‘बॉस’ राजदीप ने बताया अर्णब को ‘फेंकू’ ! कहा, गुजरात दंगा कवर करने की बात झूठ ?

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क्या ‘अर्णव रिपब्लिक’ की पत्रकारिता ‘गणतंत्र की पत्रकारिता’ को शर्मिंदा कर रही है। कम से कम एडिटर्स गिल्ड के पूर्व अध्यक्ष और मशहूर टीवी पत्रकार राजदीप सरदेसाई को यह कहने में अब कोई हिचक नहीं है।

उन्होंने रिपब्लिक टीवी के अगिया बैताल ऐंकर और अपने पूर्व सहयोगी अर्णव गोस्वामी को सरेआम फेंकू कहा है और पत्रकारिता के अपने पेशे पर अफ़सोस ज़ाहिर किया है। दरअसल, अर्णव का एक वीडियो सामने आया है जिसमें वे दावा कर रहे हैं कि गुजरात दंगों के समय मुख्यमंत्री आवास के पास उनकी कार तोड़ दी गई थी। उन्होंने दंगे की भयावहता को काफ़ी नज़दीक से देखा है।

लेकिन हक़ीक़त ये है कि अर्णव गोस्वामी तब एनडीटीवी में काम करते थे जहाँ उनके बॉस राजदीप सरदेसाई थे। दंगों को कवर करने के लिए एनडीटीवी से राजदीप और कई रिपोर्टर गुजरात गए थे, लेकिन इस लिस्ट में अर्णव का नाम नहीं था।

राजदीप ने साफ़ लिखा कि अर्णव ने गुजरात दंगे कवर नहीं किए थे।

 

 

यूँ तो राजदीप और अर्णव की तनातनी जगज़ाहिर है। अर्णव जिन ‘लुटियन पत्रकारों’ पर निशाना साधते रहते हैं, राजदीप उनमें ख़ास हैं, लेकिन उनकी इस हरक़त को राजदीप ने पत्रकरिता के पेशे की दुर्गति का नमूना बताया। उनकी नज़र में ये फेंकूगीरी की हद है।

 

 

आख़िर ये वीडियो आया कहाँ से। राजदीप के मुताबिक उन्हें बताया गया कि अर्णव ने कभी असम में यह भाषण दिया था जब वहाँ कांग्रेस का शासन था।

 

 

राजदीप के इस ट्वीट पर चर्चा चल पड़ी तो कई गवाह भी सामने आए। एनडीटीवी संवाददाता रोहित भान ने बताया कि जो कार रोकी गई थी, उस पर राजदीप और प्रणय (रॉय ?) थे।

 

 

एनडीटीवी की ओर से तब गुजरात में दंगा कवर कर रहे संवाददाता संजीव सिंह ने भी अर्णव के दावे को चौंकाने वाला बताया। कुछ लोगों ने याद दिलाया कि यूँ खुलेआम किसी का नाम लेना ठीक नहीं तो राजदीप ने साफ़ किया कि वे सिर्फ़ तथ्य रख रहे हैं।

 

 

वैसे, इस मुद्दे पर अर्णव गोस्वामी की ओर से कोई जवाब नहीं आया है। ट्विटर पर उनके दफ़्तर के नाम से जो हैंडल है, वह भी ख़ामोश है। वहाँ रोहंग्यिा मुसलमानों से देश को बचाने की चीख़ पुकार है। वैसे कुछ लोग मज़ाक कर रहे हैं कि अर्णव को फेंकू कहे जाने से क्या आपत्ति होगी जब यह पदवी ख़ुद उनके माननीय मोदीजी को मिली है।

बहरहाल, अर्णव गोस्वामी का वह वीडियो देखिए और झूठ गढ़ने, उसे सजाने-सँवारने और पूरे आत्मविश्वास से पेश करने की कला को सराहिए–

 


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