जो नहीं झुकते, ऋतुहीन रहते हैं, बुध की तरह !

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डॉ.स्कन्द शुक्ल

वह झुका नहीं है , इसलिए वह ऋतुभोग भी नहीं करता।

बुध। सूर्य के समीपस्थ सौरमण्डल का सबसे नन्हा ग्रह। चट्टान का निर्जीव गोला। लेकिन गतियाँ सबसे विचित्र।

अपने अक्ष पर सभी ग्रह घूमते हैं और सूर्य की परिक्रमा भी करते हैं। अलग-अलग ग्रहों की अक्ष-रेखा अलग-अलग कोण बनाती झुकी हुई है। हमारी पृथ्वी मैया साढ़े 23 अंश झुकी हुई हैं। इसी कारण हमें ऋतुएँ मिली हैं। सूर्य की परिक्रमा करते हुए पृथ्वी का जो हिस्सा अधिक प्रकाश और ताप पाता है , वह गरमी झेलता है और जो कम पाता है ,वहाँ शीतऋतु हो जाती है। 

आज-कल हम लोग कम प्रकाश-ताप पा रहे हैं क्योंकि उत्तरी गोलार्ध सूर्य से उल्टी तरफ झुका हुआ है और दक्षिणी गोलार्ध सूर्य की ओर। नतीजन ऑस्ट्रेलिया में गरमी का माहौल है और भारत में जाड़ा आ रहा है। 

लेकिन बुध ? वह अपने अक्ष पर झुका ही नहीं है। वह सीधा रहकर सूर्य की परिक्रमा करता है। नतीजन बुध में ऋतुएँ नहीं घटतीं। वहाँ तापमान न्यून और अधिक तो होता है , दिन-रात भी होते हैं , लेकिन मौसमी बदलाव नहीं होते।

सूर्य को ऋतुमान् कहते हैं , लेकिन ऋतुएँ घटती ग्रहों पर हैं जो अक्ष पर झुक कर प्रकाश और ताप ग्रहण करते हैं।

और जो नहीं झुकते , वे ऋतुहीन रहते हैं। बुध की तरह।

( चित्र इंटरनेट से साभार , बुध-पृथ्वी-मंगल के अक्षात्मक झुकाव दर्शाते हुए। ) 

 

 



पेशे से चिकित्सक (एम.डी.मेडिसिन) डॉ.स्कन्द शुक्ल संवेदनशील कवि और उपन्यासकार भी हैं। इन दिनों वे शरीर तथा विज्ञान की तमाम जटिलताओं को सरल हिंदी में लोगों के सामने लाने का अभियान चला रहे हैं। मीडिया विजिल उनके इस प्रयास के साथ जुड़कर गौरवान्वित है।