कोरोना: ज़रूरतमंदों की मदद में आगे आये कई संगठन, केंद्र ने SC में कहा- सड़क पर कोई नहीं

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कोरोना वायरस महामारी के कारण बिना किसी पूर्व  तैयारी के सरकार द्वारा 21 दिनों की देशव्यापी तालाबंदी के फ़रमान का सबसे बुरा असर प्रवासी और असंगठित क्षेत्र के मजदूर वर्ग पर पड़ा है. इस लॉकडाउन से कोरोना से संक्रमित हुए बिना अब तक देशभर में दो दर्जन से अधिक मज़दूर और उनके परिजन जिनमें मासूम बच्चे भी शामिल हैं, लंबी दूरी तक पैदल यात्रा की थकान और सड़क दुर्घटना में मारे गए हैं. आज जब हज़ारों मज़दूर सड़कों पर हैं. ऐसे में केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा देकर कहा है कि कोई भी मज़दूर सड़क पर नहीं है. 

इस आपात देशव्यापी बंद से जहां सरकारी और प्रशासन की लापरवाही और बदइंतज़ामी का पर्दाफ़ाश हो चुका है, हालांकि सरकार ने बाद में कई कदम उठाए हैं किंतु वे भी नाकाफ़ी हैं. ऐसे में  कई निजी स्वयंसेवी संगठन ऐसी स्थिति में मजदूरों की मदद के लिए आगे आये हैं. ‘पीपुल्स अलायन्स’ नामक एक संगठन पूरे उत्तर प्रदेश में ज़रूरतमंदों की मदद कर रहा है. पीपुल्स अलायन्स  उत्तर प्रदेश में लोगों को मास्क. अनाज और ज़रूरत की दवाइयां बांट रहा है.

पीपुल्स अलायन्स की टीम ने आज सिद्धार्थनगर के डुमरियागंज कस्बा में झुग्गी-झोपड़ी,स्लम क्षेत्र में रह रहे  जरूरतमंदों तक राहत सामग्री और मास्क का वितरण किया.

पीपुल्स अलायन्स ने एक प्रेस नोट जारी कर कहा है कि, कोरोना_वायरस के संक्रमण से बचाव के लिए सैकड़ों से ज्यादा मास्क का वितरण हो गया है और मास्क बन रहें हैं।लॉकडाउन में सभी टेलर की दुकान बंद होने की वजह से मास्क बनाने में माँ, बहनों का महत्वपूर्ण योगदान रहा.

लॉकडाउन में गरीब, मजदूर, रिक्शा चालक, और कई ऐसे लोग जो रोज कमा कर खाने वाले लोग थे, उनकी दिक्कतें बढ़ी हैं. ऐसे में पीपुल्स अलायन्स हर जरूरतमंदों तक राहत सामग्री और मास्क वितरण करने में हर संभव प्रयास कर रहा है.राहत सामग्री किट में
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पीपल्स अलायन्स ने डुमरियागंज में करीब सैकड़ों के तादात में राहत सामग्री किट बनवा लिया है, जिसे जरूरतमंदों तक वितरण कर रही है।इस राहत सामग्री और आवश्यक वस्तुओं के वितरण में कई लोगों का अथक सहयोग रहा. राहत सामग्री वितरण में शाहरुख अहमद, अज़ीमुश्शान फ़ारूक़ी,
जावेद आदि मौजूद रहे. पीपल्स अलायन्स टीम कोरोना वायरस संक्रमण की वजह से हुए लॉकडाउन में पूरे प्रदेश में ज़रूरतमंद लोगों को लखनऊ, आज़मगढ़, सिद्धार्थनगर, मुजफ्फरनगर, फैज़ाबाद, इलाहाबाद, गाज़ियाबाद, हरदोई, देहरादुन और कई जिलों में जरूरतमंदों को चिन्हित कर राहत सामग्री और आवश्यक वस्तुओं का वितरण जरूरतमंदों पहुचाने का काम कर रही है.

