लातूर में बिना पीपीई किट डिलीवरी कराने को मज़बूर डॉक्टर

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महाराष्ट्र के लातूर जिले के निजी अस्पतालों में बिना निजी सुरक्षा उपकरण (पीपीई) किटों के डॉक्टरों द्वारा लॉकडाउन के पहले चरण में तकरीबन 500 बच्चों की डिलीवरी कराने का मामला सामने आया है। इसका कारण निजी सुरक्षा उपकरण किटों की अनुपलब्धता बताया जा रहा है।

लातूर की ऑबस्टेट्रीशियन एंड गॉयनेकॉलजिस्ट (प्रसूति एवं स्त्री रोग विशेषज्ञ) सोसायटी के अध्यक्ष डॉ कल्याण बी. बरमदे ने मामले की पुष्टि करते हुए बताया कि “कोरोना वायरस के कारण हुए लॉकडाउन के दौरान लातूर के निजी अस्पतालों में लगभग 500 बच्चों की डिलीवरी करायी गयी थी।”

डॉ कल्याण बरमदे का कहना है कि “भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर) के दिशा-निर्देशों के अनुसार डिलीवरी कराते वक़्त डॉक्टरों का निजी सुरक्षा उपकरण किट पहनना अनिवार्य है, लेकिन लॉकडाउन लागू होने के बाद से ही लातूर के निजी अस्पतालों में पीपीई किट उपलब्ध नहीं हैं। जिलाधिकारी ने भरोसा दिलाया है कि अगले हफ़्ते से पीपीई किट उपलब्ध हो जायेंगे।”

देश में कोरोना से लड़ाई में डॉक्टरों के लिए सबसे अधिक ज़रूरी निजी सुरक्षा उपकरण किट भी पर्याप्त मात्रा में उपलब्ध नहीं हैं, बल्कि कई इलाकों में फ़िलहाल उपलब्ध ही नहीं हैं। लातूर में जो कुछ पीपीई किट उपलब्ध भी हैं, वे केवल सरकारी अस्पतालों में कोविद-19 के संक्रमितों का इलाज कर रहे डॉक्टरों को दिये गये हैं। बिना पीपीई किटों के डिलीवरी करवाना डॉक्टरों व मां-बच्चे के लिए सुरक्षित नहीं है। भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर) भी इस बात की तस्दीक करता है।

कोरोना वायरस से दुनिया पर जो व्यापक संकट पैदा हुआ है, उसके ख़िलाफ़ फ़िलहाल डॉक्टर ही सीधी लड़ाई लड़ रहे हैं। वे यह लड़ाई बिना सुरक्षा उपकरणों के ही लड़ रहे हैं, जगह-जगह लोगों के हमले झेल रहे हैं। देश के सबसे बड़े अस्पताल एम्स से लेकर ग्रामीण भारत के अस्पतालों तक उनके भीतर सरकार के प्रति नाराज़गी भी देखी जा रही है। इस नाराज़गी के कारण भी वाज़िब हैं। अभी तक देश में लगभग 150 डॉक्टर कोरोना से संक्रमित हो चुके हैं, 1 की जान जा चुकी है।