होगा कि रिपब्लिक टीवी के संवाददाता, उनके संपादकों का बर्ताव बाकी मीडिया संस्थानों के पत्रकारों का लगातार तिरस्कार और बाधा डालने वाला है। ज़ाहिर है कि ये लंबे समय का संचित गुस्सा है। मुंबई के मौके पर मौजूद एक और पत्रकार ने कहा, “ये सिलसिला लंबे समय से चल रहा है। रिपब्लिक के पत्रकार न केवल, 4-5 की संख्या में आते हैं – बल्कि किसी तरह के झगड़े-बहस के बाद, अपने और साथियों को वहां बुलाने लगते हैं। ये चैनल और इसके कर्मचारी, सभी किसी मर्सिनरी की तरह बर्ताव करते हैं।”

इसके बाद ट्विटर पर इस घटना के वीडियो और ट्वीट्स ट्रेंड करने लगे हैं। ज़ाहिर सी बात है कि सनसनीख़ेज़ ख़बरों के लिए किसी भी हद तक जाने और सत्ता की गोद में बैठ जाने की होड़ में आगे ऐसे और या इससे भी बुरे नज़ारे देखने को मिल सकते हैं।

नोट – Media Vigil इस तरह की किसी घटना और हिंसा का समर्थन नहीं करता है।