अख़बारनामा: हिन्दुस्तान टाइम्स ने कश्मीरियों के ख़िलाफ़ अभियान की हवा निकाली


सीआरपीएफ पर हमले के लिए कश्मीरियों को जिम्मेदार बता कर उन्हें परेशान किया जा रहा था


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संजय कुमार सिंह

वैसे तो आज के लगभग सभी अखबारों में कश्मीर के अलगाववादी (हिन्दुस्तान), पाक परस्तों (दैनिक भास्कर) की सुरक्षा छीने जाने और सुरक्षा से ‘आजादी’ (नवभारत टाइम्स) की खबर है पर हिन्दुस्तान टाइम्स का पहला पन्ना सबसे खास है। हिन्दुस्तान टाइम्स ने इस खबर को पांच कॉलम में छापा है। शीर्षक है, तनाव बढ़ा तो अलगाववादी नेताओं की सुरक्षा वापस ली गई। उपशीर्षक है, सरकार ने कहा, दूसरों की सुरक्षा की समीक्षा की जा रही है, हुर्रियत ने कहा, आवश्यकता नहीं है। कश्मीर में सीआरपीएफ पर हमला और 40 से ज्यादा जवानों की मौत के बाद देश भर में जो माहौल बना उसका असर कश्मीर के बाहर रह रहे कश्मीरियों पर पड़ा। उनपर हमले औऱ परेशान किए जाने की खबरे अखबारों और सोशल मीडिया में भी थीं। दैनिक जागरण में इससे अलग खबर है।

कहने की जरूरत नहीं है कि सीआरपीएफ पर हमले के लिए कश्मीरियों को जिम्मेदार बता कर उन्हें परेशान किया जा रहा था। कुछ लोग निजी स्तर पर कश्मीरियों की सहायता के लिए आगे आए थे और यह सब चल ही रहा था कि खुद सीआरपीएफ ने कश्मीरियों की सहायता की पेशकश कर दी। यानी राजनीतिक तौर पर अगर कश्मीरियों के खिलाफ माहौल बनाने की कोशिश की जा रही थी तो सीआरपीएफ ने ही उसे पंक्चर कर दिया। इस लिहाज से आज के अखबारों में यह खबर महत्वपूर्ण है और यह देखना दिलचस्प होगा कि किस अखबार में यह खबर छपी है और कैसे छपी है। चूंकि मैं पहले पन्ने की ही बात करता हूं इसलिए बाकी अखबारों का पहला पन्ना ही देखूंगा और उसी आधार पर लिखूंगा लेकिन पहले हिन्दुस्तान टाइम्स की बात पूरी कर लूं।

हिन्दुस्तान टाइम्स ने आज अपनी मुख्य खबर के साथ सीआरपीएफ द्वारा कश्मीरियों को सुरक्षा देने की पेशकश तीन कॉलम में छापी है। फोल्ड से ऊपर, दो लाइन के शीर्षक में। शीर्षक है, परेशान किया जा रहा है? हम सहायता करेंगे : सीआरपीएफ देश भर में कश्मीरियों से। यह खबर अभी तक अखबारों में जो छप रहा था उसका उल्ट है। सीआरपीएफ को खुली छूट, बदला लेने का समय और स्थान वे खुद तय करेंगे आदि शीर्षकों से परोक्ष रूप से कश्मीरी निशाने पर आ रहे थे। और उन्हें परेशान किया जा रहा था, डराया जा रहा था और डर का माहौल बना था। जो सीआरपीएफ के ही आगे आने से बुरी तरह झटके में है। हिन्दुस्तान टाइम्स ने इसे प्रमुखता देकर अच्छा काम किया है।

