‘हमने वामपंथी होने के बावजूद काँग्रेस का झंडा क्यों उठा लिया!’

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ऊपर की तस्वीर में काँग्रेस अध्यक्ष राहुल गाँधी के साथ दिख रहे युवाओं में ज़्यादातर उत्तर प्रदेश में विभिन्न वामपंथी मोर्चों पर सक्रिय रहे हैं। इन सबने पिछले दिनों काँग्रेस का दामन थाम लिया। इस पर तरह-तरह की बातें हुईं। कुछ आरोप-प्रत्यारोप का सिलसिला भी चला। मीडिया विजिल ने सीधे उनसे जानने की कोशिश की कि वामपंथी छात्र संगठनों से होते हुए कम्युनिस्ट पार्टी तक में  बरसों सक्रिय रहे इन लोगों को काँग्रेस में आख़िर ऐसा क्या दिख गया ? क्या कांग्रेस को लेकर उनके सारे सवाल ख़त्म हो गए हैं या  उनकी नज़र में इस पार्टी का चरित्र बदल गया है। इसका जवाब हमें फै़ज़ाबाद से दिनेश सिंह ने भेजा है। दिनेश ऊपर की तस्वीर में पीछे सफेद कुर्ता पायजामा पहने खड़े हैं (दायें से दूसरे)। अब उनकी दाढ़ी भी सफ़ेद हो चली है  लेकिन आज से 20-25 साल पहले  इलाहाबाद विश्वविद्यालय में सक्रिय लोग उन्हें आइसा के एक कर्मठ कार्यकर्ता के रूप में पहचानते  थे। बेहद सौम्य और हरदिल अज़ीज़ दिनेश सिंह ने छात्र जीवन या बाद में सीपीआई (एम.एल) में रहते हुए किसी तरह की महात्वाकांक्षा से खुद को हमेशा ही दूर रखा। लेकिन कुछ साल पहले जब  उत्तर प्रदेश में पार्टी  के तमाम वरिष्ठ नेताओं ने अलग होकर ऑल इंडिया पीपुल्स फ्रंट बनाया तो वे काफ़ी हताश हुए और धीरे-धीरे निष्क्रियता की स्थिति में चले गए। उनसे जानिए कि वे और तमाम दूसरे वामपंथी कार्यकर्ता क्यों शामिल हुए काँग्रेस में–

 

दिनेश सिंह

 

सच है कि मैं 30 साल से ज़्यादा वक्त तक वामपंथी कार्यकर्ता रहा और उसमें भी ज़्यादा समय ही एक पार्टी, सीपीआई(एम.एल) के साथ रहा। लेकिन आज अगर हम लोगों ने काँग्रेस में शामिल होने का फ़ैसला किया तो इसकी ठोस वजह है। वामपंथ का मतलब हमारे लिए सबसे अंतिम आदमी के साथ खड़े होना है, देश की धर्मनिरपेक्ष ढाँचे पर आन पड़े साम्प्रादियक फ़ासीवादी ख़तरे से मोर्चा लेना है और राहुल गाँधी में हम यह प्रतिबद्धता देखते हैं। इस दौर की सबसे बड़ी ज़रूरत, आरएसएस के ख़तरनाक अभियान के विरोध में राष्ट्रीय स्तर पर एक साझा मोर्चा गठित करना है जो काँग्रेस को केंद्र में रखकर ही किया जा सकता है। हमने मीडिया विजिल में ही पढ़ा है कि राहुल गाँधी नेहरू के बाद पहले  ऐसे काँग्रेस नेता हैं जो आरएसएस पर सीधा हमला बोल रहे हैं और जिनके भाषणों में मनुवाद से लड़ने का खुला संकल्प दिखता है।

