पटना के चर्चित पत्रकार संतोष सिंह का एक और धमाका- क्‍या नोटबंदी से ठीक पहले बिहार में बीजेपी ने खरीदी करोड़ों की ज़मीन?

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जब राष्‍ट्रीय कहा जाने वाला मीडिया सरकार का प्रवक्‍ता बनने को मजबूर हो चुका हो और बड़े-बड़े संपादक सेल्‍फी खींचने के लिए प्रधानमंत्री के आगे होड़ लगाए हुए हों, ऐसे में एक छोटे से क्षेत्रीय चैनल की खोजी रिपोर्ट अब भी आश्‍वस्‍त करती है कि देश में कुछ लोग पत्रकारिता कर रहे हैं। पटना के चर्चित पत्रकार संतोष सिंह ने गुरुवार की शाम कशिश न्‍यूज़ नामक बिहार के एक क्षेत्रीय चैनल पर शाम 6 बजे जो रिपोर्ट चलाई, उसने बीजेपी और जेडीयू के बीच पनप रहे दूसरे प्रेम संबंध के बीच अचानक दीवार सी खड़ी कर दी है।  

गुरुवार शाम कशिश न्‍यूज़ पर प्रसारित संतोष सिंह की रिपोर्ट के मुताबिक बिहार में भारतीय जनता पार्टी ने 8 नवंबर को हुई नोटबंदी की घोषणा से पहले भारी मात्रा में ज़मीनें खरीदी हैं। ये ज़मीनें पार्टी कार्यकर्ताओं के नाम से खरीदी गई हैं और कुछ सौदों में तो सीधे दिल्‍ली स्थित बीजेपी मुख्‍यालय का पता दर्ज है। संतोष सिंह की इस खबर को सबसे पहले  प्रभात खबर ने उठाया और उसके बाद कैच न्‍यूज़ व फाइनेंशियल एक्‍सप्रेस ने अपने यहां रातोरात इसे छाप दिया है।

फाइनेंशियल एक्‍सप्रेस ने कैच न्‍यूज़ के हवाले से ही अपनी ख़बर को प्रकाशित किया है, जिसका दावा है कि उसके पास ज़मीन सौदों से जुड़े दस्‍तावेज़ भी हैं जिनमें से कुछ की तस्‍वीर उसने अपने ख़बर में प्रकाशित की है। कैच पर अतुल चौरसिया और सुहास मुंशी की संयुक्‍त बाइलाइन से छपी ख़बर में अंत में संतोष सिंह के योगदान को भी क्रेडिट दिया गया है।

दिल्‍ली के मीडिया के कान पर भले ही कोई जूं न रेंगी हो लेकिन बिहार की सत्‍ता में इस ख़बर ने हलचल मचा दी है। नोटबंदी के फैसले की खुलकर तारीफ़ कर रहे मुख्‍यमंत्री नीतीश कुमार की पार्टी जेडीयू को अब इन ज़मीन सौदों के विरोध में अपना पक्ष तय करना पड़ा है और दबाव में उसने सुप्रीम कोर्ट से इसकी जांच की मांग कर दी है।

 

 

 

 

 

 

गुरुवार की ही शाम दिल्‍ली के प्रेस क्‍लब में दूरदर्शन के एक पत्रकार सत्‍येंद्र मुरली ने दावा किया था कि 8 नवंबर को प्रधानमंत्री का देश के नाम संदेश रिकॉर्डेड था, लाइव नहीं। अब बिहार में भाजपा द्वारा फैसले की घोषणा से हफ्ते भर पहले ज़मीनें खरीदे जाने के कथित उद्घाटन ने इस बात की आशंका को और बल दे दिया है कि नोटबंदी की पूर्वसूचना भाजपा नेताओं और पार्टी के करीबियों को थी।

कशिश न्‍यूज़ के संतोष सिंह अपनी धारदार रिपोर्टिंग के लिए जाने जाते हैं। ध्‍यान रहे कि बिहार विधानसभा चुनाव से ठीक पहले उन्‍होंने एक रिपोर्ट की थी कि किस तरह राज्‍य के सुदूर गांव-ब्‍लॉक से नौजवानों को पकड कर राष्‍ट्रीय स्‍वयंसेवक संघ भाजपा प्रशासित राज्‍यों घुमने के लिए ट्रेनों में भर कर ले जा रहा था। इन लड़कों को भाजपा के राज्‍यों में हुआ ‘विकास’ दिखाने के बाद चुनावी मैदान में भाजपा के लिए प्रचार करने के लिए उतारा जाना था। उस वक्‍त यह ख़बर सोशल मीडिया पर तो खूब चली, लेकिन राष्‍ट्रीय मीडिया ने इसका संज्ञान नहीं लिया। बिहार चुनाव के दौरान संतोष सिंह की रिपोर्ट आप यहां देख सकते हैं:

चूंकि संसद चल रही है और नोटबंदी के फैसले पर सदन में प्रधानमंत्री के वक्‍तव्‍य की मांग विपक्ष लगातार कर रहा है और मामला गरमाया हुआ है, इसलिए उम्‍मीद की जानी चाहिए कि संतोष सिंह की यह खोजी पत्रकारिता एक बार फिर नक्‍कारखाने की तूती बनकर नहीं रह जाएगी बल्कि बिहार से उठी ”तूती की आवाज़”- जो संयोग से संतोष सिंह के ब्‍लॉग का नाम है- की गूंज संसद तक पहुंचेगी और दिल्‍ली से बाहर रहकर धारदार रिपोर्टिंग कर रहे संतोष को भरोसा दिलाएगी कि दुनिया अभी नक्‍कारखाने में तब्‍दील नहीं हुई है (संतोष के ब्‍लॉग की टैगलाइन है- ”क्‍योंकि दुनिया नक्‍कारखाने में तब्‍दील हो चुकी है…”)।  इस पर बात होगी और काायदे से जांच कर के सच्‍चाई को सामने लाया जाएगा।