कश्मीर पर कौन बात कर रहा है आज? कश्मीर के लोग जिन परेशानियों से गुजर रहे हैं उसे कौन महसूस कर रहा है कश्मीर से बाहर? जाहिर है ये कुछ ऐसे सवाल है जिनको उठाना मतलब सत्ता को नाराज करना है. किन्तु ऐसे लोग हैं जो लगातार इन सवालों को उठा रहे हैं. ऐसे लोगों में एक नाम है प्रोफ़ेसर विपिन कुमार त्रिपाठी.
Professor faces heckling and threats but fights for #Kashmir, armed with pamphlets https://t.co/DJwysFyxhq
— Ashok Swain (@ashoswai) September 22, 2019
प्रोफेसर त्रिपाठी एक बैग और हाथ में पैंफलेट भरकर निकल पड़ते हैं लोगों को समझाने के लिए कश्मीर के हालात, उसका इतिहास वहां की परेशानियों. उन्हें धमकी भी मिलती है, तब भी वे कश्मीर के बारे में लोगों को बताते फिरते हैं.
71 वर्षीय प्रोफेसर त्रिपाठी आइआइटी दिल्ली से रिटायर्ड हैं. वे गांधीवादी हैं.
प्रोफेसर त्रिपाठी सड़क पर चलते हुए ऑटो वाले, राहगीर, दुकानदार, कार में बैठे लोग, गार्डन में आराम कर रहे सभी को पैंफलेट देते हैं. वे पैंफलेट देते हुए लोगों को समझाते हैं कि कैसे यह सरकार एक राज्य के लोगों पर जुल्म कर रहे हैं.
21 सितम्बर को द टेलीग्राफ में प्रकाशित एक रिपोर्ट के अनुसार, एक बार वह पर्चा हाथ में लेकर बांटते हुए जा रहे थे , तभी पीछे एक कार वाले ने आवाज देकर उन्हें अपनी ओर खींचा फिर उनके हाथ से 150 पर्चियां छीन ली और उन पर चिल्ला कर पूछा- “पाकिस्तानी है क्या? यदि बूढ़ा नहीं होता तो बहुत तेज मारता”. प्रोफेसर त्रिपाठी ने पूछा – जो मन करे कर लो , पर एक बात बताइए इस पर्चे में क्या गलत लिखा है? और आपकी दिक्कत क्या है?
This 71-year-old former IIT professor braves nasty abuse and bitter hate as he walks around Delhi distributing pamphlets that educate people on issues such as Kashmir, NRC and Ayodhya. pic.twitter.com/HnOOzvlNXg
— Brut India (@BrutIndia) October 19, 2019
तभी कुछ पुलिस वाले आये और मामले को सम्भाल लिया. उस आदमी ने पुलिस वालों से प्रोफेसर त्रिपाठी को अरेस्ट करने को कहा. प्रोफेसर त्रिपाठी ने कहा – मैं कश्मीरी जनता और बाकी भारत के लोगों के बीच सहमति बनाने की कोशिश कर रहा हूँ. एक राज्य में लोग परेशान हैं और बाकी राज्यों के लोग जश्न मना रहे हैं. पैंफलेट राष्ट्रीय एकता को बढाता है. यह घटना मूलचंद फ्लाईओवर से कुछ दूरी पर हुई थी.
प्रोफेसर त्रिपाठी बीते 27 सालों से पैंफलेट लिख रहे हैं.
प्रोफ़ेसर त्रिपाठी छह साल अमेरिका के मैरीलैंड यूनिवर्सिटी में पढ़ा चुके है. 1982 में उन्होंने वहां इस्तीफा दे दिया जब अमेरिका ने इजराइल द्वारा लेबनान पर आक्रमण का समर्थन किया था.
फिर लौट के वे आईआईटी दिल्ली आये यहां से वे 2013 में रिटायर्ड हुए.