BHU के छात्रों ने Zee News के खिलाफ बनारस में किया विरोध प्रदर्शन

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शिवदास 

वाराणसी। काशी हिन्दू विश्वविद्यालय (बीएचयू) के छात्रों ने शनिवार की शाम लंका स्थित सिंह द्वार के सामने ‘ज़ी न्यूज़’ टीवी चैनल के खिलाफ प्रदर्शन किया और उसपर छात्र समुदाय को बदनाम करने के लिए प्रोपगैंडा रचने का आरोप लगाया।

आल इंडिया स्टूडेंट एसोसिएशन (आइसा) और भगत सिंह छात्र मोर्चा (बीसीएम) के संयुक्त आह्वान पर सैकड़ों की संख्या में छात्र-छात्रा शनिवार की शाम करीब सात बजे लंका स्थित गेट पर इकट्ठा हुए और ज़ी न्यूज़ टीवी चैनल के खिलाफ जमकर नारेबाजी करने लगे। प्रदर्शनकारियों का कहना था कि ज़ी न्यूज़ गत सितंबर महीने की तरह छात्र समुदाय को बदनाम करने के लिए प्रोपगैंडा रच रहा है। पिछले दो दिनों से उसकी ओबी वैन विश्वविद्यालय परिसर में घूम रही है और वह चुनिंदा छात्रों का इंटरव्यू लेकर विश्वविद्यालय प्रशासन और सरकार के पक्ष में माहौल बनाने की कोशिश कर रहा है।

बता दें कि ‘ज़ी न्यूज़’ टीवी चैनल की ओबी वैन पिछले दो दिनों से बीएचयू कैंपस घूम रही है। छात्रों को आशंका है कि वह काशी हिन्दू विश्वविद्यालय के छात्र समुदाय को बदनाम करने के लिए एक प्रोपगैंडा रचने की कोशिश कर रहा है जैसा उसने गत 21 सितंबर की छेड़खानी की घटना और उसके बाद हुए छात्राओं के आंदोलन के दौरान किया था।

गत 21 सितंबर को बीएचयू परिसर स्थित भारत कला भवन के पास कुछ मोटरसाइकिल सवारों ने एक छात्रा के साथ छेड़खानी कर दी थी। इसके बाद इस मामले को लेकर छात्राएं सिंह द्वार पर धरने पर बैठ गई थीं। बाद में विश्वविद्यालय प्रशासन ने छात्राओं पर लाठीचार्ज कर दिया था जिससे विश्वविद्यालय परिसर में आगजनी और पत्थरबाजी की घटनाएं हुईं थी। बाद में पुलिस प्रशासन ने भी छात्रों और छात्राओं पर जमकर लाठियां बरसाई थी जिसमें कई छात्राएं और छात्र घायल हो गए थे। छात्र-छात्राओं का आरोप है कि लाठीचार्ज की घटना के दौरान ज़ी न्यूज़ टीवी चैनल ने विश्वविद्यालय प्रशासन के पक्ष में प्रोपगैंडा के तहत छात्र समुदाय को बदनाम करने की कोशिश की थी।

मामला बढ़ने के बाद तत्कालीन कुलपति गिरीश चंद्र त्रिपाठी ने उच्च न्यायालय इलाहाबाद के सेवानिवृत्त न्यायमूर्ति वीके दीक्षित की अध्यक्षता में जांच समिति गठित की थी और उन्हें छुट्टी पर जाना पड़ा था। पिछले दिनों मीडिया में आई रिपोर्टों की मानें तो जांच समिति ने छात्राओं पर हुए लाठीचार्ज की घटना में तत्कालीन कुलपति गिरीश चंद्र त्रिपाठी को क्लीन चिट दे दी है लेकिन जिला प्रशासन की रिपोर्ट में उन्हें दोषी ठहराया गया है।


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