अख़बारनामा: मोदी के मंत्री पर घूस का आरोप पहले पन्ने पर लेकिन अमर उजाला की हिम्मत न हुई!

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ठीकरा डोभाल पर; पीएमओ, प्रधानमंत्री, गुजरात की भी कोई चर्चा नहीं

संजय कुमार सिंह


सीबीआई के विशेष निदेशक राकेश अस्थाना के खिलाफ जांच से हटाकर टांसफर किए गए डीआईजी मनीष सिन्हा के सुप्रीम कोर्ट में पहुंचने और उनके आरोपों को जानने के बाद ही मुझे लग गया था कि आज अखबार में देखने लायक खबर यही होनी है। मैं यह भी सोच रहा था कि दि टेलीग्राफ में इस खबर का शीर्षक क्या होगा। सुबह उठा तो अखबार नहीं आए थे (मैं भी यही चाहता था इसलिए जल्दी नीन्द खुल गई थी)। कंप्यूटर पर द टेलीग्राफ ने इस खबर को जिस विस्तार से छापा है उसे देखकर मजा आया।

शीर्षक से थोड़ी देर जूझने के बाद दूसरे अखबार देखने शुरू किए तो हिन्दुस्तान टाइम्स में यह खबर पहले पेज पर तो है लेकिन फोल्ड के नीचे तीन कॉलम में। शीर्षक है, “सीबीआई अधिकारी ने सुप्रीम कोर्ट में अपील में अपने वरिष्ठों, सरकारी अधिकारियों, मंत्री के नाम लिए”। छह लाइनें हाईलाइट की गई हैं उसमें भी कोई नाम नहीं है। यह आरोप लगाने वाले अधिकारी मनीष कुमार सिन्हा के बारे में है और यह भी कि उनका तबादला 24 अक्तूबर को कर दिया गया था। उन्होंने आरोप लगाया कि यह कदम मनमाना और (किसी मकसद से) प्रेरित (मोटिवेटेड) था।

इंडियन एक्सप्रेस ने इसे पहले पेज पर दो कॉलम में छापा है। फ्लैग शीर्षक है, “स्थानांतरण के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिका।” मुख्य शीर्षक है, “अस्थाना के खिलाफ जांच में एनएसए का हस्तक्षेप रहा: सीबीआई डीआईजी”.. उपशीर्षक है, “अस्थाना मामले में शिकायतकर्ता ने दावा किया कि राज्यमंत्री ने कुछ करोड़ रुपए लिए: सिन्हा” टाइम्स ऑफ इंडिया में आज पहले पेज पर आठ कॉलम में आधे पेज का विज्ञापन है। फिर भी यह खबर पहले पेज पर है। शीर्षक है, “मंत्री एनएसए ने अस्थाना की जांच बाधित की। शंट किए गए सीबीआई डीआईजी सुप्रीम कोर्ट में”। अंग्रेजी के चारो अखबारों में रिश्वत लेने के आरोपी मंत्री की फोटो नहीं है। नाम भी प्रमुखता से तो नहीं है। बॉडी में हो तो नहीं कह सकता पर सरसरी निगाह से पढ़ने में नहीं मिला।

हिन्दी अखबारों में आज सबसे पहले दैनिक भास्कर लेता हूं। अखबार में यह खबर छह कॉलम में लीड है और फोटो के साथ घटना के चार प्रमुख किरदारों से संबंधित बॉक्स हैं। ये हैं, मनीष सिन्हा, राकेश अस्थाना, अजीत डोभाल और केंद्रीय मंत्री हरिभाई पार्थीभाई चौधरी जिनपर नकद लेने का आरोप है। फ्लैग शीर्षक है, “सीबीआई रिश्वत कांड”। और फिर, “सीबीआई के स्पेशल डायरेक्टर राकेश अस्थाना के खिलाफ जांच से हटाकर ट्रांसफर किए गए डीआईजी मनीष सिन्हा सुप्रीम कोर्ट पहुंचे, एनएसए और मंत्री पर अस्थाना को बचाने का आरोप”। अखबार का मुख्य शीर्षक है, “डोभाल ने अस्थाना के घर की तलाशी रुकवाई, मंत्री हरिभाई ने पैसे लिए सीबीआई डीआईजी”। इंट्रो है, “डीआईजी ने जल्द सुनवाई की मांग करते हुए कहा – मेरे पास ऐसे सबूत कि आप चकित हो जाएंगे”।

नवोदय टाइम्स में भी यह खबर पहले पेज पर है और भले फोल्ड पर है लेकिन लीड कह सकते हैं। फ्लैग शीर्षक है, “सीबीआई के डीआईजी का सनसनीखेज आरोप। डोभाल ने नीरव, अस्थाना की जांच अटकाई”। अखबार ने, “डीआईजी सिन्हा के आरोप” शीर्षक से एक बॉक्स बनाया है जिसमें पांच आरोप गिनाए गए हैं। इसके साथ एक और बॉक्स है, केंद्रीय मंत्री चौधरी पर लगाए आरोप। खबर में पहले पेज पर मंत्री का नाम तो है पर मंत्री की फोटो नहीं है। हो सकता है मंत्री जी की फोटो कम छपती रही है इसलिए उपलब्ध ना हो क्योंकि राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल की है।

