जाँच रिपोर्ट: पुलिसिया कहानी में छेद ही छेद! जारी है सांप्रदायिक गुंडों को बचाने का खेल !

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राजस्थान के अलवर में बीते अप्रैल गौरक्षक नामधारी गुंडों ने पहलू खान की पीट-पीट कर हत्या कर दी थी। पुलिस ने इस मामले में तमाम आरोपियों को क्लीनचिट देते हुए क्लोजर रिपोर्ट दाखिल की है। मुख्य आरोपियों को ज़मानत मिल गई है।

वरिष्ठ पत्रकार अजित साही ने क़रीब चार महीने की पड़ताल के बाद इस पूरे मामले पर एक रिपोर्ट तैयार की जिसे 26 अक्टूबर को दिल्ली के प्रेस क्लब में जारी किया गया। इस मौके पर मशहूर वकील प्रशांत भूषण, कॉलिन गोन्साल्विस, इंदिरा जय सिंह के अलावा सामाजिक कार्यकर्ता तीस्ता सीतलवाड भी मौजूद थीं। इन सभी ने पहलू ख़ान और ऐसी ही तमाम मामलों में पुलिस की लापरवाही को राजनीतिक एजेंडे का नतीजा बताया। कहा कि देश में एक डिज़ायन के तहत केस को कमज़ोर करके सांप्रदायिक गुंडों को बचाने का खेल चल रहा है।

रिपोर्ट को कई प्रसिद्ध मानवाधिकार संगठनों ने अपनी स्वीकृति दी है।

इस रिपोर्ट में कई ऐसे सवाल उठाए गए हैं जो बताते हैं कि पुलिस की कहानी में छेद ही छेद हैं और वह राजस्थान सरकार के दबाव में है। रिपोर्ट में पुलिस के तर्कों पर सवाल उठाते कुछ बिंदु ये हैं–

1. एफ़आईआर कहती है कि पुलिस को पहलू खान के साथ हुई घटना की जानकारी 2 अप्रैल को सुबह 4 बजकर 24 मिनट पर हुई। यह घटना 1 अप्रैल को शाम सात बजे हुई थी। घटना स्थल थाने से महज़ दो किलोमीटर दूर है।

2.पुलिस को अगर 2 अप्रैल की सुबह तक जानकारी नहीं हुई थी तो फिर उसने 1 अप्रैल की रात 11 बजकर 50 मिनट पर पहलू ख़ान का मृत्युपूर्व बयान कैसे दर्ज किया।

3. 1 अप्रैल को हुई घटना के बाद पुलिस ने ही पहलू ख़ान और उनके बेटे को अस्पताल में भर्ती कराया था, लेकिन एफआईआर में अस्पताल पहुँचाने वाले पुलिसवालों का गवाह बतौर नाम दर्ज नहीं है।

4. पहलू खान हरियाणा के नूह के रहने वाले थे जिनकी अलवर में कोई जान-पहचान नहीं थी। उन्होंने छह हमलावरों का नाम मृत्युपूर्व बयान में दिया था। इसकी जानकारी उन्हें वहाँ हो रही बातचीत से हुई थी। लेकिन पुलिस ने उन सभी को क्लीनचिट दे दी।

5. पुलिस के मुताबिक पहलू खान ने जिन छह लोगों का नाम लिया है वे सभी घटना के वक़्त एक गौशाला में थे। ये ग़ौर करने वाली बात है कि एक आरोपी उस गौशाला का केयरटेकर है और आरोपियों की वहाँ मौजूदगी की गवाही देने वाले उसके कर्मचारी।

6. सभी आरोपी पाँच महीने तक फ़रार रहे, पुलिस उन्हें गिरफ़्तार नहीं कर पाई, लेकिन जैसे ही गौशाला में मौजूदगी की गवाही का ‘इंतज़ाम’ हुआ, सभी ने पुलिस के सामने उपस्थित होकर अपना बयान दर्ज करा दिया।

7. पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट महत्वपूर्ण प्रमाण है। तीन सरकारी डॉक्टरों ने लिखा कि पहलू ख़ान की मौत हमले के दौरान लगी चोटों से हुई।

8.  पुलिस सरकारी डॉक्टरों की रिपोर्ट को नज़रअंदाज़ कर गई। उसने एक निजी अस्पताल के डाक्टरों पर भरोसा किया। यह कैलाश अस्पताल था जिसके मालिक केंद्रीय मंत्री महेश शर्मा हैं।

9. कैलाश अस्पताल के डॉक्टरों ने लिखा है कि पहलू ख़ान जब वहाँ लाए गए तो ठीक थे, लेकिन उसी समय उन्होंने यह भी माना है कि पहलू ख़ान की नाक से ख़ून निकल रहा था और छाती में दर्द था। केंद्रीय मंत्री के कर्मचारी डॉक्टरों ने नतीजा निकाला कि पहलू ख़ान की मौत ‘दिल का दौरा’ पड़ने से हुई।

10. सवाल यह है कि अगर पहलू ख़ान की हालत ठीक थी तो फिर उसे अस्पताल क्यों ले जाया गया। क्या किसी स्वस्थ व्यक्ति को अस्पताल में भर्ती कराया जाता है ?.. राजस्थान के कैबिनेट मंत्री गुलाब चंद कटारिया ने तो यहाँ तक कहा है कि ऐसी कोई घटना हुई ही नहीं !

इस मौके पर कहा गया कि घेर कर मार देने कम से कम 30 ऐसे मामले हैं जिनमें पुलिस केस को कमज़ोर कर रही है। आरोपियों की इसी वजह से बेल मिल जा रही है। ऐसे सभी मामलों को इकट्ठा करक ऊंची अदालतों का दरवाज़ा खटखटाया जाएगा।

इस मौके पर पहलू ख़ान की पत्नी, बेटा इरशाद और रिश्तेदार भी मौजूद थे। इरशाद ने कहा कि उसका राजस्थान के पुलिस-प्रशासन पर कोई यक़ीन नहीं रह गया है। मामला सुप्रीम कोर्ट आएगा तभी उसे न्याय मिल सकेगा।