महाराष्ट्र: राज्यपाल की सिफ़ारिश पर राष्ट्रपति शासन, SC जाएगी शिवसेना

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महाराष्ट्र में राष्ट्रपति शासन लागू हो गया है। राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने महाराष्ट्र में राष्ट्रपति शासन लगाने की कैबिनेट की सिफारिश पर हस्ताक्षर कर दिया है। महाराष्ट्र में सत्ता के लिए चल रही खींचतान के बीच राज्यपाल ने राज्य में राष्ट्रपति शासन लगाने की जो सिफारिश की थी कैबिनेट की मंजूरी के बाद राष्ट्रपति ने उस पर मुहर लगा दी है। केंद्रीय गृह मंत्रालय ने कहा कि महाराष्ट्र में फिलहाल 6 महीने के लिए राष्ट्रपति शासन लागू हुआ है।

महाराष्ट्र के राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी ने राज्य की मौजूदा हालत की रिपोर्ट केंद्र को भेजी थी। रिपोर्ट में उन्होंने कहा था कि संविधान के मुताबिक राज्य में सरकार नहीं बन सकती है। उन्होंने रिपोर्ट में राष्ट्रपति शासन लागू करने की सिफारिश की थी। केंद्रीय कैबिनेट ने राज्यपाल की इस सिफारिश को अपनी स्वीकृति दे दी थी। इसके बाद गृह मंत्रालय ने फाइल राष्ट्रपति के पास भेज दी थी।

राष्ट्रपति ने राज्य में संविधान की धारा-356 के तहत राष्ट्रपति शासन लागू कर दिया है। इस तरह महाराष्ट्र में विधानसभा चुनाव के नतीजों के 19 दिन बाद आखिरकार राष्ट्रपति शासन लग गया।

ख़बर लिखे जाने तक शरद पवार की कांग्रेस नेताओं के साथ बैठक हो रही थी।

केंद्रीय गृह मंत्रालय ने कहा कि महाराष्ट्र में फिलहाल 6 महीने के लिए राष्ट्रपति शासन लागू हुआ है। अगर इस दौरान कोई पार्टी बहुमत साबित करती है तो राष्ट्रपति शासन हट जाएगा।

केंद्रीय गृह मंत्रालय की ओर से जारी बयान में कहा गया, ‘राज्यपाल ने केंद्र से पास राष्ट्रपति शासन की सिफारिश भेजी थी। जिसमें कहा गया था कि कोई भी पार्टी सरकार बनाती हुई नहीं दिख रही है। ऐसे में राज्य में राष्ट्रपति शासन लागू किया जाए।’

शिवसेना ने राज्यपाल के इस निर्णय को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी है।

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सुप्रीम कोर्ट ने शिवसेना की याचिका पर तुरंत सुनवाई करने से इंकार कर दिया।

महाराष्ट्र में राष्ट्रपति शासन लगाये जाने के खिलाफ आज शिवसेना दूसरी याचिका दाखिल करेगी। शिवसेना ने महाराष्ट्र में राष्ट्रपति शासन लगाने के राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी की सिफारिश को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी और तुरंत सुनवाई की मांग की थी लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई से इनकार कर दिया।

सुप्रीम कोर्ट की रजिस्ट्री ने कहा कि बुधवार 10.30 बजे याचिका समुचित बेंच के आगे मेंशन करें, तुरंत बेंच का गठन संभव नहीं है। सुप्रीम कोर्ट ने शिवसेना के वकील को कहा कि बुधवार को सुबह 10.30 बजे अपनी याचिका पर जल्द सुनवाई की मांग करें।

शिवसेना ने कहा है कि राज्यपाल को केन्द्र सरकार इशारे पर काम नहीं करना चाहिए।

वहीं विपक्षी दलों ने इस मुद्दे पर राज्यपाल और केंद्र सरकार पर निशाना साधा है। कांग्रेस प्रवक्ता रणदीप सिंह सुरजेवाला ने कहा कि राज्यपाल ने लोकतंत्र की कब्र खोद दी और संविधान की अवमानना की है।

दिग्विजय सिंह ने कहा है कि राज्यपाल ने प्रधानमंत्री और गृहमंत्री के दवाब में यह निर्णय लिया है। इस पर हमें आपत्ति है।

कांग्रेस नेता कपिल सिब्बल ने कहा है कि महाराष्ट्र में राष्ट्रपति शासन लगाने का मकसद होर्स ट्रेडिंग को बढ़ावा देना है। उन्होंने कहा कि ये अनैतिक कदम है। सिब्बल ने कहा कि जहां तक राज्यपाल का सवाल है वो केन्द्र के इशारे पर चलते हैं। जब ये जाहिर था कि शिवसेना बीजेपी के साथ नहीं जाना चाहती है तो 9 नवंबर तक का इंतजार क्यों किया गया? और शिवसेना एनसीपी को मात्र 24-24 घंटे का समय दिया गया।

सीपीएम नेता सीताराम येचुरी ने भी राज्यपाल के इस कदम की आलोचना करते हुए केंद्र की मोदी सरकार पर निशाना साधा है।

 

 


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