पत्रकार विनोद वर्मा को जेल गए आज साठ दिन हो गए, याद है कि भूल गए?

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बीबीसी के पूर्व पत्रकार विनोद वर्मा को जेल में गए साठ दिन पूरे हो गए। इस बीच गुजरात चुनाव बीत गया। उदयपुर की अदालत पर भगवा झंडा फहरा दिया गया। संसद का सत्र आ गया। पूरा देश कुलभूषण जाधव की खबर और शीतलहर की चपेट में आ चुका है लेकिन वर्मा अब भी रिहा नहीं हुए हैं। यह बात अलग है कि कायदे से वे ज़मानत के हक़दार हो चुके हैं।

पत्रकार विनोद वर्मा, जिन्हें छत्तीसगढ़ पुलिस ने राजेश मुनत नामक छत्‍तीसगढ़ के एक मंत्री की कथित सेक्स सीडी के मामले में आधी रात को उत्‍तर प्रदेश के ग़ाजि़याबाद से गिरफ्तार किया था, वे दो महीने से रायपुर जेल में हैं। आज उनकी गिरफ्तारी को पूरे साठ दिन हो गए। पन्द्रह दिन पहले इस मामले में सीबीआई ने भी मुकदमा दायर किया।

साठ दिन हो जाने के बावजूद अभी तक जांच एजेंसी विनोद वर्मा के खिलाफ चार्जशीट नहीं दायर कर पायी है और इन हालात में वैधानिक रूप से अब विनोद वर्मा जमानत के हक़दार हो गए हैं।

छत्‍ीसगढ़ में सीबीआइ की एक विशेष अदालत ने शनिवार 23 दिसंबर को उन्‍हें 3 जनवरी, 2018 तक सीबीआइ की रिमांड में भेज दिया। न्‍यायिक हिरासत की अवधि पूरी हो जाने पर वर्मा को 23 दिसंबर को सीबीआइ की विशेष जज नेहा उसेंडी के समक्ष पेश किया गया था जिन्‍होंने उन्‍हें सीबीआइ की हिरासत में सौंप दिया। सीबीआइ ने 14 दिनों की हिरासत मांगी थी लेकिन कोर्ट ने 3 जनवरी तक की ही समय सीमा तय की है।

राज्‍य सरकार द्वारा सीडी का मामला सीबीआइ को सौंपे जाने के बाद एजेंसी रायपुर की केंद्रीय कारागार में वर्मा से घंटों पूछताछ कर चुकी है जहां उन्‍हें गिरफ्तारी के बाद से न्‍यायिक हिरासत में रखा गया है।

सीबीआइ ने एक टीम बनाई है जो अब तक कई पत्रकारों और दूसरे लोगों से वीडियो के स्रोत के बारे में पूछताछ कर चुकी है औश्र यह जानने की कोशिश कर रही है कि वीडियो आखिर सर्कुलेट कैसे हुआ।

विनोद वर्मा एडिटर्स गिल्‍ड ऑफ इंडिया के भी सम्‍मानित सदस्‍य हैं और गिल्‍ड द्वारा छत्‍तीसगढ़ में मानवाधिकारों के हनन की जांच के लिए भेजी गई पत्रकारों की टीम का हिस्‍सा रह चुके हैं। गिरफ्तारी के बाद से लेकर अब तक एडिटर्स गिल्‍ड ने वर्मा के मामले में कोई खास दिलचस्‍पी नहीं दिखाई है।

गिरफ्तारी के के साठ दिन पूरे होने पर पत्रकार पंकज चतुर्वेदी ने उन्‍हें याद करते हुए फेसबुक पर लिखा है: