राजदीप की सलाह कूड़ेदान में, चैनल पहुँचे राधे माँ के दरबार !



नीचे दो तस्वीरों को एक साथ पेश किया गया है। मूल तस्वीर में एबीपी संवाददाता जगविंदर पटियाल बाबा गुरमीत राम रहीम का इंटरव्यू ले रहे हैं। इंटरनेट पर मौजूद इस इंटरव्यू के प्रसारण की तारीख़ 24.जुलाई 2015 है। दावा है कि यह बाबा का पहला इंटरव्यू है। इंटरव्यू मेें जगविंदर पटियाल मुग्ध भाव से सवाल पूछते नज़र आ रहे हैं और बाबा बड़े आराम से उन्हें हर मुद्दे पर सहमत करते। संवाददाता ने ‘एक पत्रकार की हत्या’ और ‘साध्वी से बलात्कार के आरोप’ से जुड़ा एक-एक सवाल सरसरी ढंग से पूछकर खानापूरी की थी, लेकिन बाबा के जवाब से संतुष्ट होकर आगे बढ़ गए ।

इस तस्वीर में एक इनसेट तस्वीर भी जगविंदर पटियाल की है। यह 25 अगस्त 2017 की है जब बाबा को दोषी ठहराए जाने के बाद उसके समर्थकों ने सिरसा में आग लगा दी थी।

चैनलों के लिए बाबा अब बलात्कारी और हत्यारा है, लेकिन पहले उसकी फ़िल्मों की रिलीज़ का उत्सव मनाता था। इसी तरह के इंटरव्यू लेता था। इसे ब्रैंडिंग और मार्केटिंग का कमाल कहते हैं जिसमें पत्रकारिता के नाम पर धंधा करने वाले अब हिस्सा बँटा रहे हैं।

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यह सिर्फ़ एक चैनल का मामला नहीं है। सबसे तेज़ ‘आज तक’ को ही देखिए। संपादक राहुल कँवल कूद-कूद कर बाबा के डेरे इंटरव्यू के लिए पहुँचते थे।

 

साहिर लुधियानवी ने कभी लिखा था- ‘अब आग से क्यों कतराते हो शोलों को हवा देने वालों…।’ वाक़ई, मीडिया अंधविश्वास के रस्सों से अपना तंबू तानने वाले बाबाओं को तब तक हवा देता है जब तक कि वे जेल नहीं पहुँच जाते।

यही वजह है शायद कि 28 अगस्त को राजदीप ने ट्वीट करके आत्मालोचना की सलाह दी थी। राजदीप ने लिखा था कि नेताओं पर उँगली उठाने से पहले चैनलों को अपने अंदर झाँक कर देखना चाहिए। आख़िर चैनल ये क्यों नहीं कहते कि वे बाबाओं के स्पॉन्सर प्रोग्राम अब और नहीं दिखाएँगे।

 

यह इंडिया टीवी के पूर्व मैनेजिंग एडिटर अजित अंजुम की ‘कमनज़री’ का जवाब भी था, जो ‘लफंगे बाबाओं’ को पालने के लिए महज़ पार्टियों को कोस रहे थे।

लेकिन लगता है कि राजदीप की बात पर किसी ने कान नहीं दिया। दो दिन पहले अचानक राधे माँ तमाम चैनलों पर एक साथ अवतरित हुईं। सब एक्सिक्लूसिव बातचीत दिखा रहे थे। राजदीप जिस टीवी टुडे ग्रुप से जुड़े हैं, उसके तीनों चैनल आजतक,तेज़ और इंडिया टुडे में एक साथ राधे माँ अवतरित हुईं ।

उसी समय इंडिया टीवी पर भी राधे माँ का बिंदास इंटरव्यू चल रहा था…

तो ज़ी राजस्थान पर बुज़ुर्गवार जगदीश चंद्र कातिल अपने ‘जेसी शो’ में एक्सक्लूसिव फोड़ रहे थे।

क्या चैनलों के लिए ‘एक्सक्लूसिव’ का कोई अर्थ नहीं रह गया है। आख़िर एक साथ सब जगह कोई इंटरव्यू एक्सक्लूसिव कैसे हो सकता है। नेट पर पब्लिश होने की तारीख सबने 22 अक्टूबर लिख रखी है। यानी एक साथ ही इंटरव्यू दिया गया है।

वैसे राधे माँ के प्रति अचानक उमड़ी आस्था स्वाभाविक नहीं है। सभी साक्षात्कारों का टोन एक सा था, जिसमें राधे माँ के आँसुओं से वह पुरानी छवि धोई जा रही थी जो चैनलों ने ख़ुद बनाई थी। नीचे कुछ तस्वीरें हैं जो बताती हैं कि राधे माँ के साथ चैनलों का पिछला व्यवहार कैसा था। कुल मिलाकर उन्होंने राधे माँ के बहाने कुत्सा की दरिया बहाई थी।

ऐसे में सवाल उठ रहा है कि क्या इसके पीछे कोई कारोबारी दाँव है। यानी क्या ये सारे इंटरव्यू उसी प्रायोजित कार्यक्रमों के तहत हैं जिसे बंद करने की सलाह राजदीप ने दी थी। यह ग़ौर करने वाली बात है कि राधे माँ का मुख्य सेवादार संजीव गुप्ता नाम का कारोबारी है। यह वही संजीव गुप्ता है जो कभी चैनलों पर राधे माँ की ओर से सफ़ाई पेश करता था। नीचे टाइम्स नाऊ में रहते हुए अर्णव गोस्वामी के डिबेट की तस्वीर है जिसमें संजीव गुप्ता जवाब दे रहा है, राधे माँ की ओर से।

लेकिन संजीव गुप्ता की एक और पहचान भी है। वह ग्लोबल एडवर्टाइज़र्स नाम की कंपनी भी चलाता है। पिछले दिनों उसने अर्णब गोस्वामी के रिपब्लिक टीवी की लॉंचिंग का प्रचार किया था। इसके लिए रिपब्लिक टीवी के लेटर हेड पर अर्णब गोस्वामी ने संजीव गुप्ता का शुक्रिया अदा किया था। इस लेटर को गुप्ता ने अपने फेसबुक पेज पर अपलोड किया था

यानी यह पूरा एक चक्र है। टीवी के पर्दे पर राधे माँ के प्रतिनिधि बतौर पेश आने वाले संजीव गुप्ता की कंपनी रिपब्लिक टीवी को कृतार्थ करती है। और अब तमाम चैनल राधे माँ की छविनिर्माण योजना के सहभागी बन जाते हैं। बाबा राम रहीम जेल में है तो चैनलों को कुछ नया चाहिए। उनके हाथ एक देवी लग गई है जिसके सहारे वे बिना दिमाग़ का इस्तेमाल किए जनता को ‘ख़ाली-दिमाग़’ बनाने का अभियान जारी रख सकते हैं।

यूँ भी, राधे माँ की कहानी चैनलों की नज़र में काफ़ी ग्लैमरस है। रंगीन विज़ुअल्स का खेल है और केंद्र में एक युवा स्त्री है। टीआरपी की गारंटी वाला पूरा मसाला है। साथ में पैसा भी।

राजदीप जैसों की सलाह जाए भाड़ में…जनता जाए भाड़ में…देश जाए भाड़ में !

वैसे, अगर ये प्रायोजित इंटरव्यू हैं तो चैनलों को इसके बारे में जनता को जानकारी देनी चाहिए। यह संयोग तो नहीं हो सकता कि इतने सारे चैनल एक साथ एक्सक्लूसिव इंटरव्यू चलाने लगें।

एन.नॉमस.