छात्रों-एक्टिविस्टों की गिरफ्तारी पर सिनेमा और साहित्य जगत का खुला ख़त

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सीएए के विरोध में प्रदर्शन करना अपराध नहीं है!

19 अप्रैल 2020 को भारतीय फ़िल्म जगत की करीब 20 से अधिक फ़िल्मी शख्सियात के साथ ही कई वकीलों, शिक्षाविदों और लेखकों ने दिल्ली पुलिस द्वारा सीएए का विरोध करने वाले छात्रों और कार्यकर्ताओं की गिरफ़्तारी के ख़िलाफ़, ट्विटर पर एक पत्र के माध्यम से अपना संयुक्त बयान जारी करते हुए आवाज़ उठाई है। साथ ही उन्होंने उनकी रिहाई की मांग भी की है। बुधवार को जामिया मिलिया इस्लामिया विश्वविद्यालय के एक छात्र को कथित तौर पर उत्तर पूर्वी दिल्ली में सांप्रदायिक दंगे भड़काने के आरोप में 14 दिन की न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया है। इसी तरह एक अन्य छात्र को भी नागरिकता संशोधन अधिनियम के खिलाफ प्रदर्शन करने की वजह से गिरफ़्तार करके 2 दिन की पुलिस हिरासत में भेज दिया गया है।

दिल्ली पुलिस इन लोगों को फ़रवरी में हुई सांप्रदायिक हिंसा में फंसाना चाह रही है। पुलिस की ये कार्रवाई अलोकतांत्रिक और अमानवीय है। ट्विटर पर जारी बयान में कहा गया कि जहाँ कोविड19 महामारी से सारा देश एक साथ में जूझ रहा है, वहीँ दिल्ली पुलिस सीएए के खिलाफ शांतिपूर्ण विरोध प्रदर्शन करने वालों को भी गिरफ़्तार कर रही है। इन लोगों के माध्यम से ये भी कहा गया कि कोरोना से लड़ने के लिए नागरिकों को और सरकार को एक साथ लड़ना होगा।

बॉलीवुड का सरकार के नाम खुला ख़त

आज लॉकडाउन चल रहा है तो मीडिया इन मामलों को नहीं देख पायेगी इसी बात का फायदा उठाकर दिल्ली पुलिस नागरिकों के साथ विश्वासघात कर रही है। ये उनके अधिकारों का हनन है। “दिल्ली पुलिस से हमारा आग्रह हैं कि वो लॉकडाउन का दुरुपयोग बंद करे, साथ ही नागरिकों के मानवाधिकारों की इज्ज़त करें और अपने अत्याचारों पर रोक लगायें। पत्र में ये भी कहा गया है कि छात्रों और सामाजिक कार्यकर्ताओं को रोज पूछताछ के लिए बुलाया जा रहा है।   

भारत जैसे लोकतान्त्रिक देश में हमारा संविधान हमें सरकार और उसकी नीतियों का विरोध करने और अपने विचारों को रखने की आजादी देता है। हमारे देश में और विश्वस्तर पर इस कठोर नागरिकता संशोधन कानून की निंदा की जा रही है। इस कट्टर कानून की वजह से हमारे देश की धर्मनिरपेक्षता पर दाग लग जायेगा। हम छात्रों और अन्य कार्यकर्ताओं के साथ हो रहे अन्याय की निंदा करते हैं। वो कुछ गलत नहीं कर रहे बल्कि अपने संवैधानिक अधिकारों के साथ ही सीएए/एनआरसी/एनपीआर के विरोध में प्रदर्शन कर रहे हैं।

पत्र पर महेश भट्ट, अनुराग कश्यप, विशाल भारद्वाज, विशाल डडलानी, रत्ना पाठक शाह, सुशांत सिंह, सबा सिंह आज़ाद, मल्लिका दुआ, तृषा शेट्टी, शाहना गोस्वामी, श्रुति मेनन और अन्य लोगों के हस्ताक्षर हैं।