कोरोना के कारण बंद स्कूलों के बच्चों को मिलेगा मिड-डे मील, SC के दख़ल पर केंद्र का निर्देश

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कोरोना वायरस की वजह से स्कूल बंद होने के बाद सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र और राज्य सरकारों को नोटिस जारी कर पूछा था कि वे बताएं कि वे बंद के दौरान बच्चों को भोजन कैसे देंगे? कोरोना वायरस के बढ़ते मामलों के कारण दिल्ली-एनसीआर और अन्य कई राज्यों में 31 मार्च तक स्कूल बंद हैं. केंद्र सरकार ने कोरोना वायरस के मद्देनजर 16 मार्च को सभी स्कूलों को बंद करने का आदेश दिया था. अदालत के इस आदेश के बाद केंद्र ने राज्यों को आदेश जारी कर कहा है कि वे कक्षा एक से लेकर आठवीं तक के सभी छात्रों को गर्म पका हुआ भोजन दें या भोजन भत्ता दें.

मानव संसाधन एवं विकास मंत्रालय का कहना है कि कोरोना वायरस की वजह से स्कूल बंद होने से बच्चों को मिड-डे मील नहीं मिल पा रहा है, ऐसे में राज्य बच्चों को घर पर ही भोजन मुहैया कराएं या उन्हें खाद्य सुरक्षा भत्ता दें.

एचआरडी मंत्रालय के संयुक्त सचिव आरसी मीणा द्वारा शुक्रवार को सभी राज्य सरकारों को लिखे गए पत्र में कहा गया, ‘जैसा कि देश कोविड-19 की वजह से मुश्किल भरे दौर से गुजर रहा है. ऐसे में राज्य सरकारों और केंद्रशासित प्रदेशों को सलाह दी जाती है कि कोरोना वायरस की वजह से स्कूल बंद होने तक वे सहूलियत के हिसाब से या तो बच्चों को गर्म पका हुआ मिड डे मील मुहैया कराएं या उन्हें फूड सिक्योरिटी अलाउंस दें.’

उच्चतम न्यायालय ने कोरोना वायरस संक्रमण के प्रकोप के चलते देश के कई हिस्सों में स्कूलों के बंद होने के कारण बच्चों के लिए मिड-डे मील उपलब्ध नहीं होने के मामले का बुधवार, 18 मार्च को संज्ञान लिया.

प्रधान न्यायाधीश एसए बोबडे के नेतृत्व में एक पीठ ने मामले पर संज्ञान लिया और राज्यों एवं केंद्र शासित प्रदेशों को नोटिस जारी कर पूछा था कि स्कूल बंद किए जाने पर बच्चों को मिड-डे मील कैसे उपलब्ध कराया जा रहा है?

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केरल स्कूल बंद होने की वजह से घर पर रह रहे छात्रों को पहले से ही गर्म पका हुआ खाना मुहैया करा रहा है.

पश्चिम बंगाल ने भी इसी तरह की घोषणा की है. अदालत के संज्ञान और केंद्र के आदेश के बाद तमाम राज्य पहली से आठवीं कक्षा तक के सभी विद्यार्थियों के घर मिड डे मील पहुंचाने में लग चुके हैं.

 


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