खूँटी बलात्कार काण्ड के खिलाफ दिल्ली में उठी आवाज़, 2 जुलाई को रंगकर्मियों का भव्य प्रतिरोध

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“बलात्कार और यौन हिंसा की घटनाओं का राजनीतिक इस्तेमाल करना बंद करो!”
“झारखंड के कोचांग में पांच महिला कलाकारों के सामूहिक बलात्कार के दोषियों को तुरंत गिरफ़्तार करो!”
“दलितों, आदिवासियों और अल्पसंख्यकों के अधिकारों का दमन करना और भीड़ की हिंसा को संरक्षण देना बंद करो!”
“छात्रों और किसानों के ख़िलाफ़ साज़िश करना और कारपोरेट्स को लूट की छूट देना बंद करो!”

 

दिल्ली: विगत 18 जून को कोचांग, झारखंड में नुक्कड़ नाटक करने गयींं पांच महिला कलाकारों के सामूहिक बलात्कार के दोषियों को तुरंत गिरफ़्तार करने और राज्य की भाजपा सरकार द्वारा यौन हिंसा का राजनीतिक इस्तेमाल बंद करने की मांग के साथ मंडी हाउस में जुटे विकल्प साझा मंच के सैकड़ों कलाकारों द्वारा 26 जून की शाम को मंडी हाउस की सफ़दर हाशमी रंगभूमि पर लगाये गये उपरोक्त नारों से देर तक आसमान गूंजता रहा।

नेशनल ब्लैक डे या आपातकाल विरोधी दिवस को याद करते हुए हाल के वर्षों में देश में नफ़रत, हिंसा और फ़ासीवाद के बढ़ते ख़ूनी आतंक की रंगकर्मियों ने एक स्वर से निन्दा की और कहा कि आज देश में आपातकाल से भी बुरे हालात हैं, जहां सरकार मुट्ठी भर कारपोरेट पूंजीपतियों को असीमित फ़ायदा पहुंचाने के लिये जनता के जनतांत्रिक अधिकारों को बेशर्मी के साथ कुचल रही है। उन्होंने देश के तमाम संस्कृतिकर्मियों, कलाकारों और अमन-पसंद नागरिकों से यह अपील की कि वे अपनी चुप्पी तोड़ें और समाज-विरोधी ताक़तों का आगे बढ़ कर मुक़ाबला करें।

इस अवसर पर संगवारी, सांझा सपना और अस्मिता थियेटर के कलाकारों ने प्रतिरोध के दर्जनों जनगीत प्रस्तुत किये। अस्मिता के कलाकारों ने यौन हिंसा के ख़िलाफ़ अपने बहुचर्चित नाटक ‘दस्तक’ की प्रस्तुति भी की। बड़ी संख्या में आयोजन में शिरक़त कर रहे कलाकारों और दर्शकों ने भी नारों और जनगीतों की प्रस्तुति में सक्रिय रूप से भाग लिया। कार्यक्रम के अंत में कलाकारों से संवाद के क्रम में अधिकतर दर्शकों ने यह स्वीकार किया कि देश सचमुच एक भयावह दौर से गुज़र रहा है, जब अपराधियों के गिरोह सड़कों पर राष्ट्रभक्ति के नारे लगाते घूम रहे हैं और वे विरोध की हर आवाज़ को कुचल देना चाहते हैं। दलितों, आदिवासियों और छात्रों के ख़िलाफ़ राज्य ने एक अघोषित युद्ध छेड़ रखा है और सत्ता में बैठे मंत्रियों-नेताओं द्वारा किसानों की आत्महत्याओं तक का मखौल उड़ाया जा रहा है। लेखकों, पत्रकारों, जजों और विचारकों को धमकाया जा रहा है और उनकी हत्या तक कर दी जाती है। हत्यारे बेख़ौफ़ हैं क्योंकि उन्हें सरकार का समर्थन प्राप्त है। ऐसे में हर अन्याय के ख़िलाफ़ बोलना और आवाज़ उठाना बेहद ज़रूरी है।

 

विकल्प साझा मंच की तरफ़ से कार्यक्रम का संचालन कर रहे राजेश चन्द्र ने यह भी बताया कि कोचांग में महिला कलाकारों के सामूहिक बलात्कार के दोषियों की तुरंत गिरफ़्तारी और पीड़ितों को न्याय मिलने तक यह प्रतिरोध ज़ारी रहेगा। इस क्रम में आगामी 2 जुलाई (सोमवार) को मंडी हाउस से लेकर झारखंड भवन तक कलाकारों द्वारा एक बाइक मार्च निकाला जायेगा। झारखंड भवन पर दोपहर के 2 बजे एक शान्तिपूर्ण विरोध-प्रदर्शन का आयोजन है, जिसके बाद रंगकर्मी झारखंड सरकार के नाम एक ज्ञापन भी सौंपेंगे। उन्होंने दिल्ली के रंगकर्मियों, कलाकारों और नागरिकों से अपील की कि वे 2 जुलाई के प्रदर्शन में भी अवश्य शामिल हों।


विकल्प साझा मंच के लिये राजेश चन्द्र द्वारा जारी