‘पालघर मामले में कोई भी आरोपी मुस्लिम नहीं’- महाराष्ट्र के गृहमंत्री का बयान

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महाराष्ट्र के गृहमंत्री अनिल देशमुख ने पालघर लिंचिंग मामले को सांप्रदायिक रंग देने की कोशिश करने वालों को जवाब देते हुए, आरोपियों के नाम ट्वीट कर के, सार्वजनिक कर दिए हैं।

अनिल देशमुख ने अपने वेरिफाइड ट्विटर हैंडल से तीन हिस्सों में उन लोगों की सूची जारी की है, जिनको पालघर लिंचिंग के मामले में पुलिस ने गिरफ्तार किया है। साथ में उन्होंने लिखा है, ‘ये पालघर की घटना के मामले में गिरफ्तार 101 लोगों की सूची है। ये ख़ासतौर पर उनके लिए साझा कर रहा हूं, जो इसे सांप्रदायिक मामला बनाने की कोशिश कर रहे हैं..’

अनिल देशमुख ने सिर्फ ट्वीट ही नहीं किया है, उन्होंने बुधवार की सुबह अपने फेसबुक पेज से एक लाइव मैसेज भी ब्रॉडकास्ट किया। इस मैसेज में उन्होंने कहा कि पालघर मामले में एक भी आरोपी मुस्लिम नहीं है और विपक्ष इस मामले को जानबूझ कर धार्मिक रंग देने की कोशिश कर रहा है। देशमुख ने ये कहा कि बेशक ये एक बेहद दुर्भाग्यपूर्ण घटना है। लेकिन ये समय नहीं है कि इस मामले पर इस तरह की सांप्रदायिक राजनीति की जाए, बल्कि ये समय मिलकर, कोरोना वायरस को हराने का है।

हालांकि अनिल देशमुख ने किसी नेता या पार्टी का नाम तो नहीं लिया, लेकिन उन्होंने साफतौर पर पूर्व सीएम देवेंद्र फड़नवीस और भाजपा की ओर इशारा करते हुए, कहा कि कुछ लोग महाराष्ट्र की सत्ता में वापसी के ‘मुंगेरीलाल के हसीन सपने’ देख रहे हैं। अनिल देशमुख ने अपने फेसबुक लाइव में ये भी कहा, ‘पुलिस ने इस हिंसा के 8 घंटे के अंदर ही 101 आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया है और इन में कोई भी मुस्लिम भाई नहीं है।’

देशमुख ये भी साफ किया कि पालघर लिंचिंग के वायरल वीडियो में लगातार एक ध्वनि को ‘शोएब’ कह कर, सांप्रदायिक विद्वेष भड़काने की कोशिश की जा रही है, जबकि उस ऑडियो में एक शख़्स बाकियों से रुकने के लिए ‘ओए बस’ कह रहा है। महाराष्ट्र ने गृहमंत्री ने ये भी बताया कि गिरफ्तारी के बाद, अब इस मामले की जांच – महाराष्ट्र पुलिस की क्राइम ब्रांच को सौंपी जा रही है।

अनिल देशमुख का ये ट्वीट और फेसबुक लाइव, ऐसे वक़्त में बेहद अहम हो जाता है, जब लगातार एक ओर से संगठित रूप से अल्पसंख्यकों को देश में होने वाली हर दिक्कत का कारण बनाकर पेश किए जाने की प्रवृत्ति आम दिखाई देने लगी है। सरकारों का मूलभूत कर्तव्य ये है कि वे सांप्रदायिक भावना भड़काने की ऐसी हर कोशिश को नाकाम करें, हालांकि कई जगह सांप्रदायिकता को सत्ता का परोक्ष समर्थन मिलता दिखाई देता है। ऐसे में महाराष्ट्र के गृहमंत्री के इस संदेश को एक बेहतर कदम के तौर पर देखा जा रहा है।