डॉ.आंबेडकर के 49वें जन्मदिन की धूम का आँखों देखा हाल

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आंबेडकर जयन्ती के कार्यक्रम, सड़कों पर दो कि.मी.लम्बा जुलूस

 

(दि बाम्बे क्रानिकल, 15 अप्रैल 1941)

बम्बई, सोमवार।
दलित वर्ग युवाओं की 70 से ज्यादा संस्थाओं ने मिलकर कल डा. बी. आर. आंबेडकर को उनके जन्मदिन पर बधाई दी। वे आज 49 वर्ष के हो जायेंगे।
कल उत्तरी बम्बई में एक लम्बा जुलूस भी देखा गया था, जिसमें डा. आंबेडकर के दस हजार अनुयायियों ने पैदल मार्च किया, और उनके चित्र पर माल्यार्पण किया।

कामगार मैदान में

कामगार मैदान, परेल की सीमित जगह जनमानस से ठसाठस भरा हुआ था। सैकड़ों की संख्या में स्त्रियाँ और बच्चे भी उस भीड़ में मौजूद थे। जनसभा में सर्वसम्मति से प्रस्ताव पास किया गया, जिसमें डा. आंबेडकर के 49वें जन्मदिन पर बधाई देते हुए उनके खुशहाल और सफल जीवन की कामनाएँ की गई थीं।
जनसभा की अध्यक्षता श्री सन्तराम एन. माने ने की थी और सभा को सर्वश्री एस. बी. गायकवाड़, यू. एल. क्रान्दीकर, टी. एन. मकवाना, एस. आर. गायकवाड़ और जी. केल्सीकर वक्ताओं ने सम्बोधित किया था। डा. आंबेडकर ने सभा के लिए एक सन्देश भेजा था, जिसमें कहा गया है कि उनके लिए अस्पृश्यता-विरोधी आन्दोलन के समर्थन का सबसे अच्छा तरीका यह हो सकता है कि वे बिल्डिंग फण्ड में चन्दा दें। यह अपील उन्होंने दलित वर्गों के सभी स्त्री-पुरुषों से की।

वास्तविक संघर्ष

सभाध्यक्ष श्री माने ने कहा कि डा. आंबेडकर के जन्मदिन का उनके लिए बहुत महत्व है, क्योंकि भारत में सात करोड़ अछूतों की मुक्ति के लिए वास्तविक संघर्ष करने के लिए ही डा. आंबेडकर का जन्म हुआ है। यह सच है कि डा. आंबेडकर से पहले अनेक समाजसुधारकों और मानवतावादियों ने अस्पृश्यता मिटाने का प्रयास किया था, परन्तु उनका तरीका याचना और प्रार्थना करने का था। तुकाराम ने अस्पृश्यता के उन्मूलन की शिक्षा दी थी, और यही शिक्षा बुद्ध ने दी थी, लेकिन उनके अनुयायियों ने उनकी शिक्षा को स्वीकार करने की बजाय, उन्हे सन्त बना दिया और स्वयं अपने पुराने रास्ते पर ही चले। अछूतों को लगातार उनके मानवाधिकारों से वंचित रखा जाता है और उनके साथ जानवरों से भी बदतर व्यवहार किया जाता है।

श्री माने ने कहा कि डा. आंबेडकर की शैक्षिक योग्यताओं और प्रतिभा को देखने के बाद उनके लिए धन एकत्र करना और एक बड़े सरकारी अधिकारी के पद से अवकाश प्राप्त करना बहुत आसान था। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि यदि अस्पृश्यता के उन्मूलन का काम सवर्ण हिन्दुओं की दया पर छोड़ दिया जाये, तो वह दिन कभी नहीं आयेगा। इतिहास साक्षी है कि यदि वे चाहते तो दो हजार वर्ष पहले ही इस घृणा को मिटा सकते थे।

एक ही रास्ता

दलित वर्गों के सामने अब केवल एक ही रास्ता है कि वे संगठित हों और अपनी संयुक्त शक्ति से अपनी मांगें मनवाने के लिए उन्हें बाध्य करें। उन्हें अब किसी भी अन्य नेता को स्वीकार न करके केवल डा. आंबेडकर का ही अनुसरण करें। उन्होंने 50 हजार या एक लाख स्वयंसेवकों को तैयार करने का सुझाव दिया और कहा कि यदि आवश्यकता हुई, तो सवर्ण हिन्दुओं के खिलाफ सत्याग्रह किया जायेगा।

