#MeToo: महिला पत्रकारों के नेटवर्क ने मीडिया संस्थानों से की दोषियों को दंडित करने की माँग

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NWMI
(नेटवर्क आफ वीमेन इन मीडिया) उन सभी महिलाओं के साथ है जिन्होंने साहस का प्रदर्शन करते हुए अपने यौनिक तथा लैंगिक हिंसा के अनुभवों को सांझा किया है। ये सभी अनुभव भारतीय मीडिया इंडस्ट्री के अंदर से उभरे हैं। ये समय भारतीय पत्रकारिता में बहुत ही महत्त्वपूर्ण है। हमने अब तक अलग अलग क्षेत्रो में हो रहे यौनिक शोषण की बात उठाई है और इस के विरुद्ध कड़ी तथा सटीक सुधार कार्यविधियों की मांग की है। आज पत्रकारिता के क्षेत्र में यौनिक शोषण की बात उठी है और हम इसका स्वागत करती हैं और पत्रकारिता से जुडी सभी महिलाओं को प्रोत्साहित करती हैं की वे बेख़ौफ़ होकर अपने अनुभवों को बयान करें तथा उन्हें लिखें।

हमें उन सभी परिस्थितियों के बारे में पढ़कर  दुःख हुआ है जहां अलग अलग मामलों में, जिन लोगों पर आरोप लगें हैं वे अभी भी पत्रकारिता में कार्यरत हैं तथा उन्हें दण्डित नहीं किया गया है। हम भारतीय पत्रकारिता में तेज़ी से फ़ैल रही नारी विरोधी प्रवर्त्तियों तथा लिंग के आधार पर हो रहे भेद भाव के बढ़ते स्वरुप की कड़ी निंदा करतीं हैं। इस सब से यौनिक हिंसा तथा उत्पीड़न को बढ़ावा तो मिलता ही है, साथ ही साथ चुप्पी फैलती है तथा पीड़ित महिलाओं के पुनः शोषण को भी बढ़ावा मिलता है।

NWMI (नेटवर्क आफ वीमेन इन मीडिया) ये मांग करती है कि :

पत्रकारिता से जुड़े सभी संस्थान खासकर  पत्रकारिता उच्च विद्यालय, पत्रकार संघटन, प्रेस क्लब , मीडिया हाउस इत्यादि, पीड़ित महिलाओं के बयानों का आदर करें तथा यौनिक शोषण का पता चलते ही औपचारिक कार्यवाही शुरू करें।

पत्रकारिता से जुड़े सभी संस्थान तथा पत्रकारिता/मीडिया विद्यालय कार्यस्थल पर होने वाले यौनिक शोषण तथा दुर्व्यवहार के मामलों पर कार्यवाही करने के  लिए आतंरिक परीक्षण समिति का गठन करें, जिसका गठन कार्यस्थल पर महिलाओं की यौन उत्पीड़न (रोकथाम, निषेध और निवारण) अधिनियम, 2013  के अंतर्गत भी अनिवार्य है।  इस समिति के सभी सदस्यों को यौनिक उत्पीड़न तथा प्रतारणा की शिकायतों का निवारण करने पर  ट्रेनिंग प्राप्त  होनी  चाहिए। आतंरिक समिति के नेतृत्व में एक महिला का होना अनिवार्य है तथा समिति की कम से कम आधी सदस्यता महिलाओं की होनी चाहिए। समिति पर संस्था बाहर की कम से कम एक निष्पक्ष महिला का होना भी अनिवार्य है जो मानवीय अधिकारों तथा कानून में अनुभवी हो।  समिति के सभी सदस्य शिकायत करने वालों के लिए उपलब्ध हों तथा उनकी सुनवाई के लिए धैर्यशील तथा संवेदनशील होने चाहिए। समिति की जांच समय से होना तथा प्रबंधनतंत्र का जल्द कार्रवाई करना अनिवार्य है। संस्थानों में यौनिक शोषण के विरुद्ध शिकायत दर्ज करने की प्रक्रिया को प्रचारित-प्रसारित किया जाना चाहिए।

