घाटी से लौटे पत्रकारों के दल ने कहा, मीडिया का एक हिस्‍सा कश्‍मीर पर देश को भ्रमित कर रहा है!

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कश्मीर Published On :


कश्‍मीर में ज़मीनी हालात का जायज़ा लेने के लिए गई तीन बड़े पत्रकारों की एक टीम का मानना है कि मीडिया का एक हिस्‍सा ऐसा है जो कश्‍मीर के घटनाक्रम के बारे में देश को सही जानकारी नहीं दे रहा और लोगों को दिग्‍भ्रमित कर रहा है। इन पत्रकारों का कहना है कि प्रथमदृष्‍टया यह अहसास होता है कश्‍मीरी जनता शेष भारत से अलग-थलग पड़ गई है औश्र मौजूदा आंदोलन में कश्‍मीरी समाज के सभी क्षेत्रों के लोग शामिल हैं।


चौथी दुनिया के संपादक संतोष भारतीय, टिप्‍पणीकार अभय कुमार दुबे और अशोक वानखेड़े पिछले दिनों कश्‍मीर की यात्रा पर गए थे। वे तीन दिन घाटी में रहे और बकरीद के दिन भी वहीं थे। ग्रेटर कश्‍मीर में छपी एक रिपोर्ट कहती है कि कश्‍मीर में जारी मौजूदा असंतोष के बारे में मीडिया का एक बड़ा हिस्‍सा गलत खबरें प्रसारित कर रहा है और घाटी की छवि को धूमिल करने में जुटा हुआ है। इस समूह ने तीन दिन में कई लोगों से मुलाकात की जिनमें कश्‍मीर के नेताओं समेत अलगाववादी नेता भी शामिल थे।

यात्रा समाप्ति पर टीम के प्रमुख संतोष भारतीय ने ग्रेटर कश्‍मीर को बताया, ”हमें पूरी तरह यह मानना होगा कि कश्‍मीर में फिलहाल आज़ादी का एक देसी आंदोलन चल रहा है। असंतोष पैदा करने के लिए इसमें पाकिस्‍तान का हाथ भले हो सकता है, लेकिन तथ्‍य यह है कि कश्‍मीर के आम लोग राज्‍य और उसके लोगों के प्रति दिल्‍ली में बैठी सत्‍ता के उदासीन रवैये के कारण अलग-थलग पड़ गए हैं। कश्‍मीर के लोग भारी बलिदान दे रहे हैं और वे आज़ादी के लिए और बुरे हालात का सामना करने को तैयार हैं।”

 

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Santosh Bhartiya

संतोष भारतीय ने कहा, ”यह बदकिस्‍मती है कि कुछ समाचार चैनल कश्‍मीर के हालात के बारे में गलत खबरें दिखा रहे हैं। गलत रिपोर्टिंग से वे यह धारणा निर्मित कर रहे हैं कि हर दूसरा कश्‍मीरी पाकिस्‍तान का एजेंट है। हमने सैकड़ों लोगों से मुलाकात की लेकिन हमें एक भी शख्‍स ऐसा नहीं मिला जिसे हम पाकिस्‍तान का एजेंट कह सकें। हकीकत यह है कि हर आम कश्‍मीरी चाहता है कि नइ्र दिल्‍ली संवाद की एक प्रक्रिया शुरू करे ताकि मसले का एक शांतिपूर्ण राजनीतिक समाधान निकल सके। कश्‍मीरी लोग भी जानते हैं कि रातोरात कोई समाधान नहीं निकलने वाला लेकिन तब भी वे एक गंभीर संवाद की प्रक्रिया शुरू कर देना चाहते हैं।”

दौरे पर गए पत्रकारों ने स्‍थानीय पत्रकारों से भी श्रीनगर में मुलाकात की। स्‍थानीय पत्रकारों ने इन्‍हें कश्‍मीर के मौजूदा असंतोष के बारे में कुछ ऐसी बातें बताईं जिसे राष्‍ट्रीय मीडिया ने रिपोर्ट करने से इनकरार कर दिया है। भारतीय ने बताया, ”कश्‍मीर के कुछ संपादकों और रिपोर्टरों के साथ हमारी बातचीत काफी फलदायी रही। उन्‍होंने हमें कई ऐतिहासिक तथ्‍यों और घाटी में ज़मीनी हालात के बारे में अवगत कराया।”

 

 

 

इन पत्रकारों ने हुर्रियत के नेता प्रो. अब्‍दुल गनी भट्ट से मुलाकात की। अलगाववादी नेता सैयद अली शाह गीलानी ने अपने हैदरपुरा स्थित आवास पर इन्‍हें मुलाकात का वक्‍त दिया था जहां वे नज़रबंद हैं लेकिन पुलिस ने पत्रकारों को गीलानी के आवास में प्रवेश करने से रोक दिया। बाद में हालांकि फोन पर इनके बीच आधा घंटा बातचीत हुई।

संतोष भारतीय ने ग्रेटर कश्‍मीर को बताया, ”गीलानी ने हमें अपने घर बुलाया था लेकिन पुलिस ने हमें उनसे मिलने नहीं दिया। बाद में हमारी उनसे आधा घंटे के करीब फोन पर बात हुई। वे मानते हैं कि केंद्र सरकार के साथ बीते कुछ वर्षों में बातचीत इसलिए बेनतीजा रही है क्‍योंकि सरकारें इस मसले को निपटाने के मामले में कभी गंभीर नहीं रहीं।”

नेशनल कॉन्‍फ्रेंस के नेताओं का एक दल भी शरीफ़ दिन शरीक़ की अध्‍यक्षता में इस टीम से मिला। हालात का जायज़ा लेने के लिए ये तीनों पत्रकार श्रीनगर शहर के उन इलाकों में भी गए जहां पर कर्फ्यू लगा हुआ था। संतोष भारतीय ने कहा, ”हम भारत के लोगों को सच बताने में परहेज़ नहीं करेंगे। कश्‍मीर के  ताज़ा हालात की तस्‍वीर हम अपने लेखन से देश के सामने लाएंगे। यह हमारा काम है।”


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