सरायकेला: लॉकडाउन में बेकारी से परेशान मज़दूर ने आत्महत्या की

रूपेश कुमार सिंह रूपेश कुमार सिंह
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पूरे देश में अचानक हुए लॉकडाउन के कारण फैली अव्यवस्था के कारण अब तक कई लोगों की जान जा चुकी है. कोई भूख से मर रहा है, तो कोई समुचित इलाज के अभाव में, तो कई लोग आत्महत्या भी कर चुके हैं. इसी कड़ी में झारखंड के सरायकेला-खरसावां जिला में खरसावां थाना क्षेत्र के बोरडीह गांव में 25 अप्रैल की देर रात एक मजदूर ने अपने घर के आंगन में आम के पेड़ में रस्सी से फांसी लगाकर आत्महत्या कर लिया.

खबरों के अनुसार, खरसावां के बोरडीह गांव के निवासी 29 साल का जोगेन महतो, पत्नी चंचला महतो और दो छोटे मासूम बच्चों के साथ रहता था. 25 अप्रैल की रात जोगेन महतो अपने माता-पिता, पत्नी और बच्चों के साथ प्रतिदिन की भांति खाना खाकर सोने चला गया. देर रात परिवार को सोता हुआ छोड़कर घर से बाहर निकला और अपने घर के आंगन के आम के पेड़ में रस्सी से फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली. परिजनों ने 26 अप्रैल की सुबह उसकी लाश आम के पेड़ में झुलता हुआ देखकर आनन-फानन में उसको नीचे उतारा. तब तक उसकी मौत हो चुकी थी.

बोरडीह गांव से लगभग आधा किलो मीटर दूर स्थित मैदान में मृतक का घर होने के कारण घटना की सूचना सुबह 9 बजे ग्रामीणों को दी गई. ग्रामीणों ने खरसावां पुलिस को इसकी सूचना दी. पुलिस घटनास्थल पर पहुंचकर लाश का पंचनामा कर पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया.

लॉकडाउन के चलते काम बंद मिलना हो गया था

मृतक जोगेन महतो खरसावां में मजदूरी का काम करके अपने परिवार का भरण पोषण कर रहा था. कोरोना महामारी के कारण देश और राज्य में विगत एक माह से लॉकडाउन जारी है. जिसके कारण मजदूरी का काम बंद हो गया था. जिसके चलते वह परेशान रहता था. लॉकडाउन के क्रम में जोगेन महतो अपने परिवार के साथ अपने घर पर ही रहता था. विगत एक माह से उसकी दिगामी हालत भी खराब हो गई थी. आर्थिक हालात सही नहीं रहने और लॉकडाउन होने के कारण समय पर उसका इलाज नहीं हो पाया.

मासूमों के सिर से उठा पिता का साया

मृतक जोगेन महतो की मौत के बाद उसके दो मासूमों के सिर से पिता का साया छिन गया है. मां अपने मासूमों को किसी तरह बहला-फुसला रही है. लेकिन बाप का साथ छोड़ देने के बाद अब उनकी बेहतर परवरिश का भी संकट खड़ा हो गया है. बता दें कि मृतक जोगेन महतो के दो बच्चे 8 साल का लक्ष्मण महतो और 3 साल का सचिन महतो है. मासूमों को तो यह भी नहीं पता कि आखिर हुआ क्या है. बस वह पापा को क्या हुआ यही कह रहे है और परिजनों के साथ ही अन्य लोग भी इन मासूमों को देखते हैं तो उनकी आंखों में भी आंसू आ जाते है.

घर का एकमात्र था सहारा, पिता टीबी का मरीज

मृतक की पत्नी चंचला महतो ने कहा कि वर्ष 2012 को जोगेन महतो से उसकी शादी हुई थी. पति आसपास के गांवों में मजदूरी कर हंसी-खुशी से रहता था. विगत एक माह से पति की दिमागी हालत ठीक नहीं थी. परिवार की आर्थिक स्थिति सही नहीं थी. ससुर डोमन महतो भी टीवी के मरीज हैं. घर का कमाने वाला यही था. परिवार की आर्थिक हालात सही नहीं रहने और लॉकडाउन होने के कारण समय पर उसका इलाज नहीं हो पाया.


रूपेश कुमार सिंह स्वतंत्र पत्रकार हैं

 


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