यही नहीं, अखबार ने ज्यादातर राजनीतिक खबरों को अलग, अंदर के पन्ने पर एक साथ छाप दिया है। इनमें “सीआरपीएफ के शहीदों को मोदी की श्रद्धांजलि” (इसका अंश सिंगल कॉलम में पहले पन्ने पर है), “शाह ने कहा जवानों का बलिदान व्यर्थ नहीं जाएगा, कांग्रेस की निन्दा की”, “चार छात्रों पर देशद्रोह के आरोप, कइयों की पिटाई”, “पाकिस्तान आतंकवाद को संरक्षण दे रहा है : राजनाथ” शामिल हैं। इन खबरों के साथ एक खबर यह भी है कि पंजाब क्रिकेट एसोसिएशन (पीसीए) ने मोहाली स्थित अपने स्टेडियम की दीवारों पर लगे सभी पाकिस्तानी खिलाड़ियों की तस्वीरें हटा दी हैं। बॉक्स में छपी इस खबर का शीर्षक है, पाकिस्तानी खिलाड़ियों की तस्वीरें दीवारों से हटाई गईं। इसी पन्ने पर स्मृति काक रामचंद्रन की एक और खबर है, आरएसएस और सहयोगी इस पर शोर कम मचा रहे हैं। इसका मतलब यह भी है कि पुलवामा हमले के बाद जो माहौल बना है वह भाजपा और सरकार की कोशिशों का असर है। हालांकि अभी यह मुद्दा नहीं है।

सीआरपीएफ की सहायता की पेशकश वाली खबर दैनिक भास्कर में भी पहले पन्ने पर है। कश्मीरियों को धमकियों के बीच मदद के लिए सीआरपीएफ ही आगे आई। अखबार ने सीआरपीएफ मददगार नाम के एक ट्वीटर हैंडल के साथ एक टोल फ्री नंबर और एक मोबाइल नंबर के साथ एक ई मेल आईडी भी छापकर जरूरत मंद लोगों से सहायता के लिए संपर्क करने के लिए कहा है। सुरक्षा छीनने की खबर के साथ दूसरी कोई राजनीतिक खबर नहीं है। और इस खबर का पूरा ब्यौरा है जिसमें बताया है कि हटाई गई सुरक्षा पर कितना खर्च होता था और यह भी कि अलगाववादी नेताओं के सुर नहीं बदले, कहा सुरक्षा हटाने से भी हालात नहीं बदलेंगे।

इसके मुकाबले, नवभारत टाइम्स ने सुरक्षा हटाने की खबर के साथ राजनीतिक खबरें भी मिला दी हैं। नवभारत टाइम्स ने इस मुख्य खबर के साथ एक बॉक्स छापा है, “जो आग आपके दिल में, वही मेरे दिल में भी मोदी”। इसमें कहा गया है कि, पटना में शहीद हुए दो जवानों को श्रद्धांजलि देने के बाद पीएम बोले, मैं देख रहा हूं कि आपके दिलों में आग है। ये आग बुझनी नहीं चाहिए। इस खबर में यह भी बताया गया है कि असम की एक रैली में अमित शाह ने कहा, इस बार जवानों की कुर्बानी बेकार नहीं जाएगी क्योंकि केंद्र में कांग्रेस की नहीं, बीजेपी की सरकार है। एनआरसी पर शाह ने कहा, हम असम को दूसरा कश्मीर नहीं बनने देंगे। हालांकि, सीआरपीएफ की सहायता की पेशकश वाली खबर नभाटा में पहले पन्ने पर नहीं है।

हिन्दुस्तान ने भी लीड तो सुरक्षा और सुविधाएं छीनीं – खबर को ही बनाया है। लेकिन इसके साथ राजनीतिक खबरों का घालमेल नहीं है। हालांकि, सीआरपीएफ की सहायता की पेशकश वाली खबर यहां भी पहले पन्ने पर नहीं है। वैसे अखबार ने, “वंदे भारत पहले दिन डेढ़ घंटे लेट” खबर जरूर पहले पन्ने पर छापी है। अखबार में एक और बड़ी खबर पहले पन्ने पर कानपुर से है। यह दिल्ली के बड़े अस्पतालों में किडनी का कारोबर शीर्षक से छपा है। वैसे तो पहले भी इस आशय की खबरें छपती रही हैं। और यह सवाल भी उठा है कि वीआईपी मरीजों को प्रत्यारोपण के लिए अंग कैसे मिल जाते हैं। पर उसके बाद कुछ खास नहीं हुआ। दैनिक जागरण में भी यह खबर पहले पन्ने पर है।

