वरिष्‍ठ पत्रकार ओम थानवी की ‘घर वापसी’, राजस्‍थान पत्रिका समूह के सलाहकार संपादक बने

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जनसत्‍ता के कार्यकारी संपादक पद से दो साल पहले सेवानिवृत्‍त हुए वरिष्‍ठ पत्रकार ओम थानवी ने आज से राजस्‍थान पत्रिका समूह के साहकार संपादक का दायित्‍व संभाल लिया है। पिछले तीन दिनों से इस बात की चर्चा थी और दो वेबसाइटों पर इस आशय की अपुष्‍ट खबर छप चुकी थी। मंगलवार देर रात मीडियाविजिल ने ओम थानवी से फोन पर बात की जब वे बीकानेर से चले थे। उन्‍होंने बताया था कि तब तक उन्‍होंने यह जिम्‍मेदारी नहीं संभाली थी और पत्रिका के दफ्तर जाना दरअसल ”शादी से पहले की देखा-देखी” थी। उन्‍होंने कहा था कि जैसे ही औपचारिक रूप से वे पत्रिका समूह से जुड़ेंगे, खुद इसकी ख़बर करेंगे।

आज उन्‍होंने इस आशय की सूचना फेसबुक पर शाया की है। नीचे उनकी फेसबुक पोस्‍ट पढ़ी जा सकती:

आज औपचारिक रूप से मैंने राजस्थान पत्रिका समूह के सलाहकार सम्पादक का ज़िम्मा संभाल लिया। पत्रकारिता की विधिवत शुरुआत मैंने पत्रिका से ही की थी। 1980 में, संस्थापक कर्पूरचंद कुलिश के बुलावे पर। तीस वर्ष पहले पत्रिका से आकर ही चंडीगढ़ में जनसत्ता का सम्पादक हुआ। वहाँ से दिल्ली आया। आप कह सकते हैं, आज घरवापसी हुई।

इस बीच पत्रिका समूह बहुत व्यापक हो गया है। अख़बार, टीवी, रेडियो, डिज़िटल आदि विभिन्न मीडिया क्षेत्रों में उसकी अपनी जगह है। दैनिक पत्रिका का प्रकाशन अब राजस्थान के अलावा दिल्ली, मध्यप्रदेश, छत्तीसगढ, गुजरात, पश्चिम बंगाल, कर्नाटक और तमिलनाडु से भी होता है। 33 संस्करण छपते हैं। कोई 1 करोड़ 29 लाख पाठक इसे पढ़ते हैं। बीबीसी-रायटर के एक सर्वे में देश के सर्वाधिक विश्वसनीय तीन अख़बारों में पत्रिका एक था।

मेरे लिए पत्रिका का प्रस्ताव स्वीकार करने की एक बड़ी वजह रहा समूह का जुझारू अन्दाज़। संघर्ष की ललक और सत्ता के समक्ष न झुकने का तेवर। इसकी एक वजह शायद यह है कि मीडिया ही इस समूह का मुख्य व्यवसाय है। इससे समझौते की जगह लिखना अहम हो जाता है। हाल में राजस्थान सरकार ने मीडिया को क़ाबू करने के लिए जिस काले क़ानून को थोपने की कोशिश की, वह पत्रिका के मोर्चा लेने के कारण ही आंदोलन बना और अंततः सरकार झुकी। क़ानून का इरादा हवा हुआ।

पत्रिका के प्रधान सम्पादक गुलाब कोठारी केंद्र सरकार के कामकाज पर तीखे संपादकीय नाम से लिखते आए हैं। उनके सम्पादक भी स्वतंत्र भाव से लिखते हैं। जब पत्रकारों-संपादकों में बिछने की चाह बलवती हो, पत्रिका की इस भूमिका ने भी मुझे उससे जोड़ा है। समूह के अनेक पत्रकारों के साथ मैंने पहले भी काम किया है।

तो उम्मीद है काम का मज़ा रहेगा। पत्रिका की सार्थक पत्रकारिता में कुछ योगदान कर सका तो उसका संतोष भी।

मेरा मुख्यालय दिल्ली (कहिए एनसीआर) रहेगा।