ज़ाहिर है, काँग्रेस को लेकर हमारे तमाम सवाल थे और हमें ख़ुशी है कि राहुल गाँधी ने हमारे सारे सवालों का खुलकर जवाब दिया। हमें लगा कि इस दौर में काँग्रेस ही नहीं, काँग्रेस के अंदर राहुल गाँधी को मज़बूत बनाना भी एक ऐतिहासिक ज़िम्मेदारी है। कांग्रेस में हमेशा से ही वामपंथी और दक्षिणपंथी धाराएँ रही हैं जिनमें सतत संघर्ष रहा है। राहुल गाँधी काँग्रेस को वामपंथी मिज़ाज दे रहे हैं, यह बहुत स्पष्ट है।

9 अगस्त को  राहुल गाँधी द्वारा- ‘कैसे हैं आप लोग?’ से शुरू हुई बातचीत का एक घंटे कैसे बीत गया, पता नहीं चला। उन्हें 9 अगस्त को एक कार्यक्रम में जंतर-मंतर जाना था तो वे ‘शाम को पुन: मिलेंगे, आप लोगों को रोकिए’-  कह कर गए। लौटकर शाम को पुन: बातचीत शुरू हुई।

उन्होंने कहा-‘ कांग्रेस सबकी है, आप लोग आइए, कांग्रेस में काम करिए, अच्छे लोग होंगे तो अच्छा कम होगा।’ उन्होंने कांग्रेस द्वारा किए गए अच्छे कार्यों के बारे में विस्तार से बताया। समय परिस्थितियों और नेताओं के बारे में भी। ग़लत लोगों और ग़लत कार्यों को भी खुलकर स्वीकार किया।

राहुल जी ने पूरी सहजता और बेबाकी से समाज, राष्ट्रीय अंतरराष्ट्रीय विषयों, ताकतर राष्ट्रों के बारे में अपनी बात रखी। वर्तमान सरकार द्वारा लोकतांत्रिक संस्थाओं में एक विचारधारा को प्रभावी बनाने की चेष्टा पर गंभीरता से चिंता व्यक्त की। उससे कैसे मुकाबला किया जाए और कांग्रेस को कैसे जमीनी स्तर पर उससे मुकाबला करने लायक बनाया जाए, इस पर चर्चा की।

ऊपर की लड़ाई में तो वे आत्मविश्वास से भरे दिख रहे थे, परंतु जमीनी लड़ाई की चिंताएँ साफ दिख रही थीं और यहाँ पर हम इनकी चिंताओं से एक हो रहे थे। इस लड़ाई में हमारे साथ खड़े होने की प्रतिबद्धता उन्होंने पूरी बेबाकी से स्पष्ट की। यह बात हम लोगों को आश्वस्त कर गई।

राहुल जी ने पूरे धैर्य के साथ एक-एक कर हम साथी लोगों की बातों को सुना और पूरे आत्मविश्वास के साथ एक मार्गदर्शक की तरह अपनी बात को समझाया। धैर्य से सुनने-समझने के इस लंबे संवाद में कांग्रेस को देश के लिए आगे बढ़ाने का संघर्ष उनके व्यक्तित्व में साफ़ झलक रहा था। उन्होंने इस संघर्ष को आगे बढ़ाने वाले युवाओं को आगे लाने की मंशा भी प्रकट की। उनकी बातों में कांग्रेस को बेहतर की ओर ले जाने की ईमानदार कोशिश साफ़ दिख रही थी और यही बातें हम लोगों को कांग्रेस के साथ काम करने के लिए प्रेरित कर गई ।

उम्मीद है कि हम लोगों के साथ हुई लंबी बातचीत में राहुलजी द्वाार व्यक्त विचारों को रोशनी में हमें अपनी सोच के अनुसार देश में न्यायप्रिय व्यवस्था कायम करने और सामाजिक सद्भाव के लिए कार्य करने का अवसर मिलेगा। हम देश द्वारा संविधान के प्रति लिए गए संकल्प को पूरा करने की कोशिश जारी रखेंगे।

विश्वास है कि राहुल जी के नेृत्व में हम लोग देश में चल रही प्रतिक्रांति की हवा का रुख प्रगति की ओर मोड़ने में अपना सर्वश्रेष्ठ योगदान करेंगे।

 

दिनेश सिंह, फ़ैज़ाबाद