निर्मला सीतारमण को 160 अरब नागपुर पहुंचा देना चाहिए… आम के आम, गुठलियों के दाम!



रवीश कुमार 

बैंकों की दुनिया में कुछ ऐसा घट रहा है, जो आम समझ से बाहर है। बैंकों की ख़राब आर्थिक स्थिति से अर्थव्यवस्था में मंदी आती है या तेज़ी, इस पर कहीं चर्चा नहीं है। कई बार बैंक से संबंधित ख़बरों को पढ़ते हुए लगता है कि हम एक किसी भी वक्त डूब जाने वाली नाव में सवारी कर रहे हैं।

भारतीय रिज़र्व बैंक ने एक नया क़ायदा बनाया है कि अगर लोन का विवाद 60 से 90 दिनों के भीतर नहीं सुलझता है तो उसे नॉन प्रोफिट असेट के रूप में रिपोर्ट करना होगा। ऐसा करने से एनपीए में 30 से 50 फीसदी की वृद्धि हो जाएगी। आप जानते हैं कि हर लोन एनपीए नहीं होता है। एनपीए होने से पहले उसे बैड लोन यानी बुरे क़र्ज़ के रूप में रखा जाता है। अनुमान है कि इस नियम के बाद बैंकों का एनपीए 2.8 ट्रिलियन हो जाएगा। एक ट्रिलियन मतलब 1,000,000,000,000 यानी एनपीए की राशि 30 लाख करोड़ हो सकती है? क्या मैंने सही हिसाब लगाया है?

“And a great gentleman called me from India and he said, we have just reduced the tariff on motorcycles, reduced it to 50 percent from 75 percent and even 100 percent”

अमरीकी राष्ट्रपति ट्रंप के इस कथन को पढ़ते हुए कुछ बातें खनक गईं। आयात शुल्क घटाने को लेकर क्या प्रधानमंत्री मोदी ने फोन किया था? क्या इस तरह से रिपोर्ट किया जाता है? पर ट्रंप की बातें देखिए, उससे भी संतुष्ट नहीं हैं।

ट्रंप साहब अपने अंदाज़ में कह रहे हैं कि आप लोगों को पता नहीं कि भारत की मोटरसाइकिलें अमरीका में लाखों की संख्या में बिक रही हैं और हम उन पर ज़ीरो टैक्स लेते हैं जबकि भारत के बाज़ार में जाने के लिए हार्ली डेविडसन पर 50 प्रतिशत आयात शुल्क लगता है। यह सही है कि भारतीय बाइक के आयात पर कोई शुल्क नहीं लगता है मगर यह सही नहीं लगता है कि भारत की मोटरसाइकिलें अमरीकी बाज़ार में लाखों की संख्या में बिक रही हैं। मुझे तो नहीं दिखीं।

वैसे महंगी बाइक पर आयात शुल्क कम करने का क्या मतलब है? अमीरों को फायदा? क्या भारत के ग़रीब भी 4 लाख से लेकर 38 लाख वाली हर्ली डेविडसन की बाइक चलाने लगे हैं? जब भारत में ये बाइक बननी शुरू हो गई थी तब आयात शुल्क घटाने का क्या मतलब है? यहां बनाने वाली कंपनियों को प्रोत्साहन कैसे मिलेगा? अभी तक अधिक आयात शुल्क के बहाने ही यहां बाइक बन रही थी ताकि सस्ती मिले। अब अगर वहीं से सस्ती आ जाएगी तो यहां कौन बनाएगा। मेक इन इंडिया?

हमारे एक मित्र ने कहा है कि युद्ध की आशंका का पता लगाने के लिए अख़बारों में हथियार ख़रीद की ख़बरों पर ध्यान देना चाहिए। पिछले दो तीन दिनों के बिजनेस स्टैंडर्ड में अजय शुक्ला की दो खबरें हैं। अजय शुक्ला ने लिखा है कि जम्मू कश्मीर में आतंकी हमले के बाद रक्षा मंत्रालय ने करीब 160 अरब रुपये की राइफल ख़रीदने का फ़ैसला कर लिया है। इन्हें जल्दी ख़रीदा जाएगा। दूसरी ख़बर है कि भारतीय वायुसेना अमरीकी फाइटर विमान F-35 ख़रीदने में दिलचस्पी दिखा रही है। 126 विमानों की ख़रीद के लिए विचार किया जा रहा है।

वैसे इन हथियारों के आने के पहले ही संघ की सेना फुलपैंट पहनकर तैयार हो चुकी होगी। मोहन भागवत ने कहा है कि तीन दिन में संघ मोर्चा संभाल सकता है। निर्मला सीतारमण को 160 अरब संघ के मुख्यालय में पहुंचा देना चाहिए। पैसा घर में रहेगा और वक्त भी बचेगा।


रवीश कुमार आजकल अपने फेसबुक पन्ने पर नि:शुल्क आर्थिक समाचार संकलन कर रहे हैं. वहीं से साभार प्रकाशित.