नवभारत टाइम्स में यह खबर तीन कॉलम में तीन लाइन के शीर्षक के साथ लीड है, “सीबीआई अफसर ने कोर्ट में डोभाल और मंत्री को आरोपो में लपेटा” शीर्षक के साथ। उपशीर्षक है, “तबादले पर कोर्ट पहुंचा अस्थाना की जांच कर रहा डीआईजी”। इसके साथ एक बॉक्स का शीर्षक है, “एनएसए पर दो बार दखल का आरोप”। इस बॉक्स में तीन फोटो हैं। एक एनएसए अजीत डोभाल की, दूसरी मनीष सिन्हा की और तीसरी रिश्वत लेने के आरोपी केंद्रीय मंत्री की। मंत्री जी की फोटो छोटी है। जगह की कमी रही होगी।

अमर उजाला में यह खबर पहले पेज पर नहीं है। ऐसी खबर पहले पेज पर नहीं होने के दो मतलब होते हैं – खबर मिली नहीं और छापने की हिम्मत नहीं हुई (या खबर, खबर जैसी लगी ही नहीं)। अमर उजाला में यह खबर अंदर पेज 13 पर चार कॉलम में है। मतलब देश-विदेश की खबरों के पेज पर भी लीड नहीं है। यहां जो खबर लीड है उसका शीर्षक है, “आईएसआई ने स्थानीय सेल की मदद से किया हमला : अमरिन्दर”। इस खबर को महत्व नहीं देने का कारण यह हो सकता है कि इसे सुप्रीम कोर्ट में सूचीबद्ध नहीं किया गया है। अखबार ने मनीष सिन्हा की फोटो के साथ लिखा भी है, सुप्रीम कोर्ट ने सिन्हा की याचिका पर सुनवाई से किया इनकार। अखबार ने पेज 13 पर खबर को पूरे विस्तार से छापा है और इसमें केंद्रीय मंत्री पर रिश्वत लेने का आरोप और उनका नाम भी है पर फोटो नहीं है लेकिन उनका पक्ष है। उन्होंने कहा है कि वे किसी सतीश बाबू सना को नहीं जानते। सीबीआई अधिकारी का आरोप आधारहीन और दुर्भावनापूर्ण है।

दैनिक हिन्दुस्तान ने इसे पहले पेज पर छोटे से डबल कॉलम में छापा है। अमृतसर में धार्मिक सत्संग पर हमले में तीन घायल की खबर कल इस अखबार में सात कॉलम में थी। आज की खबर का शीर्षक है, “सीबीआई डीआईजी ने मंत्री अफसरों पर आरोप लगाए”। “सनसनीखेज” के तहत दो आरोप हैं। अंदर के पेज पर “बनाया गया दबाव” खबर की सूचना है। अंदर छह कॉलम में छपी खबर का शीर्षक है, “जांच प्रभावित करने को शीर्ष स्तर से दबाव : सिन्हा।” इसके साथ और भी कई खबरें। इनमें ज्यादातर की चर्चा पहले हो चुकी है।

दैनिक जागरण ने दिल्ली संस्करण में इसे लीड बनाया है। “शीर्ष अफसरों पर भी उछला सीबीआई का कीचड़” शीर्षक से यह खबर पहले पेज पर तीन कॉलम में है। उपशीर्षक है, “डीआईजी ने मंत्री और एनएसए पर भी लगाए संगीन आरोप”… इसमें एक कॉलम में एक लाइन के शीर्षक, “चंद्रा ने सिन्हा के दावे को फर्जी बताया” के तहत चार बिन्दु हैं। इससे पता चलता है कि सिन्हा ने विधि सचिव सुरेश चंद्रा का भी नाम लिया है। इसमें चंद्रा ने यह भी कहा बताया गया है कि मुझे कैबिनेट सचिव से कोई निर्देश नहीं मिला। इस तरह, यह खबर और भी बहुत कुछ बता रही है। और मामला सिर्फ कीचड़ उछलने का नहीं है। जागरण की इस खबर में डोभाल ने रुकवाई थी तलाशी, कैबिनेट सचिव, विधि सचिव, सीबीआई के शीर्ष अधिकारी एक केंद्रीय मंत्री सबका नाम हवाला तो है ही फिर भी प्रधानमंत्री या उनके करीबी या उनके कार्यालय और यहां तक कि गुजरात जैसा कुछ शीर्षक में या बोल्ड में नहीं है। फोटो यहां सिर्फ सुप्रीम कोर्ट की है।

राजस्थान पत्रिका में यह खबर चार कॉलम में लीड है। फ्लैग शीर्षक है, “सीबीआई संकट : एक और अफसर पहुंचा कोर्ट, सरकार पर लगाए आरोप”। मुख्य शीर्षक है, “जांच में डोभाल का दखल, केंद्रीय मंत्री ने ली थी करोड़ों की रिश्वत” अखबार में मुख्य खबर के साथ एक छोटी खबर, “विधि सचिव पर भी लगाया आरोप” भी है। अजीत डोभाल और रिश्वत लेने के आरोपी केंद्रीय मंत्री हरिभाई पार्थीभाई चौधरी की फोटो है। इसके ठीक नीचे दो कॉलम में खबर है, “हमें कोई चीज चौंका नहीं सकती : सीजेआई”. यह दैनिक भास्कर के इंट्रो से संबंधित है। इसके मुताबिक, “इस मामले में कोर्ट ने तुरंत सुनवाई से इनकार करते हुए कहा कि हमें कोई चीज अब चौंका नहीं सकती। सीजेआई रंजन गोगोई ने कहा है कि आपकी याचिका सूचीबद्ध नहीं होगी लेकिन मंगलवार की सुनवाई में आप मौजूद रहें। एक सिंगल कॉलम की खबर और है, जिसका शीर्षक है, “कांग्रेस बोली घूस के आरोपी मंत्री को बचा रहा है पीएमओ।”

लेखक वरिष्ठ पत्रकार हैं।