फारूख अब्दुल्ला की रिहाई के लिए वाइको ने SC में दायर की हैबियस कोर्पस याचिका

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जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री फारूक अब्दुल्ला को ढूंढने के लिए एमडीएमके नेता और राज्यसभा सांसद वाइको ने सुप्रीम कोर्ट में हैबियस कोर्पस याचिका दर्ज की है. दरअसल कश्मीर से केंद्र सरकार द्वारा विशेष राज्य का दर्जा हटाने के बाद से फारुख अब्दुल्ला से संपर्क नहीं हो पाया है. इसी कारण वाइको ने उन्हें ढूंढने की मांग करते हुए याचिका दर्ज की है.

याचिका में कहा गया है कि तमिलनाडु के पूर्व सीएम सीएन अन्नादुरई के जन्मदिन के अवसर पर 15 सितंबर को चेन्नई में एक सम्मेलन में भाग लेने के लिए अब्दुल्ला को निमंत्रण दिया गया था लेकिन केंद्र सरकार जम्मू और कश्मीर की विशेष स्थिति हटाने के बाद केंद्र सरकार द्वारा राज्य के राजनीतिक नेताओं को हिरासत में लेने और कर्फ्यू लगाने के बाद 5 अगस्त से वो अनुपलब्ध है. याचिका में सुप्रीम कोर्ट के समक्ष डॉ फारूक अब्दुल्ला को पेश करने और उन्हें स्वतंत्र करने के लिए भारत सरकार को निर्देश देने की मांग की गई है ताकि वो 15 सितंबर को चेन्नई में होने वाले सम्मेलन में शामिल हो सकें.

याचिका में कहा गया है कि वाइको ने 28 अगस्त को केंद्र सरकार को पत्र लिखकर अब्दुल्ला को चेन्नई जाने की अनुमति देने की मांग की थी. हालांकि इस पत्र का कोई जवाब नहीं दिया गया है. याचिका में दलील दी गई है, “उत्तरदाताओं की कार्रवाई पूरी तरह से अवैध और मनमानी है और जीने और व्यक्तिगत स्वतंत्रता के अधिकार का उल्लंघन है. साथ ही ये हिरासत स्वतंत्र भाषण और अभिव्यक्ति के अधिकार के खिलाफ है जो एक लोकतांत्रिक राष्ट्र की आधारशिला है.” याचिका में जोड़ा गया है,”उत्तरदाताओं ने जम्मू और कश्मीर राज्य में एक ‘अघोषित आपातकाल’ लगाया है और पिछले एक महीने से पूरे राज्य को तालाबंदी में रखा है और लोकतंत्र को मजबूत करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाले राज्य के जनप्रतिनिधियों को गिरफ्तार करके एक झटका दिया है.”

अनुच्छेद 370 को रद्द करने के केंद्र सरकार के फैसले के बाद से उमर के पिता और पूर्व मुख्यमंत्री फारूक अब्दुल्ला भी गुपकर रोड स्थित अपने घर में नजरबंद हैं. उनको भी लोगों से मिलने की इजाजत नहीं है.

अनुच्छेद 370 को रद्द करने के केंद्र सरकार के फैसले पर फारूक ने पिछले महीने कहा था कि यह असंवैधानिक है. उन्होंने कहा, “यह मोदी सरकार की तानाशाही है. हम कभी भी अलग नहीं होना चाहते थे और न ही हम इस राष्ट्र से अलग होना चाहते हैं. हमारे सम्मान एवं गरिमा को मत छीनो. हम गुलाम नहीं हैं.” उन्होंने कहा, “यह लोकतांत्रिक प्रणाली न होकर तानाशाही है. मुझे नहीं पता कि कितने लोगों को गिरफ्तार किया गया है. किसी को भी अंदर आने या बाहर जाने की अनुमति नहीं है. हम घर में नजरबंद हैं.” अब्दुल्ला ने कहा कि उनके घर के दरवाजे बंद हो गए हैं और वह बाहर नहीं जा सकते.

गौरतलब है कि इससे पहले सीपीआई (एम) के महासचिव सीताराम येचुरी ने कश्मीर के राजनेता मोहम्मद यूसुफ तारिगामी की रिहाई के लिए याचिका दायर की थी जो कुलगाम निर्वाचन क्षेत्र से चार बार के विधायक रह चुके हैं. 28 अगस्त को सुप्रीम कोर्ट ने येचुरी को श्रीनगर की यात्रा करने की अनुमति दी थी ताकि वे तारिगामी से मिल सकें. बाद में SC ने इलाज के लिए तरिगामी को श्रीनगर से एम्स दिल्ली स्थानांतरित करने की अनुमति दी थी. विशेष रूप से अदालत ने केंद्र से नेता की हिरासत के आधार के बारे में पूछताछ नहीं की थी.

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