Exclusive: जागरण की मिलीभगत से Zee News ने ऐसे रची ”कैराना को कश्‍मीर बनाने की साजि़श”!

अभिषेक श्रीवास्तव
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कैराना से लौटकर

रिश्‍वतखोरी के मामले में जेल जा चुके पत्रकार सुधीर चौधरी ने ”राष्‍ट्रवादी पत्रकारिता” का एक ऐसा कारनामा किया है जिसे जघन्‍य अपराध से कम नहीं माना जा सकता। पश्चिमी उत्‍तर प्रदेश के शामली जिले स्थित कैराना से हिंदुओं के कथित पलायन की फर्जी सूची भाजपा सांसद हुकुुम सिंह ने जब सार्वजनिक की, तो उसे सही ठहराने के लिए ज़ी न्‍यूज़ ने दैनिक जागरण के स्‍थानीय प्रतिनिधि के साथ मिलकर ऐसा षडयंत्र रचा जिसकी कल्‍पना करना भी मुमकिन नहीं है।

इस षडयंत्र के तहत पहले से तय किया गया कि कैराना को कश्‍मीर साबित करने के लिए किसके यहां रिपोर्टर राहुल सिन्‍हा जाएंगे और सबसे पहले किसकी बाइट लेंगे। घर भी तय था, बाइट भी तय थी और रिपोर्ट की लाइन भी तय थी। सब कुछ योजना के अनुसार किया गया।

जिस तरह जेएनयू के प्रकरण में ज़ी न्‍यूज़ ने भूमिका निभायी थी, उससे कई गुना जघन्‍य भूमिका कैराना के मसले पर उसकी थी। कैराना में मीडियाविजिल के प्रतिनिधि की मुलाकात शहर के कई प्रतिष्ठित व्‍यक्तियों और पत्रकारोे से हुई जिसके बाद इस मामले का खुलासा हुआ। इसके बारे में आज पूरा कैराना जानता है।

मीडियाविजिल को जो जानकारी प्राप्‍त हुई है, उसके मुताबिक ज़ी न्यूज़ पर हिंदुओं के पलायन के मामले में कैराना को कश्‍मीर जैसा दिखाने की साजि़श वहां दैनिक जागरण के प्रतिनिधि सुधीर के साथ मिलकर रची गई थी, जो सांसद हुकुुम सिंह का रिश्‍तेदार लगता है। सुधीर के बड़े भाई का नाम गुरदीप सिंह है। आप ज़ी न्‍यूज़ के प्रोग्राम में चली इस सवा मिनट की पहली बाइट को देखें।

रिपोर्टर राहुल सिन्‍हा जिस शख्‍स से बात कर रहे हैं वह गुरदीप है। चूंकि गुरदीप सीधे हुकुम सिंह का रिश्‍तेदार है, लिहाजा प्रोग्राम मेंं उसकी पहली बाइट के माध्‍यम से हुकुम सिंह की सूची को पुष्‍ट करने की रिपोर्टर की कवायद पत्रकारिता नहीं, बेईमानी और सुनियोजित सा‍जि़श है।

स्‍थानीय लोगों के मुताबिक पंजीठ गांव- जहां सबसे ज्‍यादा कथित पलायन की बात हुकुुम सिंह की फर्जी सूची में सामने आई थी- के ग्राम प्रधान ने कई लोगों के हस्‍ताक्षरों के साथ जून के पहले सप्‍ताह में पांच तारीख को शहर कोतवाल को एक प्रार्थना पत्र दिया था जिसमें 4 जून को दैनिक जागरण के पेज नंबर छह पर छपी फोटो और खबर को गलत बताते हुए कुछ लोगों का नाम लिया गया था जो वहां सांप्रदायिक दंगा भड़काने की कोशिश कर रहे थे। इस खबर को हुुकुम सिंह के रिश्‍तेदार सुधीर ने ही अख़बार में लगाया था। इस पर अब तक कोई कार्रवाई नहीं हुई है।

 

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स्‍थानीय लोगों का कहना है कि सुधीर को कुछ दिनों पहले जागरण में बाकायदा रखवाया गया है और हुकुुम सिंह की सूची से जुड़ी तमाम खबरों को हवा देने में उसका ही हाथ है। हालत यह है कि उसके सामने स्‍थानीय संपादक की भी नहीं चलती। शहर के अमनपसंद पत्रकारों की बिरादरी सुधीर को संदिग्‍ध निगाह से देखती है। मीडियाविजिल का प्रतिनिधि जब कैराना पहुंचा, उस वक्‍त सुधीर कोतवाली के पास खड़ा किसी पुलिसवाले से बात कर रहा था।

सुधीर की मिलीभगत से ज़ी न्‍यूज़ ने प्रोग्राम की पहली बाइट का इंतज़ाम किया और इससे यह स्‍थापित करने की कोशिश की कि कैराना में हिंदू डर के साये में जी रहे हैं। ज़ी न्‍यूज़ की कैमरा टीम जब वहां पहुंची, तो सुधीर के संपर्क से सबसे पहले रिपोर्टर राहुल सिन्‍हां सुधीर के भाई गुरदीप के घर पहुंचा और अपने मन मुताबिक बाइट ले ली, जिसमें उससे कहलवाया गया है कि कैराना की हालत कश्‍मीर जैसी हो गई है।

इसके बाद ऐसे ही कुछ और लोगों से उसे मिलवाया गया जिन्‍हें पहले से पता था कि कैमरे के सामने क्‍या कहना है। स्‍थानीय पत्रकार बताते हैं कि अकेले ज़ी ही नहीं, समाचार प्‍लस की टीम को भी सुधीर ने ही गाइड किया। समाचार प्‍लस पर आई एक रिपोर्ट में भी गुरदीप दिखाई दे रहा है।

सभासद साजिद खान के मुताबिक अमर उजाला की भूमिका इस दौरान काफी संतुलित रही। जागरण ने भरसंक दंगे करवाने की कोशिश की। लोगों की जागरूकता का आलम यह है कि तकरीबन हर अमनपसंद नागरिक के मोबाइल में ज़ी न्‍यूज़ और समाचार प्‍लस का वह वीडियो है जिसमें कैराना को जानबूझ कर बदनाम किया गया है।