आयोग में ऑडियो: ‘मोदी को कोई सुनना नहीं चाहता! दारू-पैसा बाँटना पड़ेगा,तीन करोड़ और दीजिए!’

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मध्यप्रदेश बीजेपी अध्यक्ष राकेश सिंह और विदिशा विधानसभा के प्रत्याशी मुकेश टंडन की बातचीत का वायरल वीडियो चुनाव आयोग तक पहुँच गया है। काँग्रेस ने इसकी शिकायत करते हुए चुनावी आचार संहिता के उल्लंघन का आरोप लगाया है। स्वाभाविक है कि बीजेपी इसे फ़र्ज़ी बता रही है। चुनाव के पहले इसकी जाँच हो पाएगी, ऐसी किसी को उम्मीद नहीं है। लेकिन इस ऑडियो की बातचीत और ज़मीन पर चल रही प्रचार के तौर तरीकों में काफ़ी साम्य है। कौन नहीं जानता कि चुनावी रैलियाँ और अन्य प्रबंधन पैसे का खेल है।

देखा जा रहा है कि मध्यप्रदेश के चुनावी पोस्टरों में शिवराज चौहान का चेहरा मोदी से बड़ा हो गया है। मोदी और अमित शाह की रैलियाँ न भीड़ खींचू साबित हो रही हैं और न कार्यकर्ताओं को उत्साहित कर पा रही हैं। यही वजह है कि पहले 200 से ज़्यादा सीटें जीतने का दावा करने वाली बीजेपी अब किसी तरह साधारण बहुमत जुटाने के फेर में जी-जान लगाए हुए है। प्रत्याशी भी कोई कसर नहीं छोड़ना चाहते। पैसा, दारू, मुर्गा, साड़ी बाँट कर वोटरों को लुभाया जा रहा है तो कार्यकर्ताओं की जेब भी गरम की जा रही है ताकि वे कोताही न करें।

इस बातचीत का ऑडियो वायरल है और कई अख़बारों ने इस संवाद को यह कहते हुए छापा भी है कि वे ऑडियो की पुष्टि नहीं करते। बहरहाल, इस संवाद को पढ़कर 21वीं सदी के चुनावी प्रबंधन कला का पाठ तो पढ़ा ही जा सकता है। हाँ, यह सुनना चौंकाता है कि लोग बिना पैसा लिए मोदी की रैली में भी नहीं जा रहे हैं और कैडर वाली पार्टी बीजेपी के कार्यकर्ता नहीं, पोस्टर बैनर टाँगने के लिए दिहाड़ी मजदूर लगाए जा रहे हैं।

वैसे, मुकेश टंडन मुख्यमंत्री शिवराज चौहान के काफ़ी ख़ास बताए जाते हैं। कहा जाता है कि वह उनके तमाम व्यक्तिगत काम भी देखते हैं।

आयोग को दी गई शिकायत में पूरा संवाद यूँ दर्ज है—

मुकेश टंडन: सर टंडन बोल रहा हूं विदिशा से।

राकेश सिंह: हां टंडन क्या चल रहा है?

टंडन: थोड़ी सी फंड की समस्या आ रही थी। पार्टी फंड से थोड़ी मदद मिल जाती तो।

राकेश सिंह: अरे, तुमको क्या समस्या?

टंडन: बहुत समस्या है सर, अपना कार्यकर्ता इतना हरामी हो गया है कि बिना पैसा लिए कोई काम ही नहीं करना चाहता। पाँच-पाँच सौ रुपये में तो लेबर मिल रही है झंडा बैनर लगाने के लिए।

राकेश सिंह: तुम तो हो सक्षम।

टंडन: सक्षम तो हूं सर, मैने डेढ़ करोड़ रुपए अपनी जेब से खर्च कर दिए, लेकिन सर पार्टी फंड से जितना हो जाता।

राकेश सिंह: अरे तुम चुनाव लड़ रहे हो या पैसा बांट रहे हो। 22 तुम्हारे अकाउंट में आ चुके थे।शिवराज के सेक्रेटरी ने दो भेजे थे। शिवराज जी बता रहे हैं कि तीन और दिए हैं।

टंडन: सर वो तो सब 25 तारीख को मोदीजी की सभा है न, उसकी तैयारी में ही लग गए। कोई आना ही नहीं चाह रहा उनको सुनने।

राकेश सिंह: वो टेंडर का मिला था तुमको उसका क्या हुआ, नगरपालिका का।

टंडन: आखिरी रात में दारू, पैसा ये बहुत लगेगा सर। बिना उसके कैसे जीत पाएंगे।

राकेश:  एक तो वो डांगी के साथ तुमने हरकत करी, वो अलग सुनने को मिलती हैयय
टंडन: विदिशा जिले में कोई मेरे सामने खड़ा ही नहीं हो पाया, वो हमको ठकुराई बता रहा था। दो तीन चांटे मारे थे मैने, उसको इतना बड़ा बना रहा है।

राकेश सिंह: चलो करते हैं चर्चा शिवराज जी से, बताता हूं तुमको फिर क्या करना है।

टंडन: सर मुझे तीन करोड़ लगेंगे ही लगेंगे। आखिरी तीन रात में मैं पूरा खेल कर दूँगा। मैंने पूरी सेटिग कर ली है अपनी। दारू, पैसा, साड़ी, अपन सब करेंगे, सीट निकाल लेंगे सर आखिरी में। बिना पैसे के नहीं हो पाएगा सर, बहुत बुरी हालत है, हार जाएंगे अपन। बाँटना ही पड़ेगा।

राकेश सिंह: ठीक है…ठीक है करते हैं चर्चा, लेकिन ध्यान रखना। चुनाव लड़ रहे हो, जीत के ही आना।

टंडन– बिलकुल सर…बिलकुल सर…धन्यवाद..



 


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