बिहार के स्वास्थ्य मंत्री मंगल पांडेय को बर्खास्त करने की मांग को लेकर माले का प्रदर्शन

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बिहार की स्वास्थ्य व्यवस्था को रसातल में पहुंचाने के जिम्मेदार स्वास्थ्य मंत्री मंगल पांडेय को बर्खास्त करने, तमाम प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों पर कोराना जांच व इलाज की व्यवस्था करने, तमाम अनुमंडल व प्रखंड अस्पतालों में आईसीयू की व्यवस्था करने, गरीबों के बीच मुफ्त में सैनिटाइजर व मास्क का वितरण करने, निजी अस्पतालों को सरकारी नियंत्रण में लेने, गृह विभाग के उपसचिव उमेश रजक की हत्या की उच्चस्तरीय जांच कराने आदि मांगों पर आज भाकपा-माले ने पूरे राज्य में प्रतिवाद किया.

भाकपा-माले ने आरोप लगाया है कि विगत 15 सालों से कमोबेश भाजपा के ही पास स्वास्थ्य विभाग रहा है, लेकिन चमकी बुखार का कहर हो या फिर इस बार कोरोना का हमला, हर बार यही सच उभरकर सामने आया है कि भाजपा ने राज्य की स्वास्थ्य सेवाओं का बंटाधार कर दिया है. भाकपा-माले नीतीश कुमार से ऐसे नाकारे स्वास्थ्य मंत्री को अविलंब पद से हटाने की मांग करती है.

आज के राज्यव्यापी प्रतिवाद के तहत राजधानी पटना सहित राज्य के सुदूर इलाकों में माले कार्यकर्ताओं ने अपने कार्यालयों अथवा घरों से हाथ में तख्तियां लेकर मंगल पांडेय को हटाने की मांग की.

राजधानी पटना में राज्य कार्यालय में माले राज्य सचिव कुणाल, केंद्रीय कमिटी के सदस्य बृजबिहारी पांडेय, ऐपवा की महासचिव मीना तिवारी, राज्य अध्यक्ष सरोज चैबे, राज्य कमिटी के सदस्य प्रकाश कुमार, विभा गुप्ता आदि ने प्रतिवाद किया. चितकोहरा में पार्टी के पोलित ब्यूरो धीरेन्द्र झा, शशि यादव, मुर्तजा अली, आकाश कश्यप आदि ने विरोध दर्ज किया. इसके अलावा पटना सिटी, गुलजारबाग, दीघा, कंकड़बाग आदि इलाकों में भी प्रतिवाद हुआ. पूरे राज्य में सैंकड़ों स्थानों पर मंगल पांडेय को बर्खास्त करने की मांग उठाई गई और प्रदर्शन किया गया.

इस मौके पर भाकपा-माले राज्य सचिव कुणाल ने कहा कि आज जो बिहार में स्थिति है उसके लिए पूरी तरह भाजपा-जदयू जिम्मेदार है, जो स्वास्थ्य व्यवस्थाओं को ठीक करने की बजाय चुनाव-चुनाव खेलने में मस्त है. उन्होंने कहा कि लोग आज बेमौत मर रहे हैं, 6 महीने बीत गए लेकिन सरकार ने जांच-इलाज, रोजी-रोजगार किसी मामले में कोई उल्लेखनीय काम नहीं किया. बिहार में विगत 15 वर्षों से भाजपा के हाथ में ही स्वास्थ्य विभाग है. आज केन्द्रीय स्वास्थ्य मंत्री भी बिहार के ही हैं. बावजूद इसके राज्य की स्वास्थ्य व्यवस्था की दुर्दशा सबों के सामने है. उन्होंने कहा कि स्वास्थ्य मंत्री मंगल पांडेय को बर्खास्त किए बगैर स्वास्थ्य व्यवस्था में कुछ भी सुधार की उम्मीद पालना बेमानी है. उन्होंने गृह विभाग के उपसचिव उमेश रजक की हत्या की भी उच्चस्तरीय जांच की मांग की. विगत दिनों आईजीआईएमएस, एनएमसीएच और एम्स के बीच दौड़ा-दौड़ा कर उन्हें मार दिया गया था.

चितकोहरा में धीरेन्द्र झा ने कहा कि बिहार में जांच देश के 19 राज्यों में सबसे कम है. काफी थू-थू होने पर अनुमंडल अस्पताल में जांच की व्यवस्था की घोषणा की गई है. इसे प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों तक विस्तारित करने की आवश्यकता है. बीमारी का फैलाव देखते हुए तमाम अनुमंडल और जिला अस्पतालों में कोरोना के बेहतर इलाज और आईसीयू की व्यवस्था होनी चाहिए. इसी तरह, सिर्फ मेडिकल कॉलेज के लिए जिलों को बांट देने से काम नहीं चलेगा. तमाम मेडिकल कॉलेजों में आईसीयू बेड की संख्या में भारी बढ़ोत्तरी की जरूरत है.

मीना तिवारी ने कहा कि जनदबाव में निजी अस्पताल में भी इलाज की घोषणा हुई है, लेकिन इसका खर्च बीमार को खुद उठाना पड़ेगा. यह एकदम से अन्यायपूर्ण फैसला है. जरूरत इस बात की है कि महामारी की विकराल होती जा रही स्थिति के मद्देनजर तमाम निजी अस्पतालों को सरकार अपने नियंत्रण में ले और वहां सरकारी खर्च पर कोरोना के इलाज की व्यवस्था करे. सैनिटाइजर पर 18 प्रतिशत जीएसटी को वापस ले, और सभी गरीबों को मुफ्त में सैनिटाइजर व मास्क उपलब्ध करवाए.

सरोज चैबे ने कहा कि फिर से लगे लॉक डाउन ने पहले ही से रोजी-रोटी खो चुके मेहनतकश आम – अवाम के सामने विपत्ति का पहाड़ खड़ा कर दिया है. भारी वर्षा से कई जिलों के लाखों लोग प्रभावित हुए हैं. जान बचाने के लिए वे बांध आदि जगहों पर बड़ी संख्या में आ गए हैं. इससे बाढ़ पीड़ितों में कोरोना संक्रमण का खतरा काफी बढ़ गया है.

फतुहा में पार्टी के वरिष्ठ नेता राजाराम, भोजपुर के गड़हनी में केंद्रीय कमिटी के सदस्य मनोज मंजिल, आरा में सुदामा प्रसाद, धनरूआ में खेग्रामस के बिहार राज्य सचिव गोपाल रविदास, अरवल में महानंद, सिवान में सत्यदेव राम, बलरामपुर में महबूब आलम, दरभंगा में अभिषेक कुमार आदि प्रमुख नेताओं ने आज के कार्यक्रम का नेतृत्व किया.

पूर्णिया से लेकर बक्सर, रोहतास, कैमूर, गया, नालंदा, नवादा, मुजफ्फरपुर, सहरसा, मधुबनी, दरभंगा, समस्तीपुर, गोपालगंज, भागलपुर, वैशाली, मोतिहारी आदि तमाम जिलों में माले कार्यकर्ताओं ने विरोध दर्ज किया.


भाकपा-माले बिहार राज्य कार्यालय सचिव कुमार परवेज द्वारा जारी विज्ञप्ति पर आधारित 


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