नवोदय टाइम्स ने अलगाववादियों की सुरक्षा वापस खबर को लीड बनाया है और “जो आग आपके दिलों में दहक रही है वही मुझ में भी : मोदी” शीर्षक खबर को पहले पन्ने पर चार कॉलम में छापा है। इस खबर के साथ सिंगल कॉलम में नीतिश कुमार के साथ फोटो है जिसका कैप्शन है, बेगूसराय :बिहार के मुख्य मंत्री नीतिश कुमार से बातचीत करते प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी। इस फोटो में दोनों हंसते नजर आ रहे हैं। अखबार के पहले पन्ने पर आज कोई विज्ञापन नहीं है। इसलिए खबरें तो कई हैं पर सीआरपीएफ की सहायता की पेशकश वाली खबर यहां भी नहीं है।

अमर उजाला में भावुकता फैलाने वाली खबर टॉप पर है, मां मैं साड़ी लाउंगा … शादी में वही पहनना। हालांकि यह खबर सीआरपीएफ हमले के बाद नौशेरा में उत्तराखंड के शहीद मेजर चित्रेश की है। और उपशीर्षक में बताया गया है कि उन्होंने मां से यह वादा किया था। अलगाववादी नेताओं की सुरक्षा वापस लेने की खबर के साथ प्रधानमंत्री की फोटो के साथ जो आग आपके दिल में है वाला शीर्षक यहां एक कॉलम में है। यहां उत्तर प्रदेश विशेष एक खबर भी है, पुलवामा के गुनहगारों की उलटी गिनती शुरू : योगी। अखबार के पहले पन्ने पर आधे से कम विज्ञापन है लेकिन सीआरपीएफ की कश्मीरियों को सहायता की पेशकश वाली खबर यहां भी नहीं है।

दैनिक जागरण ने अलगाववादी नेताओं की सुरक्षा वापस लेने की खबर को सात कॉलम में छापा है। इसके साथ, “जो आग आपके दिल में है वही मेरे दिल में भी : मोदी” शीर्षक खबर दो कॉलम में है। इस खबर के साथ प्रधानमंत्री की फोटो और एक बॉक्स भी है, “अभिभावक की तरह करनी है शहीदों के परिवारों की देखभाल : पीएम।” यह सब तो सामान्य खबरें हैं। अखबार का बॉटम सबसे अलग है जिसे अखबार ने चिन्ता की बात बताकर छापा है। शीर्षक है, कश्मीरियों को निशाना बनाए जाने की भ्रामक खबरों से सुरक्षा एजेंसियां परेशान। हालांकि, अखबार ने इसी खबर के बीच बॉक्स में खबर छापी है, मुरादाबाद इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नालॉजी प्रशासन ने जम्मू -कश्मीर के छात्रों के प्रवेश लेने पर लगाई पाबंदी। अगर ऐसा है तो कश्मीरियों को निशाना बनाया ही जा रहा है फिर भी अखबार “भ्रामक” खबरों की बात कर रहा है। मै तो पूरी खबर पढ़ गया समझ नहीं आया कि लेखक कहना क्या चाहता है।

इंडियन एक्सप्रेस ने लिखा है देहरादून में दो कॉलेजों ने कहा कि कश्मीरियों को दाखिला नही देंगे। डर, खुली धमकी ने कश्मीरी छात्रों को अस्थायी तौर शहर छोड़ने के लिए प्रेरित किया।