पुलिस ने बेरोज़गारों का सिर्फ सर फोड़ा, लेकिन संजय सिंह योगी को डायर बता रहे हैं!

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योगी आदित्यनाथ को जनरल डायर कहने वाले आम आदमी पार्टी के नेता और राज्यसभा सदस्य संजय सिंह लगता है कई दिन बाद जगे हैं। वरना उन्हे पता होता कि बीजेपी समर्थित तमिलनाडु की सरकार ने हाल ही में वेदांता की ताँबा कंपनी बंद कराने की माँग कर रहे 13 लोगों को गोली से उड़वा दिया था, जबकि लखनऊ में रोज़गार माँग रहे बीएड बेरोज़गारों  को सिर्फ लाठी से पीटा गया। सर फूटा, ख़ून बहा, लेकिन ज़िंदगी सलामत है।

वैसे भी, लोकतंत्र का मतलब यह नहीं कि मुख्यमंत्री की कुर्सी पर बैठकर प्रदेश के हित में  रात-दिन तप कर रहे योगी आदित्यनाथ का आवास घेरा जाए। वह भी पुलिस को चकमा देकर। आख़िर ये बीएड-टीईटी बेरोज़गार तो 2011 बैच के हैं जबकि योगी जी 2017 में बने हैं मुख्यमंत्री। अखिलेश यादव से नौकरी क्यों नहीं ले लिए। इंतज़ार कर रहे थे क्या कि योगी आएँ और कपार पर तबला बजाएँ।

वैसे भी, योगी आदित्यनाथ ने रामराज्य लाने को कहा था, कभी सुना है कि रामाराज्य में बीएड होता था। रामायाण में धोबी का ज़िक्र है और निषाद का। तो कपड़ा धोने और नाव चलाकर मछली मारने से कोई रोक रहा हो तो बताओ। वैसे भी, जब भगवान की इच्छा होगी तभी तो नौकरी मिलेगी। आदमी के चाहने से क्या होता है। अयोध्या में राममंदिर बनाने के लिए न जाने कब से वबाल चल रहा है, पर बनेगा तभी न जब राम जी की इच्छा होगी।

संजय सिंह का तो काम ही है लोगों को भड़काना। ठाकुर हैं तो किसी दूसरे ठाकुर की तरक्की बरदाश्त थोड़े होगी। योगी का असली नाम है अजय सिंह बिष्ट। वीरबहादुर सिंह के बाद पहली बार, करीब 30 साल बाद मौका मिला है मुख्यमंत्री बनने का। पूरे प्रदेश के ठाकुर घी के दिया जला रहे हैं लेकिन संजय सिंह को जनरल डायर याद आ रहे हैं। ज़रा ये ट्वीट देखिए-

 

नंबर एक की झूठी बात। ऊपर-नीचे की सब तस्वीरें देखिए। कहीं नज़र आ रहे हैं बंदूक ताने पुलिसवाले, जैसे डायर के साथ ताने थे या जैसे अभी तमिलनाडु में ताने दिखे थे, बस के ऊपर….लखनऊ में लाठी चार्ज हुआ है बस, जबकि बंदूक तो यूपी पुलिस के पास भी है..एक से एक हैं…।

अब ख़ून-ऊन तो गिरता ही रहता है नौजवानों का। राष्ट्रवाद का मतलब ही है कि अपनी भारत माता-धरती माता को खून से सींचा जाए। और हाँ, सबका साथ-सबका विकास भी देखो। सबसे बराबर का व्यवहार। लड़कों को ही नहीं, लड़कियों को भी थुरा है पुलिसवालों ने। सब बराबर हैं सरकार की नज़र में। रवीश कुमार ये न बताएगा। सुन लो सब.. तुष्टीकरण नहीं चलेगा अब.. संजय सिंह जितना जल्दी समझ लें, उतना बेहतर…नहीं तो फिर करणी सेना ही समझाएगी!

 

 

 

 

 

.भक्तन्यूज़.कॉम से साभार