कोरोना की जंग में UP का कवि लाचार, हरियाणा में डॉक्टर नाराज़, सबसे जुदा MP का अंदाज़

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एक दिन पहले उत्तर प्रदेश की एक डॉक्टर ने सोशल मीडिया पर एक वीडियो डाल कर बताया था कि उनकी नर्स के पास मास्क नहीं है. अब हिंदी के वरिष्ठ कवि नरेश सक्सेना ने फेसबुक पर एक पोस्ट लिख कर यूपी में सरकारी बदहाली को उजागर किया है, कि कैसे उनकी बहू को कोरोना के लक्षण के बावजूद उपचार नहीं मिल रहा और भटकना पड़ रहा है.

मीडियाविजिल ने फोन पर नरेश सक्सेना ने बात की. उन्होंने बताया, “सरकारी दावों से निराशा मिलने के बाद अब मेरे एक पारिवारिक डॉक्टर बहू का इलाज कर रहे हैं और संतोष की बात यह है कि उन्हें कोरोना नहीं है”.

नरेश सक्सेना ने कहा, “सोचिए जब मुझ जैसा व्यक्ति जो दशकों से यहां रह रहा है और उसकी अच्छी खासी एक पहचान है तब उसकी सुनवाई नहीं हो रही है तो आम आदमी का क्या हाल होगा. यहां इतनी बड़ी आबादी रहती है और जांच के लिए एक ही अस्पताल. वहां भी सभी उपकरण उपलब्ध नहीं है. ऐसे में लोग कहां जाए? ऐसा तो है नहीं कि सरकार ने पहले से ही हजारों मास्क खरीदकर वितरण किये हों. इसलिए ये जितने भी हेल्पलाइन नम्बर और दावे हैं सब बेकार है. कहीं कोई सुनवाई नहीं होती”.

उन्होंने अपने फेसबुक पर जो लिखा उसे पढ़िए तो समझ जाएंगे यूपी में सरकारी व्यवस्था किस तरह काम कर रही है.

“लखनऊ मेडिकल कालेज कल रात साढ़े दस बजे गये थे. मेरी बहू को 8 दिन से ज़ुकाम, बुख़ार, नाक बंद, गले और हड्डियों में दर्द, सांस फूल रही. दिल्ली शादी में गये थे, जहां अमेरिकी रिश्तेदार आये थे. सब सुनने के बाद कहा, ‘घर जाकर आइसोलेशन में रहिये. दो हफ्ते बाद हाल बताइये.’ 112 नंबर पर फ़ोन किया तो 2 कांस्टेबल आये. पूरा हाल सुना फिर शायद, किसी प्रशासनिक आफ़िस फ़ोन किया. उन्हें पूरा हाल बताया तो कहा कि उच्चाधिकारियों को रिपोर्ट प्रस्तुत होगी. एक घंटे बाद बतायेंगे. एक घंटे बाद बताया, ‘अभी निर्णय नहीं हुआ, कल सुबह पता चलेगा.’ इसी बीच गोमतीनगर के सिटी हैल्थ अस्पताल गये, सिर्फ 100 मीटर की दूरी के लिये, एंबुलेंस ने एक हज़ार (आना जाना) लिए. डाक्टर की फ़ीस 500 रुपये लेकर बताया, ‘हम इलाज नहीं कर सकते.’ पूछा कहां जायें तो कुछ नहीं बताया. एक नंबर लखनऊ कोरोना के नोडल अधिकारी का मिला, लेकिन वह चालू नहीं था. पता लगा है कि राममनोहर लोहिया अस्पताल में शायद सैंपल ले लेंगे लेकिन वहां जांच नहीं होती. बनारस, इलाहाबाद आदि के नाम बताने के लिये धन्यवाद.”

नरेश सक्सेना की इस पोस्ट को कई लोगों ने साझा किया है, जिनमें वरिष्ठ आलोचक वीरेन्द्र यादव भी शामिल हैं.

#इस_कोरोना_समयमें_एक_कवि_और_संभ्रांत_नागरिककी_बेबसी. घंटे,घडि़याल बेशक बजाते रहिये, लेकिन मेडिकल तैयारियों की हकीकत भी…

Posted by Virendra Yadav on Monday, March 23, 2020

कोरोना वायरस के कहर से निपटने के लिए देशव्यापी नाकेबंदी और ताली-थाली बजाओ कार्यक्रम के बीच किसी का ध्यान सरकारी लापरवाही और कमियों की ओर नहीं गया. उससे पहले कोरोना भगाने के लिए  दिल्ली में ‘गौमूत्र पार्टी’ का आयोजन हुआ. प्रधानमंत्री ने अपनी शैली में टीवी पर आकर सोशल डिस्टेंस और नाकेबंदी की घोषणा कर दी और कोरोना के कर्मवीरों के प्रति आभार व्यक्त करने के लिए शाम 5 बजे 5 मिनट तक अपने-अपने घरों में कैद होकर ताली-थाली बजाने का फ़रमान जारी कर दिया.

उसके बाद जो हुआ वह सबके सामने हैं. इस दौरान कोरोना से संक्रमित लोगों के उपचार में लगे डॉक्टरों और अन्य लोगों की परेशानियों को अनसुना कर दिया गया. डॉक्टरों और नर्सों के पास बुनियादी सेफ्टी किट की कमी है. मुंह ढकने के लिए मास्क की कमी है. सरकारी लापरवाही का उद्घाटन एक और सरकारी डॉक्टर कामना कक्कड़ ने भी किया है. उन्होंने इसे लेकर कई ट्वीट किए हैं.

यह स्थिति केवल उत्तर प्रदेश तक सीमित नहीं है. दूसरे राज्यों का भी यही हाल है. मध्य प्रदेश में कल रात तक न तो सरकार थी न स्वास्थ्य मंत्री. देर रात शिवराज सिंह चौहान ने शपथ लेते ही कोरोना को अपनी पहली प्राथमिकता बताया, लेकिन वहां के अपर मुख्य सचिव द्वारा सभी जिलाधिकारियों को शराब के ठेकों के संबंध में जारी एक निर्देश को पढ़कर समझ में आता है कि कोरोना पर सरकारी महकमे में कितना भ्रम है।