शुजात बुखारी के जनाज़े में उमड़ी भारी भीड़, एक संदिग्ध गिरफ़्तार

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राइज़िंग कश्मीर के संपादक शुजात बुखारी को आज सुबह बारामूला ज़िले के उनके गाँव में सिपुर्द-ए-ख़ाक कर दिया गया। उनके जनाज़े में भारी भीड़ उमड़ी। शुजात बुखारी की कल शाम दफ्तर से निकलते हुए हत्या कर दी गई थी। उनके दो सुरक्षागार्ड भी इस हमले में मारे गए थे।

फिलहाल पुलिस ने एक संदिग्ध को गिरफ्तार किया है और हत्या में इस्तेमाल पिस्तौल बरामद कर ली है। संदिग्ध एक वीडियो में शुजात बुखारी की हत्या के बाद कार से पिस्तौल निकालकर फरार होता दिखा था। इसी के साथ पुलिस ने सीसीटीवी में क़ैद एक तस्वीर भी जारी की है जिसमें तीन नकाबपोश एक मोटरसाइकिल पर भागते दिख रहे हैं। मामले को सुलझाने के लिए सेंट्रल कश्मीर के डीआईजी की अगुवाई में एसआईटी का गठन किया गया है।

शुजात बुखारी की हत्या की देश भर में निंदा हो रही है। तमाम पत्रकार संगठनों, प्रेस क्लब ऑफ इंडिया से लेकर एडिटर्स गिल्ड ने इसे कायराना हरकत बताते हुए तीखी प्रतिक्रिया जताई है। सोमवार को दिल्ली प्रेस क्लब में शाम 4 बजे श्रद्धांजलि सभा भी आयोजित की गई है।

इस बीच सबसे बड़ा सवाल यह उठ रहा है कि आखिर शुजात की जान लेने से किसे फायदा हो सकता है। शुजात उन पत्रकारों में थे जो सच बात कहने से चूकते नहीं थे। वे कश्मीर में पाकिस्तानी हरकतों के सख्त खिलाफ़ थे लेकिन कश्मीरी अवाम की तकलीफों पर भी जमकर कलम चलाते थे। वे हर हाल में कश्मीर में अमन चाहते थे और इसके लिए हर मंच पर सवाल उठाते थे। यही नहीं, वे एक एनजीओ के जरिये कश्मीर से पलायन कर गए पंडितों के लिए भी काम कर रहे थे।

ज़ाहिर है, शुजात को मारने वाले वही हो सकते हैं जिन्हें ख़ून में डूबा कश्मीर फ़ायेदमंद लगता है। सवाल है कि वे कौन हैं? तमाम अलगाववादी संगठनों ने भी शुजात बुखारी की हत्या की निंदा की है। किसी आतंकी गिरोह ने भी इस हत्याकांड का जिम्मा नहीं लिया है। उल्टा लश्कर और हिज्बुल ने भारतीय एजेंसियों पर हत्या कराने का आरोप लगाया है।

बहरहाल, नकाबपोश हमलावरों की तस्वीर सामने आने से उम्मीद बँधी है कि जल्द ही क़ातिलों के चेहरे सामने आ जाएँगे। फिलहाल तो शुजात बुखारी ही दफ़्न हुए हैं, सवाल नहीं।

 

 



 


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