दलित वर्ग के बम्बई विश्वविद्यालय में स्नातक श्री एस. बी. गायकवाड़ ने दलित वर्गों में स्वाभिमान पैदा करने और उन्हें एक संगठित तथा गतिशील समुदाय बनाने के लिए डा. आंबेडकर के प्रति अपनी श्रद्धा पेश की।
श्री यू. एल. क्रान्दीकर ने कहा कि डा. आंबेडकर सामाजिक न्याय और स्वतन्त्रता दिलाने के लिए खड़े हुए है। श्री टी. एन. मकवाना ने कहा कि डा. आंबेडकर के जीवन की लड़ाई वंचित और पीड़ित वर्गों के हित के लिए समर्पित है। श्री जी. केलिसकर ने भी श्रद्धा व्यक्त की।

 

डा. आंबेडकर की जयन्ती

(स्टेशन डायरी, पल्टन रोड सब-डिवीजन, ‘ए’ डिवीजन, 15 अप्रैल 1941)

सब इंस्पेक्टर कादर ने सभा से स्टेशन लौटकर रिपोर्ट की है। डा. आंबेडकर का जन्मदिन मनाने के लिए एक सभा श्री बी. एन. तलपड़े की अध्यक्षता में पिछली रात 11 बजे नवीन गनबो फायर ब्रिगेड स्टेशन के निकट गनबो स्ट्रीट पर हुई, जिसमें बी. बी. मोरे, एम. टी. कदम, गंगाराम साठे और एस. टी. सामन्त ने हरिजनों के लिए डा. आंबेडकर के द्वारा किए गए अच्छे कार्यों के सम्बन्ध में संक्षिप्त भाषण दिए। सभी ने इस बात पर जोर दिया कि डा. आंबेडकर ही हरिजनों में एक मात्र नेता हैं, जो समुदाय का उत्थान कर सकते हैं और इसलिए हरेक को उनका अनुसरण करना चाहिए। श्री तलपड़े ने समस्त हरिजनों को शिक्षित होकर हरिजनों के उत्थान में कार्य करने की सलाह दी। सभा में 100 लोग थे और वह सुबह 12.20 पर समाप्त हो गई थी।

संख्या 2508/41; ‘ए’ डिवीजन
(ह.)
पुलिस निरीक्षक
पल्टन रोड पुलिस स्टेशन
15 अप्रैल 1941, ‘ए’ डिवीजन, बम्बई

 

डा. आंबेडकर की जयन्ती

(स्टेशन डायरी, पल्टन रोड सब-डिवीजन, ‘बी’ डिवीजन, 14 अप्रैल 1941)

पी.सी. 1496/बी एवं 1242/बी रिपोर्ट करते हैं कि चन्दनवाड़ी परिसर में आज रात बाबासाहेब आंबेडकर का जन्मदिन मनाया गया, जिसमें सर्वश्री घाटे और पी. टी. बोरले ने भाषण दिए। किसी भी राजनीतिक विषय पर चर्चा नहीं की गई। उन्होंने बाबासाहेब आंबेडकर की प्रशंसा की और समुदाय को उनके दिखाए मार्ग पर चलने की सलाह दी। रिपोट्र करने के लिए कुछ खास नहीं है। समारोह शान्तिपूर्वक 12.15 पर खत्म हुआ।
सत्यापित प्रति
(ह.)
पुलिस निरीक्षक
प्रिन्सेस स्ट्रीट पुलिस स्टेशन

 

डा. आंबेडकर जयन्ती समारोह

(स्टेशन डायरी, किंग्सवे सब-डिवीजन, 13 अप्रैल 1941)

पी. सी. संख्या 3676/‘ई’ डिवीजन की रिपोर्ट है कि आज 2.55 पर 75 लोगों का एक जुलूस माहिम स्टेशन से तिलक रोड आया और विंसेन्ट रोड होते हुए बी. डी. डी. चाल, नई गाँव चला गया, जो शाम 4.15 पर भोईवाड़ा स्टेशन से दादर मेन रोड पर आए एक बड़े जुलूस में शामिल हो गया, और वहाँ से लाखमसी रोड पर डा. आंबेडकर के बंगले पर गया। बंगले पर डा. आंबेडकर को लोगों ने फूल मालाएँ पहनाईं और उसके बाद जुलूस खरेघाट रोड और विंसेन्ट रोड होते हुए वापस 5.15 पर भोईवाड़ा स्टेशन पहुँचा। जुलूस में लगभग एक हजार लोग शामिल थे, जिनमें एक डा. माने के पास जुलूस के लिए ‘ई’ डिवीजन के पुलिस अधीक्षक द्वारा जारी किया गया परमिट था। भोईभाड़ा पुलिस स्टेशन के उपनिरीक्षक कृष्णनन ने उस क्षेत्र में जुलूस की मार्ग रक्षा की। रिपोर्ट करने के लिए कुछ खास नहीं है। बस इतना ही कि जुलूस निकाला गया और डा. आंबेडकर को फूल मालाएँ पहनाकर उनका 49वाँ जन्मदिन मनाया गया।

पुलिस निरीक्षक
किंग्सवे पुलिस स्टेशन

 

