देवबन्दीयत की दुहाई देने वाले हवाला कारोबार में शामिल?



एडीयूएफ के सांसद व सपा के पूर्व विधायक का ज़मीन ख़रीद प्रकरण के सच से पर्दा उठना ज़रूरी

क्या हवाला के ज़रिए हुआ करोड़ों में बदरूद्दीन-माविया के बीच लेन-देन

नार्को टेस्ट होना चाहिए दोनों ही नेताओं का व सीबीआई से हो जाँच तभी दूध का दूध पानी का पानी होगा

मोदी सरकार के सख़्त रूख के चलते भी फलफूल रहा हवाला कारोबार, जाँच एजेंसियाँ करें जाँच तब ही उठेगा पर्दा


तौसीफ़ क़ुरैशी I लखनऊ/देवबंद

करोड़ों के लेन-देन को लेकर दो सियासतदाओं के बीच छिड़ी जंग में सच ओर झूठ के बीच झूलते देवबन्दवासी व देवबन्दी हल्का क्योंकि इस प्रकरण में दारूल उलूम सर्वोच्च कमेटी सूरा के सदस्य का नाम शामिल है जिससे दारूल उलूम की साख भी दाँव पर है।

असम एडीयूएफ के चीफ़ व अजमल कंपनी के डायरेक्टर एवं असम की डुबरी लोकसभा सीट से सांसद व दारूल उलूम मजलिस सूरा के सदस्य मौलाना बदरूद्दीन अजमल ने देवबन्द के पूर्व विधायक एवं सपा के वरिष्ठ नेता माविया अली के विरूद्ध पहले दिल्ली के थाना क्षेत्र में एक मामला दर्ज कराया और अब फिर धमकी देने की एक शिकायत लखनऊ में की गई। उसकी जाँच चल रही है कि क्या पूर्व विधायक माविया अली ने कोई धमकी दी है।

बदरूद्दीन अजमल ने अपनी पहली शिकायत में देवबन्द के पूर्व विधायक माविया अली पर रंगदारी माँगने का आरोप लगाया था ओर माविया अली उस आरोप के तहत गिरफ़्तार भी कर लिए गए थे। भरोसेमंद सूत्रों के अनुसार जब पुलिस ने माविया अली को कोर्ट में पेश किया तो अदालत की विद्वान न्यायधीश महोदया ने पुलिस से आरोप के अनुसार सबूत माँगे जिसे दिल्ली की पुलिस व मौलाना बदरूद्दीन अजमल देने में नाकाम रहे जिसके बाद न्यायालय ने दिल्ली पुलिस को फटकार लगाते हुए कहा था कि ऐसे ही किसी पर रंगदारी का आरोप लगा दोगे ऐसा नहीं है।

इस पर न्यायालय की विद्वान न्यायधीश महोदया ने रंगदारी के आरोपी माविया अली को उसी दिन ज़मानत दे दी लेकिन उनके जमानतियों का पंजीकरण न होने की वजह से वह उस दिन नहीं छूट पाए थे। अगले दिन ईद की छुट्टी होने की वजह से वह पंजीकरण न होने के कारण तीसरे दिन रिहा हो गए थे।

अब सवाल उठता है कि जब सांसद बदरूद्दीन अजमल से माविया अली ने रंगदारी माँगी तो कोर्ट में सबूत क्यों नही पेश कर पाए और अगर उनके पास सबूत नहीं थे तो यह सब क्यों किया गया। इसके बाद जब दिल्ली में आप नाकाम हो गए तो अब यूपी पुलिस को शिकायत पत्र देकर दुबारा क्या गेम खेला जा रहा है।

अब यह तो जाँच के उपरांत ही ज्ञात होगा कि शिकायत सही है या दिल्ली की तरह इसमें भी कुछ दम नहीं है लेकिन ऐसा लगता है कि बार-बार शिकायत कर मामले को उलझाए रखना मक़सद है ताकि इस मामले में कोई सच्चाई तक न जा सके।

