गोरखपुर: प्रशासन के हाथ मासूमों के खून से रंगे होने का पहला ठोस सबूत



आवेश तिवारी

बीआरडी मेडिकल कॉलेज, गोरखपुर में आक्सीजन की सप्लाई के लिए दो व्यवस्थाएं रखी गई हैं। एक व्यवस्था लिक्विड आक्सीजन की सप्लाई की है। दूसरी सिलेंडर से आक्सीजन की सप्लाई की। प्रशासन ने पुष्पा सेल्स के माध्यम से 9000 लीटर का एक टैंक बनाया है जिसमे टैंकर से गैस भरी जाती है। वहीं सिलेंडर आक्सीजन की यूनिट में भी एक टैंक है जिसमें सिलेंडर से गैस भरी जाती है और जिसकी सप्लाई फैजाबाद की कंपनी इम्पीरियल गैसेज़ के माध्यम से होती है।

लिक्विड आक्सीजन की यूनिट का काम देखने वाले एक कर्मचारी बताते हैं कि मेडिकल कॉलेज में एक महीने में तीन से चार टैंकर लिक्विड आक्सीजन और तकरीबन 100 सिलेंडर की रोजाना खपत होती है और दोनों ही यूनिटों को एक साथ चलाया जाता है। दरअसल, हुआ यह था कि 30 जुलाई को अपने पत्र में जब पुष्पा सेल्स ने अपने 63 लाख रुपये के बकाये को लेकर सप्लाई रोकने की धमकी दी, तो न सिर्फ कॉलेज प्रशासन ने बल्कि शासन में बैठे लोगों ने उसे गंभीरता से नहीं लिया। इस बीच नोटिस भेजने के बावजूद पुष्पा सेल्स ने एक टैंकर लिक्विड आक्सीजन मेडिकल कॉलेज को भेज दी थी, तो उन्हें लगा कि यह सप्लाई बिना भुगतान के भी जारी रहेगी, लेकिन ऐसा नहीं हुआ।

10 अगस्त की सुबह सबह 11 बजे लिक्विड आक्सीजन की यूनिट में तक़रीबन 900 यूनिट आक्सीजन शेष था जिसकी सूचना आपरेटर्स ने मेडिकल कालेज के प्रशासन को दे दी थी और उनसे साफ़ तौर पर कह दिया गया था कि पुष्पा सेल्स गैस की सप्लाई से इनकार कर रही है। उधर इम्पीरियल नियमित तौर पर जितने सिलेंडर भेजा करता था उसने भेजना जारी रखा था। 10 अगस्त को भी सिलेंडर आए थे।

10 अगस्त को दिन में मेडिकल कॉलेज प्रशासन ने पुष्पा सेल्स से तो बात की, लेकिन उनका ध्यान इस ओर नहीं गया कि सिलेंडर आक्सीजन की उतनी ही मात्रा आ रही है जितनी पहले आया करती थी। इसी बीच शाम 7.30 बजे लिक्विड आक्सीजन पूरी तरह से ख़त्म हो गई। खतरनाक यह हुआ कि ठीक उसी वक्त सिलेंडर यूनिट में भी आक्सीजन का प्रेशर जाता रहा। नतीजा मासूमों की मौत के तौर पर सामने आया।

इसके पहले कि सिलेंडर की दूसरी खेप आती रात के 1.30 बज चुके थे। कर्मचारी कहते हैं कि अगर इम्पीरियल को फोन करके एक दिन पहले ही अतिरिक्त आक्सीजन सिलेंडर मंगवा लिए गए होते तो यह घटना कभी न घटती। महत्वपूर्ण है कि लिक्विड आक्सीजन यूनिट में न्यूनतम 2500 यूनिट आक्सीजन होने पर उसे रिफिल किया जाता है, जबकि 2500 यूनिट पर आक्सीजन 8 अगस्त को ही पहुंच चुका था।


स्‍टोरी फेसबुक दीवार से साभार, कवर तस्‍वीर साभार दि इंडियन एक्‍सप्रेस