सभी मीडिया तथा पत्रकारिता संस्थानों और विद्यालयों को ये सुनिष्चित करना चाहिए कि लैंगिक शोषण से जुडी उनकी नीतियां, समिति के गठन से सम्बंधित जानकारी उनके संस्थानों में, बुलेटिन, बोर्ड्स तथा उनकी वेबसाइट पर मुख्य रूप से प्रदर्शित हों। लैंगिक उत्पीड़न के परिणामों को कॉन्ट्रैक्ट्स तथा एच.आर मैनुअल में भी लिखा जाना चाहिए

पत्रकारिता के काम को ध्यान में रखते हुए, लैंगिक उत्पीड़न समितियों तथा निर्णायक प्रबंधनतंत्रों को इस बात से भी संवेदनशील कराना आवश्यक है कि महिला पत्रकार अपने काम के अंतर्गत कई तरह के लोगों से मिलती हैं और संस्था के बाहर हुआ शोषण जो काम की परिस्थिति से उत्पन्न होता है उसकी भी सुनवाई होना आवश्यक है। सम्पादकों को इस बात का ध्यान रखना ज़रूरी होगा की वे महिला पत्रकारों की सुरक्षा को रिपोर्ट/न्यूज़ स्टोरी से कम महत्व न दें

कार्यस्थल पर महिलाओं की यौन उत्पीड़न (रोकथाम, निषेध और निवारण) अधिनियम, 2013 के अंतर्गत ये स्पष्ट है की जो महिला पत्रकार फ्रीलान्स तथा स्ट्रिंगर के रूप में कार्य करती है उसे भी पत्रकारिता के संस्थानों में प्रदान की गयी सुरक्षा तथा गठित समिति के सामने सुनवाई का अधिकार है।

सभी पत्रकारिता संस्थानों तथा पत्रकारिता के शैक्षिक  संस्थानों की ये नैतिक ज़िम्मेदारी है की वे शिकायत दर्ज कराने वाली पत्रकार महिला को अपनी पूरी सहायता प्रदान करें चाहे वो कानून के किसी भी प्रावधान के अंतर्गत शिकायत दर्ज करना चाहती हो।

सभी पत्रकारिता संस्थानों तथा पत्रकारिता के शैक्षिक  संस्थानों में जेंडर को संस्था की मुख्यधारा सोच में शामिल किया जाना चाहिए तथा जेंडर के विभिन्न पहलुओं पर संवेदनशीलता बढ़ाने के लिए साल में कम से कम दो बार  ट्रेनिंग कार्यक्रम होने चाहिए ताकि समानता को बढ़ावा मिले

सभी पत्रकारिता संस्थानों तथा पत्रकारिता के शैक्षिक संस्थानों को पीड़ित महिला तथा आरोपी को काउंसलिंग की सुविधा प्राप्त करानी चाहिए ।

पिछले कुछ दिनों में जो लैंगिक शोषण की घटनाएं सामने आयीं हैं, ये ज़रूरी है की उच्च दर्जे वाली पत्रिकाएं तथा मीडिया संस्थाएं इन पर फॉलोअप करें और आरोपों की जांच और उन पर कार्यवाही का दबाव बनाएं रखें। मीडिया को अपने खुद के भीतर भी रोशनी दिखा, लैंगिक शोषण के लम्बे इतिहास का पर्दा फाश कर, इस पर रोक लगाने के लिए सक्षम कदम उठाने चाहिए।

NWMI किसी भी प्रकार से सहायता करने तथा सहयोग करने के लिए तैयार है।  जो पत्रकार महिलाएं अपनी आवाज़ उठाना चाहती हैं हम उनके साथ हैं। जो संस्थान अपनी समितियों को सुदृढ़ बनाना चाहते हैं हम उनकी मदद करने के लिए तैयार हैं. हमें संपर्क करें  editors@nwmindia.org

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