सांसद बदरूद्दीन अजमल की तरफ़ से यह कहा जा सकता है कि वह पुलिस की मदद लेने के नाम पर इस मामले को बार-बार ताज़ा करने की कोशिश हो रही है परन्तु सच्चाई वह भी पुलिस को व आम लोगों को बताने से क़तरा रहे हैं। ऐसा क्या है इस मामले में कि दोनों ही सच नहीं बता रहे हैं। अगर दोनों को सच नहीं बताना है तो बार-बार पुलिस में शिकायत कर यह क्या साबित करना चाहते हैं।

मैंने दोनों ही फरीकों से बात करने की व सच्चाई जानने की भरपूर्व कोशिश की परन्तु कोई सच नही निकल कर आया। सांसद बदरूद्दीन अजमल को कई बार फ़ोन पर सम्पर्क करने की कोशिश की लेकिन उन्होंने फ़ोन नही उठाया। वहीं देवबन्द के पूर्व विधायक माविया अली से बात की गई तो उनका कहना है कि सांसद बदरूद्दीन अजमल से मेरा कोई ज़ाती झगड़ा नही है। उनसे मैंने ज़मीन ख़रीदी थी जिसका मैं 90 फीसद पैसा अदा कर चुका हूँ लेकिन वह उनके बताए स्थान दिए गए पैसों को लेने के बाद भी अब मुकर रहे हैं। बस यह मामला है। मैं कह रहा हूँ कि मेरा पैसा चला गया जिसका मेरे पास सबूत है और वे कह रहे हैं कि पैसा नहीं मिला।

इस मामले में हवाला से लेन देन की बू आ रही है। इस हालत में सरकार को चाहिए कि इस हाईप्रोफ़ाइल लेन देन की सीबीआई जाँच कराई जानी चाहिए ताकि यह सिद्ध हो सके कि किसने पैसा कहाँ दिया और कहाँ लिया।

सूत्रों के अनुसार यह मामला न रंगदारी का है और न किसी धमकी का। असल मामला है सांसद बदरूद्दीन अजमल व पूर्व विधायक माविया अली के बीच एक डील हुई ज़मीन को लेकर जिसमें सब कुछ तय हो गया था की ज़मीन के बदले ज़मीन ली और दी जाएगी या मोटी रक़म जो करोड़ों में आँकी जा रही है जिसे हवाला के ज़रिए आदान प्रदान होना तय हुआ था। इसी बीच जब यह मामला अंतिम पड़ाव पर पहुँच गया वहीं से किसी तीसरी आँख ने इस पूरी डील को ख़त्म करने की रूपरेखा तैयार की।

इस पूरे मामले की भूमिका ऐसी लग रही है कि लाला की दुकान में साँप घुस गया। उधर से जाट आ रहे थे। जाट ने लाला से मालूम किया कि लाला क्या बात है। लाला ने जाट से कहा कि चौधरी साहब दुकान में साँप घुस गया। चौधरी साहब उस साँप को मारने के लिए दुकान के अंदर गया तो लाला ने अपनी दुकान का शटर नीचे गिरा दिया जाट और साँप दोनों दुकान में बंद हो गए। चौधरी ने लाला से कहा कि लाला यह क्या किया तो लाला ने जवाब दिया कि चौधरी साहब मेरे लिए तो दोनों साँप ही हैं। जो भी मर जाए या दोनों मर जाएं मेरा ही फ़ायदा है।

कहा जा रहा है कि जब यह मामला बिगड़ता चला गया और इनके बीच तू-तू-मैं-मैं होने लगी तब जाकर यह बात आई कि जब आप अपनी बात से हट रहे हो तो मुझे आप एक करोड़ रूपये दोगे जिसे सांसद बदरूद्दीन अजमल रंगदारी का नाम दे रहे हैं। जैसे जमीअत उलमा ए हिन्द के राष्ट्रीय अध्यक्ष हज़रत मौलाना सैयद अरशद मदनी पर भी सांसद बदरूद्दीन अजमल ने एक सौ एक करोड़ का मानहानि का दावा किया था लेकिन बाद में वापस ही लेना पड़ा था, इसका भी वही हाल होगा- सूत न कपास जुलाहे से लठम लठ।