 

डा. बी. आर. आंबेडकर जयन्ती समारोह

(स्टेशन डायरी, भोईभाड़ा सब-डिवीजन, 13 अप्रैल 1941,)

‘ई’ डिवीजन। उप निरीक्षक कृष्णनन ने सूचित किया है कि डा. बाबासाहेब आंबेडकर के जयन्ती के अवसर पर एक छोटा जुलूस डिलिस्ले रोड और माहिम से चलकर दोपहर 2.30 पर कल्याण केन्द्र, नई गाँव पहुँचा। वहाँ से एक जुलूस उसके साथ ही दादर रोड, विन्सेन्ट रोड, गोकुलदास पास्ता रोड और दादर मेन रोड से गुजरा, जहाँ उसे पी. एच. संख्या 138/ई, किंग्सवे के सुपुर्द कर दिया गया। वापसी में जुलूस को विंसेन्ट रोड पर अधिकार में लिया गया, और उसके बाद वह साथ-साथ सुपारीबाग रोड और गोखले सोसाइटी लेनसे होता हुआ शाम 6 बजे कामगार मैदान में समाप्त हुआ। जुलूस में लगभग छह हजार लोग शामिल हुए थे। उसके बाद वहाँ जनसभा हुई।

अपराह्न 8 बजे एच. सी. डब्लू. संख्या 1309/ई से सूचना मिली है कि डा.आंबेडकर का 49वाँ जन्मदिन मनाने के लिए आज सायं 6.30 पर एक सभा इंडिपेंडेंट लेबर पार्टी के तत्वावधान में कामगारा मैदान में हुई। सभा की अध्यक्षता बैरिस्टर एस. एन. माने ने की और सर्वश्री गायकवाड़, मकवाना और लोखण्डे ने सभा को सम्बोधित किया। लगभग 800 लोग सभा में पहुँचे थे।

वक्ताओं ने अपने अलग-अलग शब्दों में डा. आंबेडकर के जीवन-इतिहास पर प्रकाश डाला और बताया कि किस तरह उन्होंने महानता प्राप्त की। अन्त में श्रोताओं से भवन निर्माण के लिए चन्दा देने का अनुरोध किया गया, जिसका उपयोग पार्टी तथा उसके जुड़े कार्यों के लिए किया जायेंगा। सभा का समापन शान्तिपूर्वक सायं 7.45 पर हुआ।

(ह.)
पुलिस निरीक्षक
भोईवाड़ा पुलिस स्टेशन
14 अर्पेल 1941

डॉ. बी. आर. आंबेडकर जयन्ती समारोह

(बम्बई शहर विशेष शाखा, 18 अप्रैल 1941)

13 और 14 अप्रैल को डा. बी. आर. आंबेडकर के 49वें जन्मदिन के उपलक्ष्य में इंडिपेंडेंट लेबर पार्टी और अन्य आबेडकर-समर्थक संगठनों के द्वारा जुलूस और सभाओं का आयोजन किया गया।

13 अप्रैल को एक जुलूस डा. आंबेडकर के चित्र पर मालाएँ डाले हुए बी. डी. डी. चाल, नई गाँव से शुरु हुआ और हिन्दू कालोनी, दादर में डा. आंबेडकर के आवास पर गया, जहाँ से वह बम्बई के उत्तर में घूमता हुआ कामगार मैदान में समाप्त हुआ। इस जुलूस में लगभग 5000 लोग शामिल थे, जिसमें ‘भजन’ तथा ‘लेजिम’ (एक वाद्य) मण्डली भी थी। इस जुलूस में एक सजा हुआ घोड़ा भी चल रहा था। पूरे रास्ते लोग ‘डा. आंबेडकर की जय’ बोल रहे थे।

कामगार मैदान में बैरिस्टर एस. एन माने की अध्यक्षता में एक जनसभा हुई, जिसमें लगभग एक हजार लोगों ने भाग लिया। डा. आंबेडकर के जीवन और कार्यों पर अध्यक्ष के साथ-साथ एस. बी.गायकवाड़, यू. एल. क्रान्दीकर, टी. एन. मकवाना, एस. आर. गायकवाड़ और जी. केलसीकर के भाषण हुए। 14 अप्रैल को इसी तरह की जनसभाएँ गुण्बो स्ट्रीट और चन्दनवाड़ी में हुई, जहाँ हरिजनों के उत्थान के लिए डा. आंबेडकर के कार्यों की प्रशंसा की गई।


स्रोत- ‘डॉ.आंबेडकर और अछूत आंदोलन’ जिसका हिंदी अनुवाद किया प्रसिद्ध लेखक कंवल भारती ने। इस संदर्भ ग्रंथ में डॉ.अंबेडकर को लेकर ख़ुफ़िया और अख़बारों की रपटों को सम्मलित किया गया है।