IBN7 के संपादकों ने ढूँढा ब्रह्मास्त्र !

Mediavigil Desk
अभी-अभी Published On :


आईबीएन7 के संपादकों ने आखिरकार वह कर दिखाया जो पत्रकारिता के इतिहास में शायद ही कभी हो पाया हो। खबरें खोजने की उनकी क्षमता पर चाहे लाख सवाल हों, लेकिन भारतीय संस्कृति को रसातल से निकालकर आसमान में स्थापित करने की उनकी क्षमता निर्विवाद है। अपने ताजा कमाल में उन्होंने पांच हजार साल से गायब ब्रह्मास्त्र खोज निकाला है। उन्होंने परमाणु विज्ञान की किताबों में भी कुछ नये पन्ने जोड़ते हुए दावा किया कि है कि ये और कुछ नहीं दुनिया का पहला परमाणु हथियार था जिसका आठ बार इस्तेमाल हुआ था। रामायाण, महाभारत और भगवत गीता से प्रमाण देते हुए आईबीएन 7 के ऋषि-मुनियों ने आइंस्टीन की तस्वीर दिखाते हुए उनके ऊर्जा संबंधी सिद्धांत बतौर गवाह पेश किया।
5 मार्च 2016 को हुई इस महान खोज में बात ‘दुनिया के पहले परमाणु बम’ यानी ब्रह्मास्त्र तक ही सीमित नहीं थी। यह भी बताया गया कि पांच हजार साल पहले इन अस्त्रों को ले जाने के लिए बाकायदा उड़ने वाले विमान भी मौजूद थे। और यह विमान अभी भी पाकिस्तान के एक इलाके के किसी गुफा में छिपा achaten-suisse.com है। काँखती-काँपती और वायुविमोचन का आभास देने वाली आवाज बार-बार दर्शकों को यह बता रही थी कि वे यह पहली बार देख रहे हैं और यह कोई किस्सा या कल्पना नहीं सच्चाई है। बीबीसी पलट एंकर आकाश सोनी की मौजूदगी पर भला कोई अविश्वास करता भी कैसे, जो इसके असर, तकनीक और क्षमता पर विस्तार से ज्ञान दे रहे थे ! रामानंद सागर के सीरियल के टुकड़ों के जरिये वे पूरी श्रद्धा से इतिहास रच रहे थे। मसलन राजस्थान में रेगिस्तान इसलिए हुआ क्योंकि राम ने सेतुबंधन के समय समुद्र को सुखाने के लिए जिस ब्रह्मास्त्र को धनुष पर चढ़ाया था, उसे बाद में राजस्थान की दिशा में छोड़ दिया था। रेत में शीशे जैसी चमक की वजह उससे हुआ रेडियेशन ही है।
भारत में जारी देवासुर संग्राम के योद्धा इन ऋषि संपादकों को इसके लिए पद्मपुरस्कार मिले तो आश्चर्य नहीं होना चाहिए। कुछ असुर टाइप के पत्रकार यह ज़रूर पूछ सकते हैं कि भइये जब विमान की तकनीक भारत में पांच हजार साल पहले मौजूद थी तो फिर ईँधन और इंजन भी रहा होगा। यानी मोटर बन चुकी होगी तो फिर उसका इस्तेमाल करके गाड़ी भी बन सकती थी। लोग रथों में क्यों घूमते थे जो ऐसे पहियों पर चलते थे जिनमें ‘बॉल बियरिंग’ तक ना थी। एक तरफ तो परमाणु हथियार, धातु विज्ञान में श्रेष्ठता और दूसरी तरफ तीर कमान जैसे आदिवासियों के हथियार !
अब ऐसे मूर्खों को क्या जवाब दिया जाये। ये तो हैं ही देशद्रोही। उन्हें तो अभी और धक्का लगने वाला है। सुना है कि आईबीएन7 के रिपोर्टर ने उस शेषनाग का स्टिंग कर लिया है जो कह रहा है कि लाखों साल से धरती को अपने फन पर रखे-रखे वह थक गया है और उसका सालाना इन्क्रीमेंट बाज़ार में छाई मंदी का हवाला देकर रोक दिया गया है। चैनल के संपादक फिलहाल विचार कर रहे हैं कि कार्यक्रम का नाम ‘शेषनाग की फटी’ रखा जाये या ‘फट पड़ा शेषनाग’ ।
तो मिलते हैं एक ब्रेक के बाद…देखेंगे शेषनाग का वह रहस्य जो पहली बार सामने आया है….खोपड़ी फोड…बुद्धिछोड़…ताबड़तोड़.!