IIMCAA के पूर्व महासचिव ने किया फीस वृद्धि का विरोध, अलुम्नाइ में दो फाड़

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भारतीय जन संचार संस्थान के पूर्व छात्रों के संगठन (IIMCAA) के पूर्व महासचिव और आइआइएमसी ओल्ड स्टूडेंट्स एसोसिएशन (IIMCOSA, जिसे mediavigil के नाम से जाना जाता है) के प्रभारी डॉक्टर गोपाल कृष्ण ने एक पत्र जारी कर आइआइएमसी, जेएनयू और आइआइटी में फीस वृद्धि के खिलाफ चल रहे छात्रों के आन्दोलन को समर्थन देने की घोषणा की है.

भारतीय जनसंचार संस्थान के छात्रों को संबोधित अपने पत्र में गोपाल कृष्ण ने लिखा है- “प्रिय साथियों, देर से ही सही, आइआइएमसी पूर्व छात्र संगठन ( IIMCAA) के पूर्व महासचिव होने के नाते अपनी और आइआइएमसी के पूर्व छात्रों का मंच मीडियाविजिल की ओर से आइआइएमसी, जेएनयू और आइआइटी में छात्रों द्वारा फ़ीस बढ़ोतरी के खिलाफ चलाये जा रहे आन्दोलन के प्रति एकजुटता और समर्थन की घोषणा करता हूँ.

ध्यान रहे कि अनैतिक फ़ीस वृद्धि के खिलाफ चल रहे आन्दोलन को सभी प्रगतिशील और बुद्धिजीवियों का समर्थन मिलना चाहिए. मैं पॉन्डिचेरी विश्वविद्यालय के छात्रों को बधाई देता हूं, जिन्होंने अधिकारियों को अनुचित शुल्क वृद्धि रोलबैक करने के लिए अधिकारियों को मजबूर किया.

मैं इस संबंध में हमारे शिक्षक प्रो. सुभाष धूलिया और आईआईएमसी के साथियों द्वारा की गई टिप्पणियों की सराहना करता हूं. इसे आगे की कार्रवाई के लिए प्रेरित करना चाहिए.

https://www.facebook.com/devesh.mishra.35380399/posts/1056948247997243

इस मुद्दे पर मैं अपनी लम्बी ख़ामोशी के लिए क्षमा चाहता हूँ, विशेषकर वतर्मान बैच से. मेरा यह बहाना बचकाना है लेकिन मैं आपको एक स्पष्टीकरण देना चाहता हूं.

https://www.facebook.com/banjot.kaur/posts/2639071976158900

दरअसल भारत कैसे विदेशी कचरे और खतरनाक प्रौद्योगिकियों, खतरनाक पदार्थों और बड़े डेटा निगरानी प्रौद्योगिकियों का कचरा पेटी बन गया है मैं इधर बीच इसके दस्तावेजीकरण में व्यस्त रहा. ज्यादातर मीडिया मालिक सरकार की मिलीभगत से इन कॉरपोरेट अपराधों की अवहेलना करने में सरकार के सहयोगी बन चुके हैं.

देश में कोई भी छात्र संगठन फीस वृद्धि का समर्थन नहीं करता है. कोई भी छात्र संगठन इसका समर्थन करने की हिम्मत नहीं करेगा. प्रत्येक छात्र संगठन, छात्र समुदाय के खिलाफ इस गंभीर, अक्षम्य, अनुचित और अपरिहार्य अन्याय का विरोध करता है.

अगर किसी को भी ऐसा कोई संगठन पता है जो फीस वृद्धि आन्दोलन का विरोध करता है, तो कृपया हमें बताएं-मैं संवेदनशीलता के साथ शुल्क वृद्धि के मुद्दे पर उनसे विचार करने की अपील करूंगा. इन विरोधों के पीछे एक आकर्षक नैतिक तर्क है जिसे कोई भी सरकार नजरअंदाज नहीं कर सकती है अगर वह वर्तमान और भविष्य के भारतीयों की नजर में वैध बने रहना चाहता है.

किसी भी सरकार का संरचनात्मक रूप से छात्र-विरोधी बनना असम्भव है. दुनिया की निष्पक्ष और तटस्थ आँखें छात्रों के इस वीरतापूर्ण और ऐतिहासिक संघर्ष की गवाह हैं.

दुनिया भर के छात्र भारत में अपने समकालीनों की दुर्दशा देख रहे हैं. छात्रों की गूंज शासकों और उनके सहयोगियों के सभी रणनीति को बौना कर देगी.


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