UP: डीएचएफएल मामले में कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष ने ऊर्जा मंत्री से पूछे 7 सवाल

तौसीफ़ कुरैशी
उत्तर प्रदेश Published On :


उर्जा विभाग में हुए भ्रष्टाचार को कांग्रेस की नवगठित कमेटी बहुत ही गंभीरता से ले रही है। उत्तर प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष अजय कुमार लल्लू ने कहा कि 24 मार्च को डीएचएफएल में पहली बार पैसा जमा किया। तब प्रदेश के मुख्यमंत्री आदित्यनाथ योगी थे और श्रीकांत शर्मा ऊर्जा मंत्री थे।भाजपा लगातार प्रदेश की जनता से झूठ बोल रही है। ताकि उसका भ्रष्टाचार छुप सके।

उत्तर प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष अजय कुमार लल्लू ने ऊर्जा मंत्री श्रीकांत शर्मा से जबाब मांगते हुए कहा कि ऊर्जा मंत्री अगर इतना ही दूध के धुले हुए हैं तो मेरे कुछ सवालों का जबाब दें दे। दूध का दूध और पानी का पानी हो जाएगा। उत्तर प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष ने कहा कि पूरे सूबे की जनता भाजपा के भ्रष्टाचार को देख रही है। ऊर्जा मंत्री की बौखलाहट बता रही है कि दाल में कुछ काला है।

उन्होंने कहा कि मेरे द्वारा उठाये गए सवाल उत्तर प्रदेश की जनता का सवाल है, लाखों कर्मचारियों का सवाल है। मंत्री अपनी जिम्मेदारियों से भाग नहीं सकते हैं। हम ऊर्जा मंत्री से मांग करते हैं कि एक प्रेस कॉन्फ्रेंस करके वे निम्न सवालों का जबाब दें-

1.डीएचएफएल में निवेश का अनुमोदन कब हुआ? कब हस्ताक्षर किया गया? मार्च 2017 के बाद से दिसंबर 2018 तक किन किन तारीखों में निवेश किया?

2.अब तक डीएचएफएल से हुए पत्राचार, डीएचएफएल की ओर से कौन लोग बात कर रहे थे ?
सार्वजनिक किया जाए।

3.आखिर भाजपा को सबसे ज्यादा व्यक्तिगत चंदा देने वाले वधावन की निजी कंपनी डीएचएफएल को ही नियमों को ताक पर रखते हुए कर्मचारियों की जीवन की पूंजी क्यों सौंपी गई ?

4. क्या उर्जा मंत्री के विभाग में हजारों करोड़ रुपये के संदिग्ध सौदे छोटे स्तर के अधिकारी कर लेते हैं और उन्हें खबर नहीं होती ? सरकार के खजाने को यूंही बेपरवाही से लुटवाते हैं मंत्री ?

5.गरीब जनता की बिजली कुछ सौ और हजार रुपये के बकाया पर कटवा देने वाले मंत्री विभाग के खजाने से हजारों करोड़ रुपये देशद्रोहियों दाऊद इब्राहिम और इकबाल मिर्ची से जुड़ी कंपनियों को देते हैं ?

6.DHFL की ओर से डील करने वाला अमित प्रकाश अभी भी क्यू नहीं पकडा जा रहा है ? यह अमित प्रकाश ऊर्जा मंत्री से या उनके रिश्तेदारों से कब कब मिला ?

7.ईओडब्ल्यू ने अभी तक विजिटर बुक क्यों नहीं सील की ? क्या मुलाकातियों की सूची में हेराफेरी की जा रही है ? ये जनता के टैक्स का पैसा है, कर्मचारियों के खून पसीने की कमाई है। सबको जानने का हक है।


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