सुशासन या नरक : बिहार में महिला को सरे बज़ार नंगा घुमाया!

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ये नया बिहार है जहाँ हत्या में शामिल होने के शक़ में किसी महिला को भरे बाज़ार नंगा करके घुमाया जा सकता है। ये नया बिहार है जो नीतीश कुमार के सुशासन में पड़े भाजपाई राष्ट्रवाद के तड़के से गंधा रहा है। भाषा की ये कड़ुवाहट उस पीड़ा का ठीक बयान नहीं कर सकती, जो वीर कुँवर सिंह की धरती पर सोमवार को इस कदर उभरी की धरती का सीना भी फट गया होगा।

हाँ, ग़ौर से पढ़िए—इक्कीसवीं सदी के 18 वें साल, आज़ादी के जश्न के महज़ पाँच दिल बाद भोजपुर के बिहिया में एक महिला को नंगा करके घुमाया गया। करीब पाँच सौ लोगों की भीड़ ने इस महिला को पीट-पीटकर अधमरा किया, उसका एक-एक कपड़ा फाड़कर नंगा कर दिया और बाज़ार भर में घुमाते रहे।

यक़ीन करना मुश्किल है, लेकिन वहाँ पुलिसवाले भी मौजूद थे जो भीड़ के सामने नतमस्तक थे। कुछ कथित पत्रकार भी थे जो मोबाइल पर घटना का वीडियो बना रहे थे। यह पैशाचिक तांडव क़रीब एक घंटे तक चला।

ख़बर राष्ट्रीय विमर्श से ग़ायब है और जिन कुछ चैनलों में थोड़ी बहुत मसला उठा है वहाँ के ऐंकर-ऐंकरानी कह रहे  हैं कि महिला के ‘कपड़े उतार दिए गए’, गोया नंगा करना कहने में सारी व्यवस्था नंगी हो जाती है जिसे सोचकर उनके हाथ-पाँव फूलते हैं। प्रिंट में भी भाषा आमतौर पर यही है।

दरअसल, सुबह एक युवक का शव रेलवे ट्रैक पर मिला था। परिजनों ने हत्या की आशंका जताई और निशाने पर एक स्थानीय थिएटर मालकिन आ गई। फिर क्या था, भीड़ ‘न्याय’ करने चल पड़ी। उसे यक़ीन है कि सुशासन बाबू ने यह ज़िम्मा उसी पर छोड़ दिया है।  फिर वही हुआ जिसका ज़िक्र ऊपर किया गया है। महिला रो-रोकर अपनी बेगुनाही की दलील देती रही, लेकिन कोई कुछ सुनने को तैयार नहीं हुआ। भीड़ ने तोड़-फोड़ और आगज़नी भी की। ख़बरों में उसे रेड लाइट एरिया (?) बताया जा रहा है।

शायद इस घटना को पचा लिया जाता, लेकिन मोबाइल में क़ैद किया गया वीडियो वायरल हो गया। राष्ट्रवादी सुशासन बाबू की छवि संकट में पड़ी तो आठ पुलिसवाले सस्पेंड कर दिए गए। कुछ आरोपियों की गिरफ़्तारी की भी ख़बर हैै।

बहरहाल, ज़्यादा बड़ा मसला शायद ‘मगध’ के नागरिकों के ‘भीड़’ में बदलते जाने का है। और यह सब सत्ता के संरक्षण में हो रहा है। मुज़फ़्फ़र पुर की बेटियों की सिसकियाँ थमी भी नही कि भोजपुर में शर्म की नई इबारत लिख दी गई।

ख़बरदार, जो किसे ने कहा कि बिहार में जंगल राज है। जंगलों में भी ऐसा कब होता है। यह इंसानों का बनाया नरक है, इसके लिए जानवरों को दोष देना ग़लत है।

 

.बर्बरीक

 



 


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