वहीं, प्रवासी मज़दूरों की मदद के लिए कुछ छात्रों और युवाओं ने ‘माइग्रेंट वर्कर सॉलिडेरिटी‘ नाम से एक हेल्पलाइन शुरू किया है. इस हेल्पलाइन के जरिए ये लोग देशभर के ज़रूरतमंद प्रवासी श्रमिकों की सहायता कर रहे हैं. इस हेल्पलाइन की ख़ासियत यह है कि यह 24 घंटा खुला है और हर राज्य के लोग यहां अपनी क्षेत्रीय भाषा में बात कर सकते हैं.

ज़रूरतमंद साथी निम्नलिखित नंबरों पर संपर्क कर सकते हैं :उत्तम (हिन्दी/भोजपुरी): 9572293823सुमित (हिन्दी/राजस्थानी/पंजाबी): 8302997292खुशीराम (हरियाणवी/हिन्दी): 9911258717मुकुल (हिन्दी): 9412969989राशी (छत्तीसगढ़ी/हिन्दी): 8375816107हसन (बंगाली/हिन्दी – बेंगलोर): 8637045077कुशल (बंगाली): 9674623375 श्रेया (बंगाली): 7044195482  जयदीप (बंगाली): 8346875177छेवाङ (नेपाली/हिन्दी): 9593861106 सुनील (तेलुगु/हिन्दी): 9445419894 अरुनाभ (असमिया) – 7002386079 बिदिशा (असमिया) 7664076403शांतिस्निग्धा (ओड़िया) 6371211734विक्रम (ओड़िया, कन्नड़, बंगाली, हिंदी) 9019215142 सहयोग में हम क्या कर सकते हैं.

माइग्रेंट वर्कर सॉलिडेरिटी ने एक बयान जारी कर कहा है –

प्रवासी मज़दूरों के अधिकारों को सुनिश्चित करने के लिए किसी भी सरकार ने प्रयास नही किया है। ऐसी हालत में आप और हम मिलकर निम्नलिखित योगदान कर सकते है:

1. रहने के लिए आश्रय स्थल और न्यूनतम खाद्य-सामग्री का बंदोबस्त कर रहे सरकारी/गैरसरकारी संगठनों से सम्बंधित जानकारी अदान प्रदान करना और जितना संभव हो श्रमिकों को यह सहायता उपलब्ध कराने की कोशिश करना।

2. डॉक्टर साथी इस मेडिकल इमरजेंसी में मज़दूरों का सहयोग कर सकते है और ज़रूरी दवाई, सेनेटरी पैड इत्यादि के बंदोबस्त का प्रयास कर सकते है।

3. प्रवासी मज़दूरों तक उनके राज्यों से जारी हेल्पलाइन नंबर या ज़रूरी सूचना पहुँचाना अथवा वहां के स्थानीय प्रशासन से संपर्क करवाने की कोशिश करना।

4. केन्द्रीय सरकार के आदेश दिनांक (29.03.2020) के अनुसार सभी मज़दूरों को लॉकडाउन अवधि का वेतन देना अनिवार्य है एवं उनकी छंटनी भी गैरकानूनी है। कोई मकान मालिक इस महीने का किराया नहीं वसूल सकता है । जो मज़दूर अपने घरों के लिए निकल रहे है, उनके रहने की व्यवस्था वहीं की जाए। जहाँ इस आदेश का पालन नहीं हो रहा है, हम वहां के सरकारी अधिकारियों के साथ संपर्क कर, इसको लागू करने का प्रयास कर सकते है।

5. प्रवासी मज़दूरों पर कहीं भी अन्याय होने पर उसके खिलाफ़ आवाज़ उठाये और सरकार को कार्यवाही करने पर मजबूर करे।

इस विपदा की स्थिति में हम प्रवासी मज़दूरों के साथ खड़े हो सके, इस उद्देश्य से हम ये हेल्पलाइन नंबर जारी कर रहे है. हमारे साधन सीमित हैं, लेकिन साथियों के सहयोग से असंभव काम को भी सम्भव बनाया जा सकता है.

 

 

 

 

 


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