आज़मगढ़: बिलरियागंज की ब्रेवगर्ल अनाबिया को प्रियंका गांधी ने भेजा तोहफ़ा

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कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी ने बिलरियागंज, आज़मगढ़ की 6 वर्षीय बच्ची अनाबिया ईमान को तोहफ़ा और एक पत्र भेजा है। प्रियंका गांधी 12 फ़रवरी को बिलरियागंज में आकर सीएए-एनआरसी के ख़िलाफ़ महिलाओं के शांतिपूर्ण धरने पर पुलिस द्वारा बर्बर दमन की पीड़ित महिलाओं से मिलने और उनके साथ अपनी एकजुटता ज़ाहिर करने आई थीं। पुलिस ने रात को 3 बजे महिलाओं पर लाठी, डंडे बरसाए थे और आंसू गैस के गोले छोड़े थे जिसकी काफी आलोचना हुई थी। उस दौरे में इस बच्ची के साथ प्रियंका गांधी की तस्वीर काफ़ी वायरल हुई थी।

क्लास 1 में पढ़ने वाली 6 वर्षीय अनाबिया प्रियंका गांधी से पुलिस के अत्याचार की दास्तां सुनाते-सुनाते रो पड़ी थी। अनाबिया की माँ का देहांत हो चुका है और उनके पिता खाड़ी में रहते हैं।

प्रियंका गांधी ने बच्ची के लिए तोहफ़े में स्कूल बैग, खिलौने और एक पत्र भेजा है। पत्र में प्रियंका गांधी ने ‘हमेशा मेरी ब्रेव गर्ल रहना और जब भी दिल करे फ़ोन करना। बहुत प्यार। प्रियंका आंटी’ लिखा है।

दिल्ली से गिफ़्ट लेकर पहुँचे प्रदेश अल्पसंख्यक विभाग के चेयरमैन शाहनवाज़ आलम ने बताया कि अपने दौरे में प्रियंका गांधी ने बच्ची को अपना मोबाइल नम्बर दिया था और उनसे कई बार बात भी की थी।

प्रियंका गांधी का यह दौरा काफ़ी चर्चा में रहा था क्योंकि आज़मगढ़ समाजवादी का गढ़ माना जाता है और मुसलमान उसकी सबसे बड़ी ताक़त। वहां से सपा मुखिया पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव सांसद हैं। उनसे पहले मुलायम सिंह यादव 2014 में सांसद थे। प्रियंका गांधी के दौरे से दो दिन पहले कांग्रेस अल्पसंख्यक विभाग ने अखिलेश यादव पर मुस्लिम महिलाओं के दमन पर चुप्पी साधने और ज़िले से लापता होने का पोस्टर पूरे शहर में लगवाया था जिसके बाद सपा के खेमे में खलबली मच गई थी और सपा मुखिया ने आनन-फ़ानन में डैमेज कंट्रोल करने की कोशिश के तहत एक जांच कमेटी बनाई थी।

सपा अभी संभल पाती इससे पहले प्रियंका ख़ुद आज़मगढ़ पहुँच गईं और मुसलमानों में अपने ख़ास अंदाज़ में संदेश दे दिया। वहां उनको देखने-सुनने के लिए 20 हज़ार से ज़्यादा लोग जिसमें काफ़ी पर्दानशीं महिलाएं भी थीं, इकट्ठा थीं। अब एक बार फ़िर प्रियंका ने आंदोलन में पीड़ित बच्ची को तौफा भेज कर लोगों से अपने सीधे कनेक्ट होने की छाप छोड़ दी है, जबकि सपा मुखिया अभी तक अपने संसदीय क्षेत्र की पीड़ित मुस्लिम महिलाओं से मिलने का समय नहीं निकाल पाए हैं।


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