मिस्र के पूर्व राष्ट्रपति मोरसी की अदालत में मौत, मुस्लिम ब्रदरहुड ने कहा- मिस्र के अधिकारी दोषी

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मिस्र के इतिहास में पहली बार लोकतांत्रिक से चुने गये पूर्व राष्ट्रपति मोहम्मद मोरसी की सोमवार को अदालत में एक सुनवाई के दौरान मौत हो गई. सरकारी टीवी ने बताया कि 67 वर्षीय पूर्व राष्ट्रपति जासूसी के आरोप में अदालत की सुनवाई में हिस्सा ले रहे थे, तभी वह अचानक बेहोश हो गए और उनका निधन हो गया. लंदन में मुस्लिम ब्रदरहुड के प्रमुख सदस्य मोहम्मद सूदन ने इसे ‘पूर्व नियोजित हत्या’ कहा है.

मुस्लिम ब्रदरहुड के स्वतंत्रता और न्यायिक राजनीतिक दल ने सोमवार को अपनी वेबसाइट पर प्रकाशित एक बयान में कहा कि मिस्र के अधिकारी मोरसी की मौत के लिए जिम्मेदार हैं क्योंकि उन्होंने मोरसी की दवा रोक दी और उन्हें ख़राब भोजन दिया था.

मोरसी का ताल्लुक देश के सबसे बड़े इस्लामी समूह मुस्लिम ब्रदरहुड से था जिसे अब गैरकानूनी घोषित कर दिया गया है. बड़े स्तर पर हुए विरोध-प्रदर्शनों के बाद 2013 में सेना ने तख्तापलट कर दिया था. मोरसी 2012 में राष्ट्रपति चुने गये थे.

शुरू में उनकी मौत का कोई आधिकारिक कारण सामने नहीं आया था, हालांकि बाद में मिस्र के सरकारी टीवी के माध्यम से उनके परिवार के हवाले से कहा गया कि उनकी मृत्यु दिल का दौरा पड़ने से हुई. ‘द जेरूसेलम पोस्ट’ ने भी यही कहा है. ‘डेली साबहा’ अख़बार की रिपोर्ट के अनुसार, यरूशलम के पुराने शहर में स्थित एक मस्जिद में सोमवार को रात की प्रार्थना के बाद मोरसी की याद में एक शोक सभा आयोजित की गई. हमास ने फलस्तीन के लिए किये गये मोरसी के कामों को याद करते हुए एक धन्यवाद पत्र जारी किया है.

तुर्की के धार्मिक मामलों के निदेशालय ने भी मोरसी के जीवन और उनके संघर्ष का सम्मान करने के लिए देश भर की मस्जिदों में मंगलवार को अंतिम प्रार्थना आयोजित करने की घोषणा की है.

मोरसी की मौत की ख़बर आने के बाद पत्रकार प्रकाश के रे ने अपने फेसबुक पर लिखा है-

“मिस्र के पूर्व राष्ट्रपति मोरसी की अदालत में मौत अरब, ख़ासकर मिस्र के लिए बहुत बुरी ख़बर है. संवैधानिक रूप से निर्वाचित होने के बाद भी पद पर साल भर रहने के बाद मिलिट्री, सलाफ़ी, रिलिजियस ग्रुप, लेफ़्ट-लिबरल, राइटविंग और अन्य समूहों ने मिलकर उन्हें हटाकर हिरासत में डाल दिया था. उन्हें और उनके सैकड़ों समर्थकों को अमानवीय स्थिति में जेलों में रखने की शिकायतें आती रही हैं। बहुतों को मार भी दिया गया है. बेहद दुखद. वे मिस्र के इतिहास के एकमात्र ऐसे राष्ट्रपति थे, जो लोकतांत्रिक तरीक़े से चुने गए थे.”


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