भारत माता की पीठ पर ‘कंपनी राष्ट्रवाद’ का डंडा !

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नजीब को पीटने और गायब करने के आरोपी एबीवीपी के लड़कों की पैरवी करने के लिये वकीलों की फर्म लूथरा एण्ड लूथरा ला कंपनी को लगाया गया है.

इस कंपनी के वकील भारत के सबसे मंहगे वकील होते हैं.

अरुण जेटली साहब व्यक्तिगत रूप से नजीब केस के आरोपियों को बचाने की कार्यवाही की नियमित देखरेख कर रहे हैं.

रामजस कालेज में प्रोफेसरों और लड़कियों को पीटने वाले एबीवीपी के गुण्डों को बचाने के लिये भी भाजपा द्वारा सब से मंहगे वकीलों को लगाया जायेगा.

ये एबीवीपी के गुण्डे तो सामान्य आर्थिक स्थिति वाले परिवारों से होते हैं.

इनके लिये मंहगे वकील भाजपा द्वारा खड़े किये जाते हैं.

क्योंकि लोकतन्त्र, मानवाधिकार और बराबरी की मांग करने वालों को देशद्रोही कह कर पीटने से खुद को बड़ा वाला देशभक्त घोषित करके सत्ता पायी जा सकती है .

उस सत्ता के द्वारा खदानों, जंगलों, बैंको का मालिक बन कर अरबों रुपये बनाये जा सकते हैं.

राष्ट्रवाद का पूरा खेल पूंजीपतियों के मुनाफे के लिये उनके पैसों से चलाया जाता है.

इनके राष्ट्रवाद का संबध पूंजीपतियों के मुनाफे से है.

इस राष्ट्रवाद का संबध भारत राष्ट्र से नहीं है.

लेकिन राष्ट्र हित सत्ता से बड़ा होता है .

“राष्ट्र को नुकसान पहुंचाने वाली सत्ता को उखाड़ फेंकना ही राष्ट्र की सबसे बड़ी भक्ति है” -चाणक्य

इसलिए जो भारत माता का अपमान करेगा उस सत्ता का विरोध किया जाएगा ।

और भारत माता कौन है ?

भारत माता भारत की महिलाएं हैं.

भारत माता वो महिला है जो दूसरों की टट्टी उठा रही है .

भारत माता वो महिला है जो ईंट भट्टे पर काम कर रही है .

और मजदूरी मांगने पर जिसके साथ भट्टा मालिक द्वारा बलात्कार किया जाता है .

भारत माता वो महिला है जिसे पुलिस वाला सत्ता की मदद से पीट रहा है .

भारत माता वो महिला सोनी सोरी है जिसके मूंह पर सत्ता के गुंडे एसिड मल रहे हैं .

भारत माता वो महिलाएं हैं जो अपनी बेटियों के साथ सैनिकों द्वारा बलात्कार करने के बाद नग्न होकर खुद के साथ बलात्कार करने की चुनौती देने को मजबूर हैं .

भारत माता खेतों मे काम करने वाली महिलाएं हैं जो दिन भर मेहनत करने के बाद भी एक समय खाना खा पाती हैं.

तुम्हारा कैलेंडर छाप धर्म .

और भारत माता के फोटो वाला कैलेंडर छाप राष्ट्रवाद नहीं चलेगा.

सब कुछ असली चाहिए .

राष्ट्र्वादी हो तो राष्ट्र की महिलाओं के साथ होने वाले ज़ुल्मों के खिलाफ आवाज़ उठानी पड़ेगी.

एक तरफ राष्ट्र की महिलाओं की योनी में पत्थर भरने वाले सिपाहियों का समर्थन और दूसरी तरफ भारतमाता की जय का नारा एक साथ नहीं चलेगा .

फर्जी राष्ट्रवाद नहीं चलेगा.

हमारे पुरखों ने तो भारत की आज़ादी की लड़ाई लड़ी थी.

इसलिए हमें भारत माता की जय के नारे लगा कर अपनी राष्ट्रभक्ति दिखाने की ज़रूरत नहीं है.

लेकिन तुम्हारे पूर्वज उस वख्त अंग्रेजों से माफियां मांग रहे थे.

इसलिए तुम अपना एतिहासिक अपराध छिपाने के लिए भारत माता की जय के फर्जी नारे लगाते हो ताकि सब तुम्हें राष्ट्रभक्त मान लें.

हम ये होने नहीं देंगे.

फर्जी राष्ट्रवाद नहीं चलेगा.

कम्पनियों की दलाली के लिये राष्ट्रवाद का नाटक हम नहीं चलने देंगे.

हिमांशु कुमार 

(लेखक मशहूर सामाजिक कार्यकर्ता हैं।)