गाँधी को ‘गोली’ मारने वाली हिंदू महासभा की ड्रामा क्वीन से एक मुलाक़ात


पहले ही तय कर लिया था अपना नाम फराह ‘ख़ान’ नहीं बताऊंगी। नाम से ज़ाहिर होता मेरा मज़हब काम में रुकावट डाल सकता था।




फ़राह ख़ान

तकरीबन पाँच महीने पहले अलीगढ़ जाना हुआ पूजा शकुन का इन्टरव्यू करने। वही पूजा शकुन जो इन दिनों महात्मा गाँधी के पुतले को गोली मार कर सुर्खियों में हैं। बेहुदा हरकतों के अलावा इनकी पहचान हिंदू महासभा की राष्ट्रीय सचिव तौर पर भी है। हिंदुस्तान में पहला हिंदू कोर्ट खोलने के पीछे इन्ही का दिमाग है।

‘हिंदू कोर्ट’ पर मुझे स्टोरी करनी थी। पूजा शकुन के दफ्तर (घर भी) पहुँची अलीगढ़।

पहले ही तय कर लिया था अपना नाम फराह ‘ख़ान’ नहीं बताऊंगी। नाम से ज़ाहिर होता मेरा मज़हब काम में रुकावट डाल सकता था।

सेटअप लग चुका था। इन्तज़ार था पूजा शकुन का। तभी मुलाकात होती है उनके पति अशोक पांडे से। जो हिंदूमहासभा के राष्ट्रीय प्रवक्ता भी हैं। बातचीत का सिलसिला शुरु हुआ। अशोक ने बताया, ‘हिंदू कोर्ट खोला ही मुसलमानों की होड़ पर है। ये अपने दारूल कज़ा बंद कर दें हम भी हिंदू कोर्ट बंद कर देंगे। और वैसे इनसे क्या होड़ करनी, अब इनकी ईद आ रही है, बकरे कांटेगे तो हम इनकी देखा देखी सूअर तो नहीं काट सकते।’

मैं चेहरे पर मुस्कान लिए चुपचाप सब सुनती रही। काफी वक्त बीत जाने के बाद मैंने पूछा, आपकी पत्नी कितनी देर में आएंगी? 

जवाब मिला कि बस आती होंगी पूजा पाठ कर रही हैं।

इन्तज़ार खत्म होता है। सामने से एक महिला आती है। सिर से पैर तक भगवा रंग में रंगी हुई। हाथों में सात सोने की अंगुठियां। गले में भगवान कृष्ण का सोने का लॉकेट। लम्बी माला। माथे पर बड़ा सा तिलक और साथ में दो चेले।

बात शुरू हुई ‘मुझे कोई झिझक नहीं ये कहते हुए कि हम गांधी विरोधी है। गांधी वो है जो लाखों लोगो की मौत के लिए ज़िम्मेदार है। उस ज़माने में पैदा होती तो गांधी को पहले गोली मैं मारती। आज भी कोई गांधी पैदा होगा तो उसे मैं गोली मारूंगी’, पूजा शकुन सुर्ख आँखों के साथ बोल रही थीं।

इन्टरव्यू के दौरान पूजा कुछ भूल जाती तो पति याद दिलाते ‘वो बात बोल दी न.. उसे ज़रूर बोलना।’ सुर्ख़ियो में किस तरह रहा जाता है ये बात दोनो मियां बीवी बखूबी जानते हैं।

मेरे एक सवाल के जवाब में अशोक पांडे ने कहा, ‘मुसलमान गद्दार कौम है। ये जिन्नाह की औलाद हैं। एमएमयू में जिन्नाह की तस्वीर लगाते हैं।’

उनको रोकते हुए मैंने पूछा, -आपके दफ्तर में भी राष्ट्रपिता के हत्यारे की तस्वीर लगी है?

इस पर अशोक बोले- कौन सा राष्ट्रपिता? कहां का राष्ट्रपिता? हम तो नहीं मानते।

इतने में पूजा और अशोक के बच्चे स्कूल से आए। मैंने अशोक से पूछा, ‘कल को आपके बच्चे आपकी सोच को न मानें तो आप क्या करेंगे क्योंकि स्कूलों में तो वही सब पढ़ाया जाता है जिसे आप लोग नहीं मानते। चाहे बात महात्मा गांधी की हो या फिर आज़ादी की ?

जवाब आया- ‘ऐसा नहीं होगा। थोड़ा कॉन्ट्रोवर्सियल हो जाएगा अगर कहूं तो, लेकिन हम कोशिश कर रहे हैं कि स्कूलों के कोर्स को बदला जाए। गलत इतिहास पढ़ाया जाता है। अकबर का महिमामंडन किया जाता है। जबकि अकबर बेकार आदमी था। अल्लामा इकबाल का गुणगान किया जाता है क्योंकि उसने ‘सारे जहां से अच्छा’ लिखा लेकिन रविन्द्र नाथ टैगोर को कोई नहीं पूछता। क्या किया है इन्होंने (मुसलमान) ? देश की आज़ादी में कोई योगदान था इनका? बिना वजह गुणगान किया जाता है। वो सर सैयद अहमद खां अग्रेज़ो से मिल गया, गद्दारी की देश से, क्यों इन लोगों ने अपनी अलग यूनिर्वसिटी खोली है? ये सब बंद कर देनी चाहिए।’

हिंदू महासभा के दफ़्तर से बाहर निकलते वक्त एक साथी पत्रकार, जो पूरे शूट के दौरान मौजूद थे, ने कहा – ‘फराह बुरा मत मानइएगा ये हिंदूमहासभा वाले हैं ऐसे ही बोलते हैं।’  मुस्कुराते हुए मैंने कहा ‘बुरा किस बात का मानना, मैं पत्रकार हूं अपना काम करने आई थी जो हो गया।’

फ़राह ख़ान न्यूज़ 18 इंडिया में ऐंकर हैं।