हिरासत में रखे गए कश्मीरी नेताओं को तोड़ने की साजिश !

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कश्मीर में नई व्यवस्था लागू किए जाने के बाद से कैद रखे गए नेताओं को ठंड बढ़ने पर होटल से एमएलए हॉस्टल में स्थानांतरित करने का कारण यह बताया गया कि होटल में ठंड से निपटने की पर्याप्त व्यवस्था नहीं थी। द टेलीग्राफ की इस रिपोर्ट में कहा गया है कि श्रीनगर और देश के बाकी हिस्से में नियंत्रित मीडिया ने आधिकारिक सूत्रों के हवाले से लिख दिया कि यह कैदियों के हित में है क्योंकि वहां बढ़ती ठंड से निपटने के पर्याप्त इंतजाम नहीं हैं।

मुर्तजा शिबली ने अखबार में प्रकाशित इस रिपोर्ट में लिखा है कि यह सही नहीं है। सेंटॉर होटल चार सितारा होटल है जहां सेंट्रल हीटिंग की सुविधा है और यह पूर्व में ठीक-ठाक काम करता रहा है। यहां से जिन लोगों को एमएलए हॉस्टल में स्थानांतरित किया जा रहा है उनमें पूर्व मंत्री, विधायक और नौकरशाह हैं। स्थानांतरण की यह कार्रवाई हिरासत में रखे गए लोगों को कमजोर करने के लिए है। एक बंदी के परिवार के एक सदस्य के मुताबिक, यह इन लोगों को नई व्यवस्था में उनकी औकात बताने की साजिश है।

नई जगह एमएलए हॉस्टल का हिस्सा है जिसमें एक कमरे या स्टूडियो फ्लैट्स हैं। यहां कमरे को गर्म रखने की कोई व्यवस्था नहीं है। इस लेखक को प्राप्त सूचना के अनुसार पहली रात हीटिंग की कोई व्यवस्था नहीं थी और वहां रखे गए लोग अपने साथ किए गए व्यवहार से पहले ही हिल गए थे और रात भर कांपते रहे। अगली सुबह उन्हें एक रॉड वाला बिजली का रूम हीटर दिया गया जो बमुश्किल किसी के हाथ गर्म कर सकता है वह भी तब जब करीब हो। इस जगह को बंद कर किले जैसा बना दिया गया है और कांच पर फिल्म लगा दी गई है। इससे कमरों में प्राकृतिक रोशनी नहीं आएगी। इससे सर्दी कैसे कटेगी, राम जानें।

यही नहीं, सेनटॉर होटल से अलग इस जगह पर लाइट खूब जाएगी और सर्दियों में कश्मीर के लाइट जाना समान्य बात है। …. इस तरह सर्दी में गर्म रखने की सुविधाओं का प्रचार दरअसल बेकार है। तकरीबन सभी कैदियों के लिए यह जेल जैसी स्थितियों से उनका पहला मुकाबला होगा और इस कदम की योजना बनाने वाले अधिकारियों के मुताबिक इससे उन्हें कमजोर करना और तोड़ना आसान होगा। इससे वे नरम पड़ेंगे और समर्पण कर देंगे। …. बताया जाता है कि कई भारत समर्थक राजनीतिकों ने बांड भर कर अपनी चुप्पी के बदले कुछ आजादी हासिल की है। ….

वैसे, 100 से ज्यादा दिनों तक सेनटॉर होटल में रहना भी आसान नहीं था …. किसी को भी होटल के विशाल लॉन में जाने की आजादी नहीं थी। टहलने के लिए जब ये लोग होटल के कॉरीडोर का उपयोग करने लगे तो अक्सर उन्हें इससे भी रोक दिया जाता था। वह भी अनजाने लोगों द्वारा जो मुफ्ती में होते थे। …. एक बार सज्जाद गनी लोन ने ड्यूटी पर तैनात किसी पुलिस वाले से मीठी बात की और उसके फोन से किसी को फोन किया जो संभवतः अमित शाह थे। यह कॉल कुछ मिनट चली और इधर से लोन बच्चे की तरह आग्रह करते रहे। इससे सुनने वालों को देश और राज्य में भाजपा के लिए उनके और उनके परिवार के बलिदान की याद आई।

ऐसा लगा कि जिसे फोन किया गया था उसने फिर बात करने का वादा किया। पर जल्दी ही पुलिस प्रमुख को इस कॉल की सूचना दी गई और जांच के आदेश दिए गए। संबंधित पुलिस वाले को तत्काल मुअत्तल कर दिया गया और इससे बाहरी दुनिया में यह संदेश चला गया कि लोन पर पूरी तरह समर्पण में रहने के लिए दबाव डाला गया। यह द टेलीग्राफ में आज पहले पन्ने पर छपी खबर के खास हिस्सों का अनुवाद। अखबार ने इस खबर को लीड बनाया है जिसका फ्लैग शीर्षक है, रास्ते पर लाने के लिए हिरासत में राजनीतिकों के साथ कैसा व्यवहार किया गया। मुख्य शीर्षक है, कश्मीर में हिरासत में : चांटा, लात मारना और चूहे।


अनुवाद : वरिष्ठ पत्रकार संजय कुमार सिंह


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