अफ़वाहों के दौर में फ़ैक्ट चेकिंग के दस आसान नुस्ख़े


विभिन्न विषयों के जानकार बनें। पर केवल गूगल ज्ञानी न बनें। जाने कि क्या करें।




प्रकाश के रे

1. आतंकवाद/उग्रवाद पर साउथ एशिया टेररिज़्म पोर्टल पर पड़ोसी देशों समेत भारत के हर राज्य में हुई घटनाओं और मौतों का आँकड़ा होता है. 

2. खेती-किसानी के बारे में पी साइनाथ की साइट परी (PARI) अच्छा स्रोत है. देविंदर शर्मा अपने साइट और विभिन्न अख़बारों में लगातार लिखते रहते हैं. किसान संगठन भी बीच-बीच में रिपोर्ट और अध्ययन पेश करते हैं.

3. इंडिया स्पेंड अनेक मुद्दों पर लगातार आँकड़े देता है और विश्लेषण करता है. 

4. प्रधानमंत्री आवास योजना पर क्रिसिल ने हाल में ही रिपोर्ट दिया है. यह हर जगह छपा भी है.

5. स्वास्थ्य, शिक्षा और अन्य सामाजिक मदों में बजट में उतार-चढ़ाव के सालाना हिसाब भी उपलब्ध हैं. 

6. जानकारी का एक अच्छा स्रोत ख़ुद सरकार द्वारा संसद में दी गयी जानकारियाँ हैं. 

7. देश में आनेवाले निवेश और बाहर जानेवाली पूँजी तथा चालू खाते का घाटा बीते दिनों में अक्सर चर्चा में रही है. इनके बारे में ख़बरें और विश्लेषण लगातार छपे हैं. 

8. कालाधन का गुब्बारा तो नोटबंदी, पनामा और अन्य मामलों में चुप्पी आदि से फूट जाता है. बस कुछ आँकड़े रखने हैं, जो उपलब्ध हैं. 

9. पर्यावरण पर इंडिया वाटर पोर्टल, डाउन टू अर्थ, हिमांशु ठक्कर का साउथ एशिया नेटवर्क जैसे कुछ स्रोत बहुत महत्वपूर्ण हैं. वन्य जीवों के लिए पिछले कुछ साल बेहद भयावह रहे हैं. उनकी मौतों, दुर्घटनाओं और शिकार के आँकड़े और रिपोर्ट हैं. जंगली क्षेत्र की कमी और सरकारी/निजी/आपराधिक अतिक्रमण पर भी जानकारियाँ हैं. 

10. विभिन्न सूचकांकों, आयोगों/कमिटियों, थिंक टैंकों/बिज़नेस संगठनों/संस्थाओं तथा मंत्रालयों की रिपोर्ट/सर्वेक्षण भी उपलब्ध हैं.

लेखक वरिष्ठ पत्रकार हैं।