जानबूझकर वक्त पर नहीं बनाई कोरोना की दवा, मनोरोगी है ट्रंप- चोम्स्की

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दुनिया के जानेमाने भाषा वैज्ञानिक, दार्शनिक और लेखक नोम चोम्स्की ने कहा है कि इस बीमारी की आहट पिछले साल ही मिल गयी थी, लेकिन जानबूझकर इसका टीका विकसित करने में लापरवाही बरती गयी। उन्होंने अमेरिकी राष्ट्रपति ट्र्ंप को मनोरोगी मसखरा बताते हुए कहा कि ऐसे वक्त ट्रंप का अमेरिका का नेतृत्व करना दुखद है। 91 साल के चोम्स्की अमेरिका के एरिजोना में रह रहे हैं. एक टीवी संवाददाता से उनकी बातचीत को अंतरराष्ट्रीय प्रेस एजेंसी प्रेसेन्जा (pressenza.com) ने पोस्ट किया है.  इसमें उन्होंने कहा है कि कोरोना वायरस का खतरा काफी गंभीर है, फिर भी यह खत्म हो जाएगा. लेकिन परमाणु युद्ध या ग्लोबल वार्मिंग से निपटना संभव नहीं होगा.

चोम्स्की ने इस बातचीत में कहा कि कोरोना वायरस का संकट लोगों को यह सोचने के लिए प्रेरित कर सकता है कि हम कैसी दुनिया में रह रहे हैं.

चोम्स्की का मानना है कि इस संकट के मूल में बाजार की जबरदस्त नाकामी और नवउदारवादी नीतियां हैं, जिन्होंने सामाजिक आर्थिक समस्याओं को और बढ़ा दिया है. उन्होंने कहा कि लंबे समय से पता था कि महामारी फैलने ही वाली है और सब लोग समझ रहे थे. कायदे से इसके लिए पहले ही काम किया जाना चाहिए था. हम संभावित कोरोना वायरस महामारी से बचाव के वैक्सीन का विकास कर सकते थे और उसमें मामूली संशोधन से आज हमारे पास इसकी दवा होती.

बड़ी दवा कंपनियों के बारे में नोम चोम्स्की ने कहा कि उनके मामले में सरकार का दखल देना संभव नहीं है और उनके लिए लोगों को पूरी तरह नष्ट होने से बचाने के लिए टीका तलाशने के मुकाबले बॉडी क्रीम बनाना फायदेमंद है. उन्होंने कहा कि पोलियो का खतरा साल्क वैक्सीन से खत्म हुआ जो एक सरकारी संस्था का है. इसका कोई पेटेंट नहीं है और यह सबके लिए उपलब्ध है.

अपनी बात को आगे बढ़ाते हुए नोम ने कहा कि कोरोना के संबंध में सूचना पहले से उपलब्ध थी पर हमने ध्यान नहीं दिया. 2019 के अक्टूबर में अमेरिका में बड़े पैमाने पर संकेत मिले थे. लेकिन हमने इन सूचनाओं पर ध्यान नहीं दिया.

चीन ने 31 दिसंबर 2019 को विश्व स्वास्थ्य संगठन को निमोनिया की सूचना दी. हफ्ते भर बाद चीनी वैज्ञानिकों ने इसकी पहचान कोरोना वायरस के रूप में की और दुनिया को इसकी जानकारी दी. इसी के साथ चीन, दक्षिण कोरिया और ताईवान ने कोरोना से बचाव के लिए जरूरी कदम उठाने शुरू किये. लगता है कि अब यहां पर कोराना को नियंत्रित कर लिया गया है, कम से कम पहली बार के संकट के लिए.

यूरोप में भी कुछ हद तक ऐसा हुआ. जर्मनी में अच्छे अस्पताल हैं और उसने अपने लिए काम किया. दूसरों की सहायता का ख्याल नहीं रखा और अपने लिए उसने ठीक-ठाक नियंत्रण कर लिया है. इसने समय पर कार्रवाई की. अन्य देशों ने उपेक्षा की और इनमें सबसे खराब रहा यूके और अमेरिका का तो सबसे बुरा हाल हुआ ही है.

नोम चोम्स्की ने कहा कि अगर किसी तरह हम इस संकट से निपट लें तो हमारे पास जो विकल्प होंगे, उनमें बेहद निरंकुश बर्बर सत्ता की स्थापना से लेकर समाज का अतिवादी पुनर्निर्माण और ज्यादा मानवीय शर्तें शामिल हैं, जिसका संबंध निजी मुनाफे की जगह मानवीय आवश्यताओं से हो.

नोम ने कहा कि संभावना है कि लोग जुड़ेंगे और काम करेंगे. जैसे अभी बहुत लोग कर रहे हैं और बेहतर दुनिया बनाएंगे जो उन ढेरों समस्याओं से भी मुकाबला कर सकेगी जिनका सामना हम अभी कर रहे हैं.

नोम चोम्स्की ने कहा कि परमाणु युद्ध की समस्या पहले के मुकाबले काफी गंभीर है और पर्यावरण की समस्याओं से भी वापसी का कोई रास्ता नहीं है, बस एक बार हम उस स्थिति में पहुंच जाएं. अगर हम निर्णायक ढंग से काम नहीं कर सके तो यह दिन बहुत दूर नहीं है.

मानव इतिहास में यह निश्चत रूप से एक गंभीर क्षण है पर ऐसा सिर्फ कोरोना वायरस के कारण नहीं है. इससे हमें दुनिया की गंभीर बुराइयों से वाकिफ होना चाहिए. इनमें सामाजिक आर्थिक व्यवस्था की कुछ खासियतें हैं जो काम नहीं करतीं उसे बदलना होगा, बशर्ते भविष्य बचे रहने योग्य हो. इसलिए यह चेतावनी हो सकती है और आज की स्थिति से निपटने या इसे और खराब होने से रोकने की सीख भी हो सकती है. जरूरत इसके कारणों पर विचार करने की है और यह भी कि कैसे वो कारण ज्यादा संकट पैदा कर सकते हैं. इस वाले से भी गंभीर.

इस समय दुनिया के दो अरब लोग क्वारंटाइन की जिस स्थिति  का सामना कर रहे हैं उसके बारे में चोम्स्की कहते हैं कि सामाजिक पृथक्करण तो वर्षों से मौजूद है और जो बेहद नुकसानदेह है. अब हम वास्तव में सामाजिक तौर पर अलग-थलग पड़ने की स्थिति में हैं. इससे निपटने के लिए फिर से सामाजिक संबंध बनाने होंगे.


प्रस्तुति- संजय कुमार सिंह


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