BJP बगैर कैबिनेट विस्‍तार, RJD संग दावत-ए-इफ्तार, क्‍या सेकुलर करवट ले रहे हैं नीतीश कुमार?

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नरेंद्र दामोदर दास मोदी द्वारा दूसरी बार प्रधानमंत्री के रूप में शपथ लेने और अपने नये मंत्रिमंडल की घोषणा के बाद बिहार में रविवार,2 जून को मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने जदयू से अपने आठ नए मंत्रियों को शपथ दिलवा कर मंत्रिमंडल का विस्तार कर लिया. जिस तरह मोदी की कैबिनेट में जदयू का कोई मंत्री नहीं है, उसी तरह नीतीश की भी विस्‍तारित कैबिनेट में भाजपा के किसी मंत्री को नहीं लिया गया. प्रतिशोध के रूप में देखे जा रहे इस मंत्रिमंडल विस्‍तार के कई सियासी मायने निकाले जा रहे हैं. 

30 मई को दिल्ली में भव्य शपथ ग्रहण समारोह से पहले मोदी मंत्रिमंडल में जनता दल यूनाइटेड को एक सांकेतिक सीट देने के प्रस्ताव पर नाराज़ होकर नीतीश कुमार ने मोदी कैबिनेट में जेडीयू के शामिल होने से इंकार कर दिया था. इसके दो दिन बाद आज बिहार में हुए कैबिनेट विस्‍तार में भाजपा का एक भी चेहरा मौजूद नहीं है।

जिन आठ नेताओं को नीतीश के मंत्रिमंडल में शामिल किया गया है वे सभी जदयू के हैं. इनमें तीन विधान पार्षद और पांच विधायक हैं. विधान पार्षदों में डॉ.अशोक चौधरी, संजय झा और नीरज कुमार हैं, जबकि विधायकों में फुलवारीशरीफ विधायक श्याम रजक, आलमनगर के विधायक नरेन्द्र नारायण यादव, एकमात्र महिला चेहरा रुपौली की बीमा भारती, हथुआ के रामसेवक सिंह, लोकहा विधायक लक्षमेश्वर राय शामिल हैं. इनमें संजय झा, नीरज कुमार, लक्ष्मेश्वर राय और रामसेवक सिंह पहली बार मंत्री बने हैं.

 

साल 2015 में राजद-कांग्रेस-जदयू गठबंधन की सरकार बनने के वक़्त श्याम रजक और नरेंद्र नारायण यादव को मंत्री नहीं बनाया गया था. उस वक़्त श्याम रजक ने अपनी नाराजगी भी पार्टी से जताई थी. वहीं अशोक चौधरी महागठबंधन की सरकार में शिक्षा मंत्री थे और राज्य में एनडीए की दोबारा सरकार बनने के बाद वो कांग्रेस से इस्तीफ़ा देकर जदयू में शामिल हो गए थे. अशोक चौधरी कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष थे. बिहार मंत्रिमंडल की अधिकतम संख्या 35 है और विस्तार के बाद भी एक सीट खाली है.

खास बात यह है कि इस विस्तार में राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (NDA) के घटक दलों भारतीय जनता पार्टी (BJP) और लोक जनशक्ति पार्टी (LJP) को जगह नहीं मिली है. बिहार में जेडीयू-भाजपा गठबंधन में इसे एक बड़े बदलाव के रूप में देखा जा रहा है. इसे मोदी और भाजपा को नीतीश कुमार के जवाब के रूप में देखा जा रहा है. हालांकि अपने नये मंत्रियों के शपथ ग्रहण के बाद नीतीश कुमार ने कहा कि मंत्रिमंडल में जेडीयू कोटे से रिक्तियां थीं, इसलिए जेडीयू नेताओं को शामिल किया गया, बीजेपी के साथ कोई इश्यू नहीं है, सब कुछ ठीक है.

लोकसभा चुनाव के दौरान बिहार सरकार के मंत्री लल्लन सिंह और दिनेश यादव के सांसद बन जाने की वजह से दो मंत्रियों के पद भी खाली हो गए थे. इस मंत्रिमंडल विस्तार से नीतीश कुमार बिहार के जातीय समीकरण को भी साधने की कोशिश रही है. लेकिन,जो सबसे बड़ा सवाल है इस कैबिनेट में बीजेपी क्यों नहीं?

जनता दल यूनाइटेड (JDU) जे वरिष्ठ नेता के.सी. त्यागी ने आज कहा कि “जो प्रस्ताव दिया गया था वह जेडीयू के लिए अस्वीकार्य था इसलिए हमने फैसला किया है कि भविष्य में भी जेडीयू कभी भी एनडीए के नेतृत्व वाले केंद्रीय मंत्रिमंडल का हिस्सा नहीं होगा, यह हमारा अंतिम निर्णय है”.

 

जेडीयू -बीजेपी गठबंधन वाली बिहार सरकार और केंद्र की राजद का घटक दल के नेता बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार द्वारा दिल्ली में मोदी सरकार गठन के दो दिन बाद अपने राज्य मंत्रिमंडल के विस्तार करने की ख़बर पर भाजपा नेता और बिहार के उपमुख्यमंत्री सुशील कुमार की चुप्पी ने इसका संकेत दे दिया था कि गठबंधन में अब सब कुछ सही नहीं चल रहा है.

हालांकि आज नीतीश कुमार द्वारा राज्य मंत्रिमंडल के विस्तार के बाद उपमुख्‍यमंत्री सुशील मोदी ने कहा कि मंत्रिमंडल विस्‍तार को लेकर कोई विवाद नहीं है. नीतीश कुमार ने बीजेपी कोटे के मंत्रियों कर रिक्तियां भरने की पेशकश की थी लेकिन पार्टी नेतृत्‍व ने फिलहाल इसे टाल दिया है. सुशील मोदी ने अपने ट्वीट में भी इसे दुहराया. बीजेपी प्रवक्‍ता अफजी शमशी ने भी कहा कि मंत्रिमंडल विस्‍तार को नीतीश कुमार की नाराजगी से जोड़कर नहीं देखा जाना चाहिए। नीतीश कुमार नाराज नहीं हैं. मंत्रिमंडल की रिक्तियां जेडीयू कोटे की थीं.

उन्होंने शपथ ग्रहण समारोह में भाग भी लिया और उसकी तस्वीर भी ट्वीट किया.

बिहार में 2015 में विधानसभा चुनाव हुए थे, जिसमें जदयू-कांग्रेस-राजद ने मिलकर चुनाव लड़ा था और सरकार बनाई थी. इसके बाद जुलाई 2017 में नीतीश कुमार ने महागठबंधन का दामन छोड़ भाजपा का हाथ थाम लिया था. बिहार की एनडीए सरकार में जदयू, भाजपा के अलावा लोक जनशक्ति पार्टी शामिल है. अभी बीजेपी-एलजीपी कोटे से एक सीट खाली है.

भाजपा के किसी भी सदस्य को शामिल किये बिना नीतीश कुमार द्वारा राज्य मंत्रिमंडल के विस्तार के बाद सबकी नज़रें अब 2 जून की शाम को पूर्व मुख्यमंत्री राबड़ी देवी द्वारा आयोजित सियासी दावत-ए-इफ्तार पर हैं जिसमें राबड़ी देवी ने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को भी न्यौता भेजा है. देखना है नीतीश वहां जाते है या नहीं.