कुरुक्षेत्र: महिलाओं के खिलाफ बढ़ते अपराध के खिलाफ रोष प्रदर्शन

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हैदराबाद में महिला पशु चिकित्सक से सामूहिक दुष्कर्म के बाद जिंदा जलाकर हत्या किए जाने की वीभत्स घटना व रांची में कानून की छात्रा के अपहरण व गैंगरेप की बर्बर घटना के खिलाफ 2 दिसंबर को जन संघर्ष मंच (हरियाणा) के कार्यकर्ताओं ने रोष प्रदर्शन किया।

आए दिन महिलाओं के खिलाफ बढ़ रहे यौन हिंसा, सामूहिक दुष्कर्म व हत्या जैसी घटनाओं के खिलाफ इस रोष प्रदर्शन की शुरूआत महाराणा प्रताप चौक से की गई व प्रदर्शन का नेतृत्व मंच जिला सचिव चंद्र रेखा ने किया। प्रदर्शनकारी महिलाओं की सुरक्षा में नाकाम सरकारो व पुलिस प्रशासन के खिलाफ जोरदार नारेबाजी करते हुए ब्रह्मसरोवर पर आयोजित हो रही गीता जयंती पर पहुंचे और वहां पर अपना रोष व्यक्त किया।जहां आम लोगों ने भी महिलाओं की सुरक्षा में नाकाम पुलिस प्रशासन व सरकार के खिलाफ अपना विरोध व्यक्त किया।

मंच सचिव चंद्र रेखा ने कहा कि आज महिलाएं घर, सड़क, दफ्तर कहीं पर भी सुरक्षित नहीं है। छोटी बच्ची से लेकर वृद्धा महिलाएं बलात्कार की शिकार हो रही है। भारत महिलाओं के लिए दुनिया में सबसे असुरक्षित देश बन गया है। लेकिन देश की सरकार व पुलिस प्रशासन की नाकामी की वजह से अपराधियों के हौसले बुलंद है। महिला सुरक्षा के बड़े-बड़े दावे व खोखले नारों की असलियत आज यह है कि महिलाओं के खिलाफ यौन हिंसा मामलों में सजा दर बहुत कम है । मंत्री व नेताओं की मानसिकता अपराधियों को सजा दिलवाने व उनके खिलाफ कड़ी कार्यवाहियां करने के बजाय पीड़िता को ही कसूरवार ठहराने की होती है। हैदराबाद मामले में पीड़िता के परिवार के पुलिस ने इधर से उधर चक्कर कटवाए, अपराधियों को तत्काल पकड़ने की कोशिश करने के बजाय अपनी नाकामी दिखाई है जो कि घोर निंदनीय है ऐसे पुलिसकर्मियों के खिलाफ कड़ी कार्यवाही की जाए ।

मंच जिला उपप्रधान उषा ने कहा कि बलात्कार जैसी वीभत्स घटनाओं को सांप्रदायिक रंग दिया जाना अत्यंत शर्मनाक है। हैदराबाद की घटना हो या कठुआ गैंगरेप जिस तरह बलात्कार की घटनाओं को सांप्रदायिक रंग दिए जाने की कोशिशें की गई यह अपराधों के प्रति संवेदनहीनता पैदा करना है। हैदराबाद, रांची, बागपत, दिल्ली एनसीआर में घटने वाली कुछ घटनाएं ही मीडिया में आने से सामने आ रही है, लेकिन हर रोज गरीब, दलित, आदिवासी महिलाओं के खिलाफ बर्बर अत्याचार की घटनाएं घट रही है। जो रिपोर्ट भी नहीं हो पाती है। पुलिस प्रशासन की संवेदनहीनता व नाकामी का नतीजा है कि पैसे, राजनीति के बल पर अपराधियों को कोई डर नहीं है। निर्भया कांड के बाद भी महिलाओं पर हो रहे अपराधों में कोई कमी नहीं आई है। एक तरफ जहां न तो जस्टिस वर्मा कमेटी की सभी सिफारिशें मानी गई है, दूसरी तरफ निर्भया फंड के तहत जारी की राशियां भी इस्तेमाल नहीं की गई है।

केंद्र की मोदी सरकार ‘बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ’ जैसे नारे तो दे रही है लेकिन महिलाओं की सुरक्षा के लिए कोई भी ठोस कदम उठाने में पूरी तरह आंखें मूंदे बैठी है। देश की जनता का पैसा सरकार विज्ञापनों के जरिए वाहवाही करवाने में तो खर्च किया जा रहा है लेकिन महिलाओं की सुरक्षा के लिए मूलभूत आवश्यकताओं जैसे सड़कों पर रोशनी का प्रबंध, सीसीटीवी कैमरों, महिलाओं के लिये सुरक्षित पब्लिक ट्रांसपोर्ट पर कोई खर्च नहीं किया जा रहा है। रेप पीड़िताएं न्याय के लिए दर-दर की ठोकरें खाने को मजबूर होती है , लेकिन उनकी कोई सुनवाई नहीं की जाती।

मंच मांग करता है कि हैदराबाद में महिला डॉक्टर के हत्यारों को जल्द से जल्द कड़ी से कड़ी सजा दी जाए, रांची की पीड़िता को जल्द से जल्द न्याय दिया जाए। महिलाओं के खिलाफ यौन हिंसा पर रोक लगाने के लिए सख्त कदम उठाए जाएं। बलात्कार-यौन हिंसा की घटनाओं को सांप्रदायिक रंग देना बंद किया जाए। मंच आह्वान करता है कि महिलाओं पर बढ़ते अपराधों के खिलाफ जन आंदोलन तेज किया जाए।

रोष प्रदर्शन में मंच राज्य प्रधान फूल सिंह, जिला प्रधान संसार चंद्र, कविता विद्रोही, शिल्पी, कोमल, मंदीप, राजिंदर कौर , सीमा, करनैल सिंह ,अमनदीप, करमजोत ,पूजा ,बलजीत, भारती ,संतोष आदि मौजूद रहे।


जारी कर्ता: डॉ. लहना सिंह, प्रवक्ता जन संघर्ष